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Tuesday, June 12, 2018

वर्षा ऋतू में स्वास्थ्यप्रदायक अनमोल कुंजियाँ


(वर्षा ऋतू : २१ जून से २२ अगस्त)

१] वर्षा ऋतू में मंदाग्नि, वायुप्रकोप, पित्त का संचय आदि दोषों की अधिकता होती है | इस ऋतू में भोजन आवश्यकता से थोडा कम करोगे तो आम (कच्चा रस ) तथा वायु नही बनेंगे या कम बनेंगे, स्वास्थ अच्छा रहेगा | भूल से भी थोडा ज्यादा खाया तो ये दूषित कुपित होकर बीमारी का रूप ले सकते हैं |

२] काजू, बादाम, मावा, मिठाइयाँ भूलकर भी न खायें, इनसे बुखार और दूसरी बीमारियाँ होती हैं |

३] अशुद्ध पानी पियेंगे तो पेचिश व और कई बीमारियाँ हो जाती हैं | अगर दस्त हो गये हो तो खिचड़ी में देशी गाय का घी डाल के खा लो तो दस्त बंद हो जाते हैं | पतले दस्त ज्यादा समय तक न रहें इसका ध्यान रखें |

४] बरसाती मौसम के उत्तरकाल में पित्त प्रकुपित होता है इसलिए खट्टी व तीखी चीजों का सेवन वर्जित है |

५] जिन्होंने बेपरवाही से बरसात में हवाएँ खायी हैं और शरीर भिगाया है, उनको बुढापे में वायुजन्य तकलीफों के दु:खों से टकराना पड़ता है |

६] इस ऋतू में खुले बदन घूमना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं |

७] बारिश के पानी में सिर भिगाने से अभी नहीं तो २० वर्षों के बाद भी सिरदर्द की पीड़ा अथवा घुटनों का दर्द या वायु-संबंधी रोग हो सकते हैं |

८] जो जवानी में ही धूप में सिर ढकने की सावधानी रखते हैं उनको बुढापे में आँखों की तकलीफें जल्दी नहीं होतीं तथा कान, नाक आदि निरोग रहते हैं |

९] बदहजमी के कारण अम्लपित्त की समस्या होती है और बदहजमी से जो वायु ऊपर चढती है उससे भी छाती में पीड़ा होती है | वायु और पित्त का प्रकोप होता है तो अनजान लोग उसे ह्रदयाघात (heart attack ) मान लेते हैं, डर जाते हैं | इसमें डरें नहीं, ५० ग्राम जीरा सेंक लो व ५० ग्राम सौंफ हलकी सेंक लो तथा २०-२५ ग्राम काला नमक लो और तीनों को कूटकर चूर्ण बना के घर में रख दो | ऐसा कुछ हो अथवा पेट भारी हो तो गुनगुने पानी से ५ – ७ ग्राम फाँक लो |

१०] अनुलोम-विलोम प्राणायाम करो – दायें नथुने से श्वास लो, बायें से छोड़ो फिर बायें से लो और दायें से छोड़ो | ऐसा १० बार करो | दोनों नथुनों से श्वास समान रूप से चलने लगेगा | फिर दायें नथुने से श्वास लिया और १ से सवा मिनट या सुखपूर्वक जितना रोक सकें अंदर रोका, फिर बायें से छोड़ दिया | कितना भी अजीर्ण, अम्लपित्त, मंदाग्नि, वायु हो, उनकी कमर टूट जायेगी | ५ से ज्यादा प्राणायाम नही करना | अगर गर्मी हो जाय तो फिर नही करना या कम करना |
 ऋषिप्रसाद – जून २०१८ से

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