इससे सिर के सभी रोगों का शमन होता है | मस्तिष्क में रुके कफ व मल का विरेचन
होकर मस्तिष्क में शक्ति-संचार होता है | नाड़ियाँ बलवान बनती हैं तथा नाक, कान और
सिर के रोग नष्ट होते हैं |
सामान्य या बारम्बार की सर्दी, पुराना जुकाम, कान में
दर्द होने या मवाद बहने पर तथा सिरदर्द में यह बहुत लाभदायी हैं |
प्राप्ति हेतु नजदीकी संत श्री
आशारामजी आश्रम या समिति के सेवाकेंद्रोंपर सम्पर्क करें |
स्त्रोत : ऋषिप्रसाद – अगस्त २०१६ से
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