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Wednesday, September 30, 2020

इससे जीवनभर दाँत रहेंगे स्वस्थ व मजबूत

 

यदि मल-मूत्र त्याग के समय ऊपर – नीचे के दाँतों को भींचकर ( आपस में दबा के ) बैठा जाय तो दाँतों की अनेक बीमारियों से बचाव हो जाता है, डांट मजबूत होते हाउ और जीवनभर नहीं हिलते | इससे दाँतों से खून या पीप बहना बहुत शीध्र बंद हो जाता है | हिलते दाँत तो बहुत शीघ्र आश्चर्यजनक रूप से दृढ़ हो जाते हैं | मल-त्याग के समय मुँह बंद रखने से कीटाणुओं का मुँह में प्रवेश नहीं होता |


लोककल्याणसेतु – सितम्बर २०२० से

तेल का कवल धारण करने के लाभ

 

मुँह में तेल भरकर कुछ समय तक घुमाने को ‘तेल का कवल-धारण कहते हैं | इससे अनेक समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है, जैसे – हिलते दाँत, मसूड़ों से खून बहना, दाँतो में दर्द व पीलापन, कम दिखाई-सुनाई देना, कानदर्द,  कान में आवाज आना, मुँह का सुखना, मुँह में लार ज्यादा आना, गले के रोग आदि | इससे शरीर में ताजगी, स्फूर्ति, शक्ति, स्मरणशक्ति, अच्छी भूख, गहरी नींद स्वाभाविक रूप ले लौट आती है |

विधि : प्रात: खाली पेट एक चम्मच ( लगभग १०-१५ मि.ली.) तिल का शुद्ध गुनगुना तेल मुँह में घर लें | मुँह बंद रखकर उसे अच्छे -से चारों तरफ घुमायें | इससे अच्छी तरह लार बनती है और मुख की श्लेष्मिक झिल्ली के माध्यम से दोष और विषाक्त पदार्थ तेल में खींच लिए लिये जाते हैं | ऐसा करने से ८-१० मिनट में तेल दूषित, पतला और सफेद हो जाता है | फिर तेल को थूककर मुँह को गुनगुने पानी से अच्छी तरह साफ़ कर लें | यह प्रयोग प्रतिदिन एक बार कर सकते हैं |


लोककल्याणसेतु – सितम्बर २०२० से

स्वास्थ्य हितकारी सरल कुंजियाँ

 

१] पाचनशक्ति की कमजोरी : सौंफ और जीरा समान मात्रा में लेकर सेंक के रखो | भोजन के बाद चबा के खाओ तो पाचनशक्ति तेज होगी |

२] मिर्गी : किसीको मिर्गी की तकलीफ है तो २ चम्मच प्याज का रस पिलाकर ऊपर से आधा चम्मच भुना हुआ जीरा खिला दो | मिर्गी की बीमारी में ५ – १० दिन में लाभ होगा |

३] सौन्दर्य व निखार हेतु : मुलतानी मिटटी और आलू का र्स मिलाकर चेहरे पर लगाओ, चेहरे में सौन्दर्य और निखार आयेगा |

४] मसूड़ों की तकलीफ : जिनके मसूड़ों से खून बहता है वे मुँह में ५ से १५ बूंद नीबूं का रस डाल के मसूड़ों को घिसें | मसूड़ों से खून आना बंद हो जायेगा, दाँत मजबूत हो जायेंगे |

५] मुँह की दुर्गंध : नमक और काली मिर्च मिला के कभी-कभी मंजन करें तो मुँह में से दुर्गंध चली जायेगी |

६] फोड़े-फुंसी में : फोड़े-फुंसी निकले हैं, उनमें सफेद-सफेद मवाद है और लाल-लाल है तो यह पित्त और कफ का प्रभाव है | उनको नोचकर ऊपर से सरसों का तेल लगा दें और घृतकुमारी का सेवन करें तो कफ और पित्त सुबह शौच के द्वारा निकल जायेगा | फोड़े-फुंशी शांत हो जायेंगे |


लोककल्याणसेतु – सितम्बर २०२० से

वाणी ऐसी बोलें

 

वात्सल्यात्सर्वभूतेभ्यो वाच्या: श्रोत्रसुखा गिर: |

परितापोपघातश्च पारुष्यं चात्र गहिंतम ||

‘वाणी ऐसी बोलनी चाहिए जिसमें सब प्राणियों के प्रति स्नेह भरा हो तथा जो सुनते समय कानों को सुखद जान पड़े | दूसरों को पीड़ा देना, मारना और कटु वचन सुनना – ये सब निंदित कार्य है |’  - महाभारत, शान्ति पर्व : १९१:१४


