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Wednesday, October 26, 2016

पत्तेदार शाक खायें, शरीर को स्वस्थ व निरोगी बनायें


हरे पत्तोंवाले शाक विटामिन्स व विभिन्न खनिज तत्त्वों से भरपूर होते हैं | इनमें पौष्टिक तत्त्व व रेशे भी अधिक होते हैं | ये एक बेहतर प्राकृतिक टॉनिक का कार्य करते हैं |

पालक
पालक की भाजी रक्त की वृद्धि व शुद्धि करती है और हड्डियों को मजबूत बनाती है | यह पेटसंबंधी बीमारियों में औषधि का कार्य करती है तथा आँतों में मल का संचय नहीं होने देती |

बुखार, पथरी, आँतों के रोग, कब्ज, रक्ताल्पता, रतौंधी, यकृत – विकार, पीलिया, बालों के असमय गिरने, प्रदर रोग आदि में यह लाभदायक है | बच्चों की शारीरिक वृद्धि एवं पोषण में तथा गर्भिणी स्त्रियों के लिए यह बहुत उपयोगी है |

प्रतिदिन पालक के रस के सेवन से शरीर की शुष्कता व रक्त के विकार नष्ट होते हैं | १०० ग्राम पालक के रस में १०० ग्राम गाजर का रस मिलाकर पीने से तेजी से रक्त की वृद्धि होती है व नेत्रज्योति बढ़ती है | सूखा रोग में बच्चों को आधी कटोरी पालक का रस नियमित रूप से देना चाहिए |

बथुआ ( मराठी में चाकवत  भाजी )
बथुआ पथ्यकर व उत्तम शाक है | यह आँखों के लिए विशेष हितकर है | 
यह बल – वीर्य को बढ़ाता है, त्रिदोष ( वात, पित्त व कफ ) को शांत करके उनसे उत्पन्न विकारों को नष्ट करता है | आमाशय व यकृत को शक्ति प्रदान करता है | यह पाचनशक्ति को विकसित कर भूख बढ़ाता है | इसके सेवन से मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है | बवासीर में यह बहुत लाभदायी है | कृमि, अम्लपित्त, अजीर्ण, मिर्गी, दमा, खाँसी, प्लीहावृद्धि आदि में भी लाभकारी है | कब्ज की तकलीफ होने पर २ -३ दिन बथुए का रायता खाने से लाभ होता है |

मूली के पत्ते
ये रुचिकर, हलके, गर्म तथा पाचक होते हैं | इनमें लौह तत्त्व (iron) पर्याप्त मात्रा में होता है |
ये यकृत, प्लीहा व गुर्दे के रोग, हिचकी, मूत्रसंबंधी विकार, उच्च रक्तचाप, मोटापा, बवासीर, खून की कमी व पाचन-संबंधी गड़बड़ियों में खूब लाभदायी हैं | मूली के पत्तों का ५० ग्राम रस कुछ दिन लेना सूजन में फायदेमंद है |

मेथी
मेथी की भाजी गर्म, पित्तवर्धक, सूजन मिटानेवाली व मृदु विरेचक होती है | यह वायु, कफ व ज्वर नाशक है | कृमि, पेट के रोग, संधिवात, कमरदर्द व शारीरिक पीड़ा में लाभदायी है | पित्त-प्रकोप, अम्लपित्त व दाह में मेथी न खायें |

पेट में गैस की समस्या तथा गठिया व अन्य वातरोगों में नियमित रूप से इसका सेवन लाभकारी है | प्रसव के बाद इसका सेवन विशेषरूप से करना चाहिए | यह कब्ज को नष्ट करके उदर-रोगों से सुरक्षित रखती है |

५० मि.ली. मेथी के पत्तों के रस में शहद मिला के कुछ दिन पीने से यकृत व पित्ताशय के विकारों एवं बहुमुत्रता में बहुत लाभ होता है |


स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – आक्टोबर २०१६ से    

इन तिथियों का लाभ लेना न भूलें



६ नवम्बर : रविवारी सप्तमी ( दोपहर १२:१७ से ७ नवम्बर सूर्योदय तक )

९ नवम्बर : अक्षय –आँवला नवमी ( इस दिन किया हुआ जप – ध्यान आदि पुण्यकर्म अक्षय होता है | आँवले के वृक्ष के नीचे बैठकर जप, पूजन करें |)

११ नवम्बर : त्रिस्पृशा देवउठी – प्रबोधिनी एकादशी ( इस दिन उपवास करने से १००० एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है | जप, होम, दान सब अक्षय होता है | इस दिन गुरु का पूजन करने से भगवान प्रसन्न होते हैं व भगवान विष्णु की कपूर से आरती करने पर अकाल मृत्यु नहीं होती | )

१६ नवम्बर : विष्णुपदी संक्रांति ( पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर १२:२४ तक ) ( विष्णुपदी संक्रांति में किये गये जप – ध्यान व पुण्यकर्म का फल लाख गुना होता है | - पद्म पुराण )

२० नवम्बर : रविवारी सप्तमी ( सूर्योदय से रात्रि १:५८ तक )

२५ नवम्बर : उत्पत्ति एकादशी ( व्रत करने से धन, धर्म और मोक्ष की प्राप्ति होती है | - पद्म पुराण )

२८ नवम्बर : सोमवती अमावस्या ( दोपहर ३:२१ से २९ नवम्बर सूर्योदय तक )


स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – आक्टोबर २०१६ से    

शहदयुक्त त्रिफला टेबलेट

यह गोली श्रेष्ठ रसायन, बलप्रद एवं पौष्टिक है | यह नेत्रों के लिए हितकर, वर्ण एवं स्वर को उत्तम करनेवाली, वीर्यवर्धक, भूख बढ़ानेवाली एवं रुचिकारक है | इसके नियमित सेवन से मस्तिष्क – रोग, दंतरोग, ह्रदयरोग एवं गुर्दों की विभिन्न बीमारियों से रक्षा होती है | यह चर्मरोग, मोटापा, दमा, खाँसी, कब्ज, पेट का फूलना, अजीर्ण आदि में भी लाभदायक है |

ये सभी नजदीकी संत श्री आशारामजी आश्रम या समिति के सेवाकेंद्र पर उपलब्ध  है |



स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – आक्टोबर २०१६ से    

Tuesday, October 25, 2016

पंचगव्य घी

यह उन्माद, अपस्मार, मानसिक अवसाद आदि मानसिक व्याधियों में विशेष हितकर है | क्षय, दमा, खाँसी, धातुक्षीणता, जीर्णज्वर, रक्ताल्पता तथा त्वचाविकारों में लाभदायक है |

ये सभी नजदीकी संत श्री आशारामजी आश्रम या समिति के सेवाकेंद्र पर उपलब्ध  है |



स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – आक्टोबर २०१६ से    

संजीवनी टेबलेट

प्रंचड रोगनाशक क्षमता से युक्त यह गोली व्यक्ति को शक्तिशाली, ओजस्वी, तेजस्वी व मेधावी बनाती है | सप्तधातु व पंचज्ञानेंद्रियों को दृढ़ बनाकर वृद्धावस्था को दूर रखती है | ह्रदय, मस्तिष्क व पाचन-संस्थान को विशेष बल प्रदान करती है |

ये सभी नजदीकी संत श्री आशारामजी आश्रम या समिति के सेवाकेंद्र पर उपलब्ध  है |



स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – आक्टोबर २०१६ से    

तुलसी टेबलेट

यह पौष्टिक, शक्तिवर्धक व उत्कृष्ट वीर्यवर्धक है | यह स्निग्ध, त्रिदोषशामक, कृमिनाशक तथा ह्रदय, मूत्र व प्रजनन संस्थान एवं आँतों के लिए विशेष हितकारी है | इसके सेवन से भूख खुलकर लगती है, धातु की रक्षा होती है तथा रोगप्रतिकारक शक्ति, ओज-तेज व बल में वृद्धि होती है |

