Search This Blog

Thursday, March 31, 2022

ग्रीष्म में पौष्टिक व लाभदायी प्रयोग

 

१] २ -३ खजूर तथा २० – २५ किशमिश या मनुक्का ३ – ४ बार अच्छी तरह धोकर रात को मिटटी के पात्र में ( मिटटी – पात्र न हो तो स्टील के पात्र में ) २५० मि.ली. पानी में भिगो दें | किशमिश व मनुक्का कभी-कभी गोमूत्र ( या गोमूत्र अर्क) की कुछ बुँदे पानी में डाल के उससे भी धो सकते हैं | सुबह मसलकर १ चम्मच आँवला या नींबू रस, यथावश्यक मिश्री व सैंधव नमक मिला के पियें | यह शरीर की थकान और कमजोरी दूर करके तुरंत शक्ति प्रदान करनेवाला पौष्टिक पेय है |

२] सौंफ व मिश्री समान मात्रा में कूटकर रखें | १ चम्मच मिश्रण शीतल जल या देशी गोदुग्ध में मिला के सुबह-शाम पियें |यह शीघ्र स्फूर्तिदायक है, साथ ही मस्तिष्क व नेत्रों की कमजोरी, ह्रदयरोग व रक्तविकारों में भी लाभकारी है | सौंफ वात-पित्तशामक, कफ – निस्सारक, जलन, प्यास, उलटी, बवासीर, नेत्ररोग आदि में लाभदायी है | कहा भी गया है :

शीतल जल में डालकर सौंफ गलाओ आप |

मिश्री के संग पान कर मिटे दाह-संताप ||


                                                                                                                 ऋषिप्रसाद – मार्च २०२२ से 

अमृतबिंदु

 

·       जो वाणी का, विचारों का और समय का सदुपयोग करता है वह सत्यस्वरूप को पा लेता है, चित्त के स्फुरणो से ऊपर उठ जाता है |

·       आप जो भी काम करते हो, अगर वह ईश्वर के रास्ते जाने के लिए सहयोग देता हैं तो पुण्यकर्म हैं और ईश्वर से विमुख करता है तो पापकर्म है |

·       जिनके पास जपरूपी शस्त्र होता है उनको काल का भय नही रहता, भूत -प्रेत का भय नहीं रहता और मेरा क्या होगा?’ यह चिंता भी नहीं रहती |

·       मन में हो भगवान के लिए प्रीति, व्यवहार में हो भगवान के लिए सदभाव और धर्म एवं इन्द्रियों में हो संयम तो छोटे-से-छोटा व्यक्ति भी साक्षात भगवदरूप हो जायेगा |

·       उत्तम शिष्य हनुमानजी जैसे होते हैं, वे गुरु की सेवा खोज लेते हैं |

·       आत्मा को निहारकर अपना बेडा पार कर लो, छोटी-छोटी बातों में कब तक उलझते रहोगे ?

·       विषय-विकारों में सुखाभास है, सच्चा सुख तो आत्मा में हैं |

·       परमात्मसुख के सिवाय जो भी सुख मिलेगा वह जीव को धोखे में ही डालता है बेचारा |

·       जिनका राग-द्वेष चला गया वे मानो परमेश्वर ही है |

·       हमारा लक्ष्य भारतीय संस्कृति की रक्षा करना है, इसकी ऊँचाइयों को छूना है |

·       संत-पुरुषों की वाणी, उनके दर्शन, सान्निध्य और उनकी दृष्टी से जीवों के ह्रदय पवित्र होते हैं |

·       जीवन का अंत होने से पहले सच्चिदानंद से आपका तालमेल हो जाना यह सच्ची उपलब्धि है |

·       जब तक जीवत्व है तब तक कर्तव्य है, जब चिदाकाश हो गये तब अंत:करण में कोई कर्तव्य नहीं रहता |

·       जो सतशिष्य है वह मान और मत्सर (ईर्ष्या, द्वेष) से रहित होता है |

·       सत्संग के बिना आत्मचिन्तामणि का प्रकाश नहीं होता |

·       जब ज्ञानवान पुरुषों की कृपा होती है तब जीवन, वास्तविक जीवन के रास्ते पर चलना शुरू करता है |

·       जिसको जल्दी उन्नति करनी हो वह गुरुओं की दृष्टी में रहे ताकि अपना मन दगा न दे पाये |

·       जो सत्संग करते, करवाते या उसमें साझेदार होते है उनकी ७ – ७ पीढ़ियों का उद्धार होता है |

·       सेवा में तत्परता है और स्वार्थ नहीं है, द्वेष नहीं है, राग नहीं है तो वह कर्मयोग बन जायेगा |

·       संकट या विघ्न दिखते भयंकर हैं लेकिन आते है आपके विकास के लिए, आत्मबल बढाने के लिए |

·       सच्चे संतो से समाज विमुख हो जाय तो समाज को शांति, भाईचारा और सदाचार कहाँ से मिलेगा ?

