१९ अप्रैल : अंगारकी-मंगलवारी चतुर्थी ( शाम ४:३९ से २० अप्रैल सूर्योदय तक )
२६ अप्रैल : वरूथिनी एकादशी ( सौभाग्य, भोग, मोक्ष प्रदायक व्रत, १०,००० वर्षों की तपस्या के समान फल | माहात्म्य
पढने-सुनने से १००० गोदान का फल )
३ मई : अक्षय तृतीया ( पूरा दिन शुभ मुहूर्त), त्रेता युगादि तिथि (स्नान, दान, जप, तप, हवन आदि का अनंत फल)
८ मई : रविवारी सप्तमी ( सूर्योदय से शाम ५:०१ तक ), रविपुष्यामृत योग ( सूर्योदय से दोपहर २:५८
तक)
१२ मई : मोहिनी एकादशी ( व्रत से अनेक जन्मों के मेरु पर्वत जैसे महापापों का
भी नाश)
१५ मई : विष्णुपदी संक्रांति ( पुण्यकाल: सूर्योदय से दोपहर १२:३५ तक) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म का लाख गुना फल)
ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२२ से
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