ये सभी नजदीकी संत श्री आशारामजी आश्रम या समिति के सेवाकेंद्र पर उपलब्ध  है |



स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – आक्टोबर २०१६ से 

हर घर में हो मंत्रशक्ति के रहस्यों से भरपूर यह अद्भुत संग्रह

१] मंत्र का प्रभाव, २] मंत्रजप महिमा, ३] मंत्रशक्ति की दस बातें, ४] मंत्रदीक्षा से जीवन – विकास, ५] मंत्रजप से भाग्योदय और स्वास्थ्य – लाभ     

मंत्र माने क्या ? मंत्र = मन तर जाय दु:खों, चिंताओं, तनावों, कष्टों, विघ्न-बाधाओं और समस्त बंधनों से, ऐसी ऋषियों-महापुरुषों की रामबाण कुंजियाँ |

मंगल ग्रह की शांति, क्रोध को वश करने का बीजमंत्र आदि अनेक मंत्रों का संग्रह |

इस सेट के साथ प्रसादरूप में पायें संत – माहात्माओं का अनमोल प्रसाद : आयुर्वेदिक संतकृपा नेत्रबिंदु

ये पाँच वीसीडी सेट का मूल्य : मात्र रु. १९० /- (डाक खर्च सहित)     

ये वीसीडी सेट सभी नजदीकी संत श्री आशारामजी आश्रम या समिति के सेवाकेंद्र पर उपलब्ध  है |


स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – आक्टोबर २०१६ से

Friday, October 14, 2016

अमिट पुण्य अर्जित करने का काल – कार्तिक मास

(कार्तिक मास व्रत : १६ अक्टूबर से १४ नवम्बर )

स्कंद पुराण में लिखा है : कार्तिक मास के समान कोई और मास नहीं हैं, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान दूसरा कोई तीर्थ नहीं है |’ – ( वैष्णव खण्ड, का.मा. : १.३६-३७)

कार्तिक मास में सुबह नींद में से उठते ही अपने शुभ ( आत्मा-परमात्मा) का चिंतन करें | आज क्या देय ( देने योग्य ) है ?  क्या अनुकरणीय है और क्या त्याज्य है ? – यह विचार कर लें | फिर शांतचित्त होकर अपने परमात्मदेव का सुमिरन करने एवं मंत्रजप के बाद जिस तरफ के नथुने से श्वास चलता हो वही हाथ मूँह की उसी तरफ घुमाये और वही पैर धरती पर रखें तो मनोरथ सफल होता है |

कार्तिक मास में वर्जित

ब्रह्माजी ने नारदजी को कहा : ‘कार्तिक मास में चावल, दालें, गाजर, बैंगन, लौकी और बासी अन्न नहीं खाना चाहिए | जिन फलों में बहुत सारे बीज हों उनका भी त्याग करना चाहिए और संसार – व्यवहार न करें |’

कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी

प्रात: स्नान, दान, जप, व्रत, मौन, देव – दर्शन, गुरु – दर्शन, पूजन का अमिट पुण्य होता है | सवेरे तुलसी का दर्शन भी समस्त पापनाशक है | भूमि पर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन, दीपदान, तुलसी – वन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है |

भगवदगीता का पाठ करना तथा उसके अर्थ में अपने मन को लगाना चाहिए | ब्रह्माजी नारदजी को कहते हैं कि ‘ऐसे व्यक्ति के पुण्यों का वर्णन महीनों तक भी नहीं किया जा सकता |’ 

श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना भी विशेष लाभदायी है | 'ॐ नमो नारायणाय '| इस महामंत्र का जो जितना अधिक जप करें, उसका उतना अधिक मंगल होता है | कम – से – कम १०८ बार तो जप करना ही चाहिए |

प्रात: उठकर करदर्शन करें | ‘पुरुषार्थ से लक्ष्मी, यश, सफलता तो मिलती है पर परम पुरुषार्थ मेरे नारायण की प्राप्ति में सहायक हो’ – इस भावना से हाथ देखें तो कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी होता है |

