दूसरी जगह रात्रि स्नान वर्जित है, लेकिन गंगाजी में रात्रि स्नान में भी दोष नहीं लगता है । गंगा जल घर में लाकर उसमे धीरे-धीरे दूसरे पानी की धार डालकर पूरी बाल्टी गंगा जल की बना ली।
गंगे, यमुने च गोदावरी, सरस्वती नर्मदा, सिन्धु, कावेरी जलेस्मिन सिन्धि कुरु ........करके पहला लोटा सिर पे डाला। ऐसा करने पर अश्वमेघ यज्ञ करने का फल होता है । स्नान करते हो तो जहाँ से धारा आ रही है (नदी का प्रवाह), उसकी तरफ सिर करके गोता मारना चाहिए। पहले सिर भीगे.... फिर पैर भीगे । अगर पहले पैर भीगते हैं तो पैरों की गर्मी सिर में चदती है। पहले सिर भीगता है तो सिर की गर्मी उतर जाती है ।
लेकिन तालाब,
बावड़ी में तो सूर्याभिमुख होकर गोता मारना चाहिए ।
Haridwar 14th April 2010
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