लोककल्याणसेतु – सितम्बर २०२० से

Thursday, September 10, 2020

इन तिथियों का लाभ अवश्य लें

 


२७ सितम्बर : पद्मिनी (कमला) एकादशी ( पापनाशक तथा भक्ति, युक्ति व समस्त तीर्थों म यज्ञों का फलप्रदायक व्रत)

६ अक्टूबर  ; मंगलवारी चतुर्थी ( सूर्योदय से दोपहर १२:३३ तक)

११ अक्टूबर : रविपुष्यामृत योग ( सूर्योदय से रात्रि १: १९ तक)

१३ अक्टूबर : परमा (कामदा) एकादशी ( समस्त पाप, दुःख और दरिद्रता आदि को नष्ट करनेवाला व्रत | कीर्तन-भजन आदि सहित रात्रि-जागरण करना चाहिए | महादेवजी ने कुबेर को इसी व्रत के करने से धनाध्यक्ष बना दिया है |)

१७ अक्टूबर : शारदीय नवरात्र प्रारम्भ, संक्रांति ( पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर ११:०५ तक)

१८ अक्टूबर : पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का ५७ वाँ आत्मसाक्षात्कार दिवस

२० अक्टूबर : मंगलवारी चतुर्थी ( सूर्योदय से दोपहर ११:१९ तक)


ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से

 

धन, आरोग्य एवं शाति की प्राप्ति के लिए

 

जो व्यक्ति चतुर्मास में अथवा अधिक ( पुरुषोत्तम) मास में भगवान् विष्णु पर कनेर के पुष्प अर्पित करता है, उस पर लक्ष्मीजी की सदैव कृपा बनी रहती है | उसे आरोग्य एवं शाति की प्राप्ति होती है तथा उसके संकट दूर होते है |


ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से

कमरे में कैसा बल्ब लगायें ?

 



लाल रंग के बल्ब कमरे में लगाने से उसमें रहनेवाले का स्वभाव चिडचिडा होने लगता है

इसलिए कमरे में पारदर्शक, आसमानी अथवा हरे रंग का बल्ब लगाओ ताकि कमरे में रहनेवाले आनंदित रहें |


ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से

दोषो को नष्ट करने हेतु

 

अपने में जो कमजोरी है, जो भी दोष है उनको इस मन्त्र द्वारा स्वाहा कर दो | दोषों को याद करके मन्त्र के द्वारा मन-ही-मन उनकी आहुति दे डालो, स्वाहा कर दो |

मन्त्र :

ॐ अहं ‘तं’ जुहोमि स्वाहा | ‘तं’ की जगह पर विकार या दोष का नाम लें |

जैसे  : ॐ अहं ‘वृथावाणी जुहोमि स्वाहा |

ॐ अहं ‘कामविकार जुहोमि स्वाहा |

ॐ अहं ‘चिन्तादोश जुहोमि स्वाहा |

जो विकार तुम्हें आकर्षित करता है उसका नाम लेकर मन में ऐसी भावना करो कि ‘मैं अमुक विकार को भगवत्कृपा में स्वाहा कर रहा हूँ |’

इस प्रकार अपने दोषों को नष्ट करने के लिए मानसिक यज्ञ अथवा वस्तुजन्य ( यज्ञ-सामग्रीसे ) यज्ञ करो | इससे थोड़े ही समय में अंत:करण पवित्र होने लगेगा, चरित्र निर्मल होगा, बुद्धि फूल जैसी हलकी व निर्मल हो जायेगी,निर्णय ऊँचे होंगे | इस थोड़े-से श्रम से ही बहुत लाभ होगा | आपका मन निर्दोषता में प्रवेश पायेगा और ध्यान-भजन में बरकत आयेगी |

ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से

पित्त -शांतिकर एवं भूखवर्धक प्रयोग

 

सोंठ-मिश्री और  काली मिर्च, काला नमक मिलाय |

नींबू – रस में चूसिये, पित्त शांत हो जाय ||

सोंठ, मिश्री या शक्कर, काली मिर्च तथा काले नमक को सम्भाग लेकर पीस के रखें | इस मिश्रण को आधे काटे हुए नींबू पर बुरककर नींबू का रस एवं यह मिश्रण चूसने से पित्त शांत हो जाता है | इस प्रयोग से पाचनक्रिया सुधरती है | यकृत की क्रिया को बल प्राप्त होता है | अम्लपित्त की समस्या दूर होती है | भूख खूब खुलकर लगने लगती है | अपच नहीं रहता | मिचली तथा बार-बार पानी-पीने पर भी प्यास न बुझने की समस्या दूर हो जाती है |


ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से

गुर्दों kidneys की सुरक्षा हेतु व गुर्दों के विकारों में

 