सूर्योदय के पूर्व स्नान अवश्य करें

जो कार्तिक मास में सूर्योदय के बाद स्नान करता है वह अपने पुण्य क्षय करता है और जो सूर्योदय के पहले स्नान करता है वह अपने रोग और पापों को नष्ट करनेवाला हो जाता है | पुरे कार्तिक मास के स्नान से पापशमन होता है तथा प्रभुप्रीति और सुख – दुःख व अनुकूलता – प्रतिकूलता में सम रहने के सदगुण विकसित होते हैं |     
हम छोटे थे तब की बात है | हमारी माँ कार्तिक मास में सुबह स्नान करती, बहनें भी करतीं, फिर आस - पडोस की माताओं - बहनों के साथ मिल के भजन गातीं | सूर्योदय से पहले स्नान करने से पुण्यदायी ऊर्जा बनती है, पापनाशिनी मति आती है | कार्तिक मास का आप लोग भी फायदा उठाना |

३ दिन में पुरे कार्तिक मास के पुण्यों की प्राप्ति

कार्तिक मास के सभी दिन अगर कोई प्रात: स्नान नहीं कर पाये तो उसे कार्तिक मास के अंतिम ३ दिन – त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा ( इस वर्ष में  १२, १३, १४ नवम्बर २०१६ ) को 'ॐकार' का जप करते हुए सुबह सूर्योदय से तनिक पहले स्नान कर लेने से महीनेभर के कार्तिक मास के स्नान के पुण्यों की प्राप्ति कही गयी है |

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स्त्रोत – ऋषिप्रसाद -अक्टूबर २०१५ से 

Sunday, October 9, 2016

परम लाभ दिलानेवाले पंच पर्वों का पुंज : दीपावली

(दीपावली पर्व : २८ अक्टूबर से १ नवम्बर )

धनतेरस :

‘स्कंद पुराण’ में आता है कि धनतेरस को दीपदान करनेवाला अकाल मृत्यु से पार हो जाता है | धनतेरस को बाहर की लक्ष्मी का पूजन धन, सुख-शांति व आंतरिक प्रीति देता है | जो भगवान की प्राप्ति में, नारायण में विश्रांति के काम आये वह धन व्यक्ति को अकाल सुख में, अकाल पुरुष में ले जाता है, फिर वह चाहे रूपये – पैसों का धन हो, चाहे गौ – धन हो, गजधन हो, बुद्धिधन हो या लोक – सम्पर्क धन हो | धनतेरस को दीये जलाओगे .... तुम भले बाहर से थोड़े सुखी हो, तुमसे ज्यादा तो पतंगे भी सुख मनायेंगे लेकिन थोड़ी देर में फड़फड़ाकर जल – तप के मर जायेंगे | अपने – आपमें, परमात्मसुख में तृप्ति पाना, सुख - दुःख में सम रहना, ज्ञान का दीया जलाना – यह वास्तविक धनतेरस, आध्यात्मिक धनतेरस है |

नरक चतुर्दशी :

काली चौदस की रात, कालरात्रि साधकों के लिए तपस्या और मंत्रसिद्धि का अवसर प्रदान करनेवाली है | इस रात्रि का जागरण और जप चितशक्ति को परमात्मा में ले जाने में बड़ी मदद करते हैं |

दीपावली :

