Sunday, September 7, 2008

सुखपूर्वक प्रसवकारक मंत्र

ऍ ह्रीं भगवती भगमालिनि चल चल भ्रामय भ्रामय पुष्पं विकासय विकासय स्वाहा |


इस मंत्र द्वारा अभिमंत्रित दूध गर्भिणी स्त्री को पिलाने से सुखपूर्वक प्रसव होता है | दूसरा उपाय है गर्भिणी प्रसव के समय स्वयं 'जम्भला-जम्भला' जप करे | तीसरा उपाय है देशी गाय के गोबर का १२ से १४ मि.ली. रस लेकर उसमें निहारते हुए 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का २१ बार जप और 'श्रीगुरुगीता' के कुछ श्लोकों का पाठ गर्भिणी स्त्री स्वयं करे या कोई अन्य करे और गर्भिणी स्त्री को वह रस पिलाये | इससे भी प्रसव-बाधाएं दूर होंगी और बिना शल्यक्रिया के सुखपूर्वक प्रसव होगा |


प्रसूति के समय अमंगल की आशंका हो तो सर्वकल्याण के लिए निम्न मंत्र का जप करें:


सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वर्थासाधिके |
शरण्ये त्रयाम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते
||


(श्रीदुर्गासप्तश्ती)
(Rishi Prasad)




No comments:

Post a Comment