क्या करें

१] जौ की रोटी, मूँगदाल, कुलथी, पुराने चावल, लौकी, तोरई . परवल, पेठा, देशी गाय जा दूध आदि का सेवन करें | सप्ताह में १-२ दिन पुनर्नवा ( गुजराती में साटोडी ) की सब्जी खायें |

२] कटिपिंडमर्दनासन, सुप्तवज्रासन, पादपश्चिमोत्तासन, प्राणायाम, सूर्यस्नान व स्थलबस्ति करें | १५ दिन में एक दिन पूर्णत: निराहार रहकर उपवास करें, केवल गुनगुना पानी पियें |

३] भोजन के बाद मूत्रत्याग हितकारी है |

४] सूर्योदय से कम-से-कम १ घंटा पूर्व उठें व रात को ताँबे के बर्तन में रखा हुआ २५०- ५०० मि.ली. पानी प्रात: बासी मूँह पियें |

५] सादे नमक के स्थान पर अल्प मात्रा में सेंधा नमक का उपयोग करें |

६] रसायन टेबलेट, पुनर्नवा अर्क व गोमूत्र अर्क का सेवन लाभदायी है |


क्या न करें

१] नमक, खमीरीकृत, मैदे व दूध से बने ( दही, पनीर, मावा आदि ) एवं पचने में भारी पदार्थ,  फास्ट फ़ूड, विरुद्ध आहार, टमाटर, अचार, चाय, कॉफ़ी व मिठाई का सेवन न करें | प्रोसेस्ड फ़ूड ( जैसे – ब्रेड, केक, बिस्कुट आदि) का सेवन न करें |

२] एल्युमिनियम व नॉन -स्टिक बर्तनों में भोजन न बनाये | रिफाइंड तेल का उपयोग न करें |

३] अनुचित समय पर सोने व जागरण से गुर्दों की कार्यक्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है | दिन में न सोयें |

४] मूत्र के वेग को न रोकें व पानी कम मात्रा में न पियें | पर्याप्त पानी न पीने से गुर्दों से विषैले पदार्थ बाहर न निकलने से पथरी तथा एनी रोग हो जाते है | (अत: पुरे दिन में कम-से-कम २ लीटर पानी अवश्य पियें |)

५] जिन्स आदि भारी, तंग कपड़े न पहने | शुद्ध सूती कपड़े पहने, जिससे पसीना निकलता रहे और गुर्दों पर दबाव कम पड़े |


ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से

पथरी व पेशाब की समस्याओं के लिए

 


चाहे मूत्राशय में पथरी हो, चाहे गुद्दे में हो, चाहे पित्ताशय में हो – कहीं भी पथरी हो, भूलकर भी ऑपरेशन नहीं करना | पत्थरचट्टा पोधे के २ -२ पत्ते रोज खाओ, इससे कुछ ही दिनों में पथरी चट हो जाती है | यह पथरी के लिए अक्सीर इलाज है | जिनको मैं यह प्रयोग बताया और उन्होंने किया तो उनकी पथरी निकल गयी | उन्होंने मेरे पास आ के धन्यवाद दिया, खुसी व्यक्त की | - पूज्य बापूजी

सुबह खाली पेट खाये तो आच्छा है | कहीं सुजन हो, छोटा – मोटा घुटने का दर्द हो, मोच आ रही हो तो इसके पत्ते को रगड़ के र्स निकालकर लगाने से लाभ होता है, और भी छोटे- मोटे बहुत सारे फायदे होते है |

पत्थरचट्टा का १ पत्ता बीच में से चीर के २ टुकड़े करो | चिरा हुआ भाग जमीन में गाड़ दो तो उसमे से दुसरे पौधे हो जायेंगे |

(गुर्दे – संबंधी रोगों की यह श्रेष्ठ गुणकारी औषधि है | रुक-रूककर पेशाब होने की समस्या में प्रतिदिन इसके २-३ पत्तों का सेवन करने से पेशाब खुल के होने लगता है |)


ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से

शरद ऋतू में कैसे रहें स्वस्थ ?

