Search This Blog

Thursday, March 31, 2022

हानिकारक शक्कर का उत्तम विकल्प : देशी गुड़

 

देशी गुड़ स्निग्ध, बल-वीर्यवर्धक, वात-पित्तशामक, पचने में भारी, मूत्र की शुद्धि करनेवाला एवं नेत्र-हितकर है | यह हड्डियों और मासपेशियों को सशक्त बनाने में सहायक है |

पुराना गुड़ पचने में हलका, रुचिकारक, ह्रदय-हितकर, थकान दूर करनेवाला, भूखवर्धक व रक्त को साफ़ करनेवाला है | गुड़ को संग्रहित करके रखें व एक वर्ष पुराना होने पर खायें, यह विशेष हितकारी है | इससे गुड़ के हानिकारक प्रभाव से भी रक्षा होगी |

भैषज्यरत्नावली के अनुसार पुराना गुड़ नहीं मिलने पर नये गुड़ को १२ घंटे तीव्र धूप में रखकर उपयोग कर सकते हैं |’

मैल को निकाले बिना जो गुड़ बनाया जाता है उसके सेवन से पेट में कृमियों की उत्पत्ति होती है | यह मेद, मांस, मज्जा तथा कफ को बढाता है | रासयनिक द्रव्यों के उपयोग से बनाया गया गुड़ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है |

सफेद जहर से बचें

गन्ने के रस में जितने प्रकार के पोषक तत्व विद्यमान होते हैं वे लगभग सभी तत्त्व गुड़ में पाये जाते हैं | अत: मीठे व्यंजनों में शक्कर के स्थान पर गुड़ का उपयोग हितकारी है | शक्कर शरीर को कोई खनिज तत्व या विटामिन नहीं देती बल्कि वह कैल्शियम , विटामिन डी जैसे शरीर के महत्वपूर्ण तत्त्वों का ह्रास कर देती है | वर्तमान में अधिकतर लोगों में पायी जानेवाली अस्थियों की दुर्बलता व भंगुरता का एक मुख्य कारण शक्कर है | यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया सैन फ्रांसिस्को के पीडियाट्रिक न्यूरो-एंडोक्रायनोलॉजिस्ट रॉबर्ट लस्टिंग कहते हैं कि “शक्कर बीमारियाँ बनाती हैं, यह जहर है |

यह ह्रदयरोग, कैंसर, मधुमेह जैसे गम्भीर रोगों का खतरा बढ़ा देती हैं | हानिकारक रसायनों से रहित पुराना देशी गुड़ इसका उत्तम विकल्प है |

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड एप्लिकेशन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार गुड़ में शरीर के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिज, जैसे – कैल्शियम, फोर्स्फोरस, मैग्नेशियम, पोटैशियम, लौह, जिंक, ताँबा, फोलिक एसिड तथा विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स आदि पाये जाते हैं |

सावधानियाँ :  रसायनरहित देशी गुड़ का ही सेवन करे | गुड़ की प्रकृति गर्म होने से गर्भवती महिलाएँ व पित्त प्रकृतिवाले लोग इसका सेवन अल्प मात्रा में करें | कृमि, मोटापन, बुखार, भूख कम लगना और मधुमेह आदि में गुड़ नहीं खाना चाहिए | गुड़ के साथ दूध व उड़द का सेवन न करें |                     

ऋषिप्रसाद – मार्च २०२२ से

No comments: