🔹क्या न खायें : वजन बढ़ाने हेतु जिन वस्तुओं का वर्णन इस पर्चे में किया गया है उनका सेवन न करें । आलू, पनीर, मावा, मिठाइयाँ, तले हुए पदार्थ, बिस्कुट-ब्रेड आदि बेकरी के पदार्थ, खमीरीकृत (fermented) पदार्थ, मुरब्बे, जैम, कैचअप, चॉकलेट्स, फास्ट फूड, जंक फूड, सॉफ्ट ड्रिंक्स, आइसक्रीम, शरबत आदि जिनमें अधिक तेल, घी, चीनी, गेहूं के आटे / मैदे का उपयोग किया गया हो ।
🔹क्या खायें : अल्प चिकनाईवाले, कड़वे, कसैले, अल्प शर्करा युक्त (low carbohydrate), अधिक रेशेवाले व कम कैलोरीवाले पदार्थ, जैसे - जौ, ज्वार, बाजरा, साँवाँ, कंगनी, मूँग, मसूर, मोठ, अरहर, करेला, मेथी व मेथीदाना, सहजन, मूली व मूली के पत्ते, हल्दी, सोंठ, ज्वार की धानी, मुरमुरे, भुने चने, ग्वारपाठा आदि । भोजन के बीच व बाद में गर्म पानी पियें, गाय का दूध (मलाईरहित) ले सकते हैं ।
🔹क्या करें : प्रातः ३ से ५ बजे के बीच प्राणायाम (इससे अंतःस्रावी ग्रंथियों का कार्य संतुलित होकर वजन नियंत्रित रहता है) । सूर्यस्नान, सूर्यनमस्कार, दौड़ने या चलने का व्यायाम व आसन । शारीरिक कार्य बढ़ायें, अधिक नींद से बचें । हो सके तो दिन में एक बार ही सुबह ९ से ११ के बीच भोजन करें, आवश्यक लगे तो शाम को ५ से ७ के बीच अल्पाहार लें ।
🔹भोजन धीरे-धीरे व खूब चबाकर करें । भोजन के बाद थोड़ा टहलें, वज्रासन में बैठें ।
🔹क्या न करें : दिन में बिल्कुल न सोयें । आरामप्रियता, सुखशीलता, एक स्थान पर सतत बैठे रहना, स्वादलोलुपता इनसे बचें । सुबह देर तक न सोयें ।
🔹 १ गिलास गुनगुने पानी में १ नींबू व २५ तुलसी पत्तों का रस अथवा १५-२० मि.ली. तुलसी अर्क व १ चम्मच शहद मिलाकर सप्ताह में २-३ दिन (रविवार को छोड़कर) सुबह खाली पेट लें ।
🔹वजन घटाने हेतु सहायक औषधियाँ : त्रिफला रसायन कल्प, शोधनकल्प चूर्ण, पंचरस, हरड़ चूर्ण या टेबलेट, त्रिफला चूर्ण या टेबलेट, गोमूत्र या गोमूत्र अर्क, गोझरण वटी, गिलोयादि अर्क । (ये आश्रम के सत्साहित्य सेवा केन्द्रों पर उपलब्ध हैं ।) आयुर्वेद के अनुसार तिल के शुद्ध तेल का सेवन दुबले शरीर में चरबी बढ़ाता है व मोटे शरीर से चरबी घटाता है अर्थात् यह वजन बढ़ाने तथा घटाने दोनों में सहायक है ।
🔹विशेष : 'दिव्य प्रेरणा-प्रकाश' पुस्तक में दिये गये नियमों का पालन आवश्यक है ।