दीपावली में  ४ काम करने होते हैं –
१] एक तो घर का कचरा निकाल देना होता है ; जो आप दुःख, चिंता, भय, शोक, घृणा पैदा करें ऐसे हीनता – दीनता के, हलके विचारों को निकाल दें |
२] दूसरा, नयी चीज लानी होती है तो आप शांति, स्नेह, औदार्य और माधुर्य पैदा करें ऐसे नये विचार अपने चित्त में अधिक भरें |
३] तीसरी बात,  दीया जलाया जाता है अर्थात जो कुछ भी करें, आत्मज्ञान के प्रकाश में करें | काम आ गया, क्रोध, चिंता, भय आ गये लेकिन आये हैं तो अपने आत्मप्रकाश में उनको देखें, उनमें बहें नहीं तो ज्योति से ज्योति जगेगी | परिस्थिति के साथ भले थोड़ी देर मिल जायें लेकिन परिस्थिति तुम्हें दबाये नहीं, आकर्षित न करे |
४]  चौथा काम, मिठाई खाते और खिलाते हैं अर्थात हम प्रसन्न रहें और प्रसन्नता बाँटे | शत्रु को भी टोटे चबवाने की अपेक्षा खीर – खाँड़ खिलाने का विचार करें तो आपके चित्त में मधुरता रहेगी |

नूतन वर्ष –

वर्ष प्रतिपदा के दिन सत्संग के विचारों को बार – बार विचारना | भगवन्नाम का आश्रय लेना |

दीपावली की रात्रि को सोते समय यह निश्चय करेंगे कि ‘कल का प्रभात हमें मधुर करना है |’ वर्ष का प्रथम दिन जिनका हर्ष – उल्लास और आध्यात्मिकता से जाता है, उनका पूरा वर्ष लगभग ऐसा ही बीतता है | सुबह जब उठें तो ‘शांति, आनंद, माधुर्य .... आधिभौतिक वस्तुओं का, आधिभौतिक शरीर का हम आध्यात्मिकीकरण करेंगे क्योंकि हमें सत्संग मिला है, सत्य का संग मिला है, सत्य एक परमात्मा है | सुख-दुःख आ जाय, मान-अपमान आ जाय, मित्र आ जाय, शत्रु आ जाय, सब बदलनेवाला है लेकिन मेरा चैतन्य आत्मा सदा रहनेवाला है |’ – ऐसा चिंतन करें और श्वास अंदर गया ‘सोऽ ....’, बाहर आया ‘हम......’, यह हो गया आधिभौतिकता का आध्यात्मिकीकरण, अनित्य शरीर में अपने नित्य आत्मदेव की स्मृति, नश्वर में शाश्वत की यात्रा |

सुबह उठ के बिस्तर पर ही बैठकर थोड़ी देर श्वासोच्छ्वास को गिनना, अपना चित्त प्रसन्न रखना, आनंद उभारना |

भाईदूज –

यह भाई – बहन के निर्दोष स्नेह का पर्व है | बहन को सुरक्षा और भाई को शुभ संकल्प मिलते हैं | 


स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१६ से 

लक्ष्मीप्राप्ति हेतु साधना

जो धन चाहते हैं, उनको दीपावली की दिन यह मंत्र जपना चाहिए :

ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद्महे |
अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि | तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात् |

स्थिर लग्न में, स्थिर मुहूर्त में जप धन को स्थिर करता है | दिवाली की रात लक्ष्मीप्राप्ति के लिए स्थिर लग्न माना गया है | लक्ष्मीप्राप्ति के लिए जापक को पश्चिम की तरह मूँह करके बैठना चाहिए | पश्चिमे च धनागम: |

तेल का दीपक व धूपबत्ती लक्ष्मीजी की बायीं ओर, घी का दीपक दायीं ओर एवं नैवेद्य आगे रखा जाता है | 

लक्ष्मीजी को तुलसी, मदार ( आक ) या धुतरे का फुल नहीं चढ़ाना चाहिए, नहीं तो हानि होती है |


स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१६ से 

इन तिथियों का लाभ लेना न भूलें

२३ अक्टूबर : रविपुष्यामृत योग ( सूर्योदय से रात्रि ८-४० तक )

२६ अक्टूबर : रमा एकादशी ( यह व्रत बड़े – बड़े पापों को हरनेवाला, चिन्तामणि तथा कामधेनु के समान सब मनोरथों को पूर्ण करनेवाला है | ), ब्रह्मलीन श्री माँ महँगीबाजी का महानिर्वाण दिवस