·       आप जहाँ हो वहाँ अगर प्रसन्न नहीं हो तो वैकुण्ठ में भी प्रसन्नता मिलना सम्भव नहीं है |

·       श्रद्धा के साथ वेदान्त-ज्ञान होगा तभी आप दूसरों का हित कर सकते है |

·       शुद्ध ज्ञान में जगने के लिए इन्द्रियों को विषय-विकारों के श्रम से बचाये |

·       वे ही दु:खी और विफल होते हैं जो ईश्वरीय सिद्धांत के खिलाफ काम करते हैं |

·       जो किसीकी निंदा करते हैं, सुनते हैं वे अपने साथ अनर्थ करते हैं |

·       भगवान का ज्ञान जिनके ह्रदय में हो जाता है उनका ह्रदय दाता के गुणों से अपने-आप भर जाता है |

·       उत्साह, मनोबल और आनंदबल बढाकर शरीर से काम लेनेवाले सदा जवान रहते है |

·       जब तक भक्ति का रंग नहीं लगता तब तक संसार का रंग छूटता नहीं |

·       ईश्वर का रास्ता इतना सुगम है कि जहाँ से तुम चलते हो वहीँ मंजिल है |

·       ईर्ष्यारहित व्यक्ति को अंतर का सुख प्राप्त होता है |

·       आवेश से हमारी शक्तियाँ क्षीण होती हैं और समता से उनका विकास होता है |

·       संत का सान्निध्य भगवान के सान्निध्य से भी बढकर माना गया है |

·       लोग अभाव से दु:खी नहीं होते, नासमझी से दु:खी होते हैं |

·       दूसरे के अधिकार की रक्षा करते हुए सेवा करते हैं तो वह भजन हो जाता है |


ऋषिप्रसाद – मार्च २०२२ से

हानिकारक शक्कर का उत्तम विकल्प : देशी गुड़

 

देशी गुड़ स्निग्ध, बल-वीर्यवर्धक, वात-पित्तशामक, पचने में भारी, मूत्र की शुद्धि करनेवाला एवं नेत्र-हितकर है | यह हड्डियों और मासपेशियों को सशक्त बनाने में सहायक है |

पुराना गुड़ पचने में हलका, रुचिकारक, ह्रदय-हितकर, थकान दूर करनेवाला, भूखवर्धक व रक्त को साफ़ करनेवाला है | गुड़ को संग्रहित करके रखें व एक वर्ष पुराना होने पर खायें, यह विशेष हितकारी है | इससे गुड़ के हानिकारक प्रभाव से भी रक्षा होगी |

भैषज्यरत्नावली के अनुसार पुराना गुड़ नहीं मिलने पर नये गुड़ को १२ घंटे तीव्र धूप में रखकर उपयोग कर सकते हैं |’

मैल को निकाले बिना जो गुड़ बनाया जाता है उसके सेवन से पेट में कृमियों की उत्पत्ति होती है | यह मेद, मांस, मज्जा तथा कफ को बढाता है | रासयनिक द्रव्यों के उपयोग से बनाया गया गुड़ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है |

सफेद जहर से बचें

गन्ने के रस में जितने प्रकार के पोषक तत्व विद्यमान होते हैं वे लगभग सभी तत्त्व गुड़ में पाये जाते हैं | अत: मीठे व्यंजनों में शक्कर के स्थान पर गुड़ का उपयोग हितकारी है | शक्कर शरीर को कोई खनिज तत्व या विटामिन नहीं देती बल्कि वह कैल्शियम , विटामिन डी जैसे शरीर के महत्वपूर्ण तत्त्वों का ह्रास कर देती है | वर्तमान में अधिकतर लोगों में पायी जानेवाली अस्थियों की दुर्बलता व भंगुरता का एक मुख्य कारण शक्कर है | यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया सैन फ्रांसिस्को के पीडियाट्रिक न्यूरो-एंडोक्रायनोलॉजिस्ट रॉबर्ट लस्टिंग कहते हैं कि “शक्कर बीमारियाँ बनाती हैं, यह जहर है |

यह ह्रदयरोग, कैंसर, मधुमेह जैसे गम्भीर रोगों का खतरा बढ़ा देती हैं | हानिकारक रसायनों से रहित पुराना देशी गुड़ इसका उत्तम विकल्प है |

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड एप्लिकेशन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार गुड़ में शरीर के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिज, जैसे – कैल्शियम, फोर्स्फोरस, मैग्नेशियम, पोटैशियम, लौह, जिंक, ताँबा, फोलिक एसिड तथा विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स आदि पाये जाते हैं |

सावधानियाँ :  रसायनरहित देशी गुड़ का ही सेवन करे | गुड़ की प्रकृति गर्म होने से गर्भवती महिलाएँ व पित्त प्रकृतिवाले लोग इसका सेवन अल्प मात्रा में करें | कृमि, मोटापन, बुखार, भूख कम लगना और मधुमेह आदि में गुड़ नहीं खाना चाहिए | गुड़ के साथ दूध व उड़द का सेवन न करें |                     

ऋषिप्रसाद – मार्च २०२२ से