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Wednesday, May 5, 2021

एक अजूबा है आँवला-चुकंदर शरबत

 


बिना पानी के कोई शरबत आज तक बनता देखा-सुना नहीं किंतु इस शरबत में एक बूँद भी पानी नहीं हैं, है न आश्चर्य की बात ! हाँ, यह सच्चाई है कि इसकी बूँद-बूँद में आँवला रस ही है भरपूर और शरबत के लाभों को चार चाँद लगाने के लिए अल्प मात्रा में चुकंदर (beet) रस भी मिश्रित है | और एक ख़ास बात