२८ अक्टूबर : धनतेरस ( इस दिन घर के द्वार पर दीपदान करने से अपमृत्यु का भय नहीं होता | )

२९ अक्टूबर : नरक चतुर्दशी ( शाम की संध्या और रात्रि में मंत्रजप करने से मंत्र सिद्ध होता है | )

३० अक्टूबर : दीपावली ( रात्रि में किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है | )

३१ अक्टूबर : नूतन वर्षारम्भ ( गुजरात ), बलि प्रतिपदा ( पूरा दिन शुभ मुहूर्त, सर्व कार्य सिद्ध करनेवाली तिथि )

६ नवम्बर : रविवारी सप्तमी ( दोपहर १२-१७ से ७ नवम्बर सूर्योदय तक )

९ नवम्बर : अक्षय – आँवला नवमी ( इस दिन किया हुआ जप-ध्यान आदि पुण्यकर्म अक्षय होता है | आँवले के वृक्ष के नीचे बैठकर जप, पूजन करें, इससे विशेष लाभ होता है |)

११ नवम्बर : त्रिस्पृशा देवउठी – प्रबोधिनी एकादशी ( इस दिन उपवास करने से १००० एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है | जप, होम, दान सब अक्षय होता है | यह उपवास हजार अश्वमेध तथा सौ राजसूय यज्ञों का फल देनेवाला, ऐश्वर्य, सम्पत्ति, उत्तम बुद्धि, राज्य तथा सुख प्रदाता है | मेरु पर्वत के समान बड़े-बड़े पापों को नाश करनेवाला, पुत्र-पौत्र प्रदान करनेवाला है | इस दिन गुरु का पूजन करने से भगवान प्रसन्न होते हैं व भगवान विष्णु की कपूर से आरती करने पर अकाल मृत्यु नहीं होती | )

१६ नवम्बर : विष्णुपदी संक्रांति ( पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर १२-२४ तक ) (विष्णुपदी संक्रांति में किये गये जप –ध्यान व पुण्यकर्म का फल लाख गुना होता है | - पद्म पुराण )

२० नवम्बर : रविवारी सप्तमी ( सूर्योदय से रात्रि १-५८ तक )


स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१६ से 

काया को पवित्र व निर्मल बनानेवाला तुलसी – प्रयोग

बुद्धि को तेजस्वी व निर्मल बनाने का एक सरल प्रयोग बताते हुए पूज्यश्री कहते हैं : 
“यदि प्रात:, दोपहर और संध्या के समय तुलसी का सेवन किया जाय तो उससे मनुष्य की काया इतनी शुद्ध हो जाती है जितनी अनेक बार चान्द्रायण व्रत रखने से भी नहीं होती | तुलसी तन, मन और बुद्धि – तीनों को निर्मल, सात्त्विक व पवित्र बनाती है | यह काया को स्थिर रखती है, इसलिए इसे ‘कायस्था’ कहा गया है |"

"त्रिकाल संध्या के बाद ७ तुलसीदल सेवन करने से शरीर स्वस्थ, मन प्रसन्न और बुद्धि तेजस्वी व निर्मल बनती है |”



स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१६ से 

विघ्न – बाधाओं और प्रलोभनों से कैसे बचें ?

आधा घंटा ॐकार के गुंजन के साथ एकटक इष्ट या गुरुदेव के श्रीचित्र को देखते रहो | 

तो आपको एक सप्ताह में ऐसी धृति ( धैर्य; ग्रहण या धारण क्षमता ) प्राप्त होगी कि व्यावहारिक विघ्न-बाधाओं और प्रलोभनों से आप प्रभावित न रहकर अपने आत्मा-परमात्मा के उद्देश्य में टिके रहोगे |