 

शरद ऋतू को रोगों की माँ कहते हैं – रोगाणां शारदी माता |

इस समय शरीर में जमा जो पित्त है वह उभरेगा | गर्मी-संबंधी बीमारियाँ आयेंगी | इसमें मासिक धर्म अधिक आने की सम्भावना होती है और जो घाव, फोड़ें-फुंसी हुए हों वे जल्दी न मिटें यह ऐसा मौसम है | इन दिनों में आपको तला हुआ नहीं खाना चाहिए, ज्यादा नहीं खाना चाहिए | मिर्च-मसाले को थोडा त्याग करना चाहिए |

सुबह जल्दी स्नान कर लेना चाहिए लेकिन भूलकर भी गर्भ पानी से नहीं नहाना | डॉक्टर ने कहा हो कि ‘गर्म पानी से ही नहाओ ठंडे से नहीं नहाओ |’ तो ठंडे पानी की ठंडक थोड़ी कम करो, गर्म पानी शरीर को नुकसान करेगा | फ्रिज का ठंडा पानी पीना मना है और एकदम गर्म पानी से स्नान करना भी स्वास्थ्य के लिए मना है |



इस ऋतू में यदि चन्द्रमा की चाँदनी में विहार करते हैं, घी डला हलवा, घुघुरी अर्थात गेहूँ आदि अन्न को रात में भिगो के सुबह उबालकर उसमें अल्प मात्रा में गुड़ डाल के खाते है तो वह फायदा करेगा : फूल . चंदन, मुलतानी मिट्टी का लेप फायदा करेगा | कड़वा रस पित्तशामक है | नीम की पत्तियाँ चबा के खाना | गिलोय आदि सेवन करने योग्य हैं | करेले का भी उपयोग करें, यह ज्वरनाशक है |



मीठे सेवफल सेवन करने योग्य है | हरड चूर्ण में मिश्री डालकर रख ले, ३ ग्राम से लेकर ५ – ६ ग्राम तक फाँकना | इससे आपका स्वास्थ्य बढ़िया रहेगा | पित्तशमन के लिय रात्री को २-४ ग्राम त्रिफला चूर्ण फाँक के गुनगुना पानी पियें |


ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से

ध्यान का उत्तम तरीका

 

विश्रांति ध्यान का उत्तम तरीका है | जो ध्यान को कोशिश करते है उनको अहंकार आड़े आता है लेकिन जो प्रेम से चुप बैठ जाते हैं और नींद से, आलस्य से बचते है, बीच – बीच में हरिनाम लेते है उनका तो ध्यान अपने – आप स्वभाव बन जाता है | 

जैसे गर्भिणी स्त्री को ध्यान करना नहीं पड़ता, ८-९ महीने का गर्भ हो तो उसे रटना नहीं पड़ता कि ‘मैं गर्भिणी हूँ, गर्भ की सहज स्वाभाविक स्मृति रहती है | ऐसे ही गर्भस्थ शिशु में और गर्भिणी में जो मेरा चैतन्य हृषिकेश बैठा है उसका मैं ध्यान नहीं करता हूँ, वह तो है ही हैं न ! उसमें विश्रांति पाता हूँ |


ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से

निर्भय बनो

 

हे विद्यार्थी ! तू अपने जीवन में दैवी सद्गुणों को भर दें, तभी तू इस लोक और परलोक – दोनों जगह सुखी रह सकेगा | दैवी गुणों में पहला गुण है – निर्भयता | जरा -जरा बात में डरो नहीं | जरा- जरा बात में घबराओ नहीं | डरना है , घबराना है तो पाप से डरो | ‘दोस्त की हाँ में हाँ नहीं मिलाऊँगा तो वह नाराज हो जाएगा – इससे मत डरो | 

दुराचारी, पापी, हिंसक लोग भले भयभीत रहें, सदाचारी, श्रेष्ठ लोग तो निर्भय बने रहें | निर्भयता शक्ति को विकसित करती है | निर्भय व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है, मन-बुद्धि भी बढिया रहते हैं | निर्भय व्यक्ति हर क्षेत्र में सफल होता है | भी के कारण बहुत साड़ी मुसीबतें आती है |


ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से

इनका रखें ध्यान

 

दोनों हाथो से सिर नहीं खुजलाना चाहिए | जूठे हाथों से सिर को स्पर्श नहीं करना चाहिए | नहीं तो बुद्धि मंद होती है |

ए जो गलती छुपाता है उसका गिरना चालू रहता है और जो गिरने की बात को भगवान के आगे, गुरु के आगे, अपने नजदीकी सत्संगी, विश्वासपात्र मित्र के आगे बोल के, रोकर पश्चाताप करके रास्ता खोजता है उसको भगवान बचा भी लेते हैं |


ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से

किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए

 

संसार में और भगवान् की प्राप्ति में सफल होने का सुंदर तरीका है |

१] अपनी योग्यता के अनुरूप परिश्रम में कोर-कसर न रखें |

२] अंदर में त्याग-भावना हो | परिश्रम का फल, सफलता का फल भोगने की लोलुपता का त्याग हो |

३] स्वभाव में स्नेह और सहानुभूति हो |

४] लक्ष्यप्राप्ति के लिए तीव्र लगन हो |

५] प्रफुल्लिता हो |

६] निर्भयता हो |

७] आत्मविश्वास हो |

तो व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफल हो जायेगा |

ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से