स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१६ से 

शलगम में छुपे स्वास्थ्य के गुण

शलगम का साग, सलाद व सूप के रूप में उपयोग किया जाता है | यह एंटीऑक्सीडेंट, खनिज लवण ( कैल्शियम, लौह, ताँबा आदि ), विटामिन्स (बी, सी ) व रेशे का अच्छा स्त्रोत है | आधुनिक शोधों के अनुसार ‘शलगम के सेवन से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है तथा कैंसर, सूजन, मोटापा, मधुमेह, ह्रदयरोगों से बचाव होता है | उससे उच्च रक्तचाप कम करने में मदद मिलती है | पेट तथा पाचन के विकारों में बहुत ही लाभदायक है | पेट साफ़ रहता है, कब्जियत दूर होती है |’

नियमित सेवन के लाभ

१] कच्चा शलगम चबा के खाने से दाँत व मसूड़े मजबूत होते हैं |

२] जिसका ह्रदय कमजोर हो, उसे कच्चा शलगम चबा – चबा के खाना चाहिए | सूप के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं |

३] मधुमेह के रोगियों को लाभदायक है | इससे रक्ताल्पता भी दूर होती है |

४] शलगम को उबाल के उस पानी में पैर रख के बैठने से पैरों की सूजन व बिवाइयों से राहत मिलती है |

५] मुत्रावरोध में शलगम व मूली का रस मिला के पीने से मूत्र खुल के निष्कासित होने लगता है |

६] गला बैठने पर तथा गाने और भाषण देनेवालों के लिए शलगम का साग लाभदायक है |

७] हड्डियों का विकास ठीक से होता है | जिन बच्चों की हड्डियाँ कमजोर हो उन्हें गाजर के रस के साथ शलगम का रस मिला के देने से लाभ होता है |



स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१६ से 

विद्यार्थियों को सफलता दिलानेवाला - डीवीडी सेट

बाल संस्कार ( भाग – १ से ४ ), योगासन, विद्यार्थियों के लिए, बच्चों के लिए वरदान, क्या जादू है तेरे ॐ में, बापूजी की बगिया के महकते फूल, माँ-बाप को मत भूलना, २५ दिसम्बर

इनमें आप पायेंगे : 
१] विद्यार्थियों को उन्नत और महान बनानेवाले सत्संग व रोचक प्रेरक प्रसंग 
२] बापूजी की अनमोल युक्तियाँ 
३] विधिसहित योगासन, प्राणायाम, मुद्राएँ और व्यायाम  
४] बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम


डीवीडी सेट का मूल्य : रु. ५६०/- ( डाक खर्च सहित)  इस सेट के साथ पायें १ डीवीडी नि:शुल्क !

उपरोक्त डीवीडी सेट आप अपने नजदीकी संत श्री आशारामजी आश्रम या समिति के सेवाकेंद्र से प्राप्त कर सकते हैं | रजिस्टर्ड पोस्ट से मँगवाने हेतु सम्पर्क : (०७९) ३९८७७७३०
ई-मेल :satsahityamandir@gmail.com



स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१६ से 

निरोगता, ओज – तेज व प्रसन्नता प्रदायक सत्साहित्य सेट

आरोग्यनिधि ( भाग – १ व २ ), योगासन, जीवनोपयोगी कुंजियाँ, क्या करें – क्या न करें, गागर में सागर, निरोगता का साधन

इनमें आप पायेंगे : 
१] स्वस्थ रहने के घरेलू उपाय 
२] परम सुखी होने की कला 
३] घर में सुख-शान्ति लाने के उपाय 
४] शक्ति, स्फूर्ति व निरोगता दायक योगासन 
५] किस सुरक्षा से राष्ट्र-सुरक्षा सम्भव ?

सत्साहित्य सेट का मूल्य : रु. ८०/- ( डाक खर्च सहित )

उपरोक्त सत्साहित्य सेट आप अपने नजदीकी संत श्री आशारामजी आश्रम या समिति के सेवाकेंद्र से प्राप्त कर सकते हैं | रजिस्टर्ड पोस्ट से मँगवाने हेतु सम्पर्क : (०७९) ३९८७७७३०
ई-मेल :satsahityamandir@gmail.com


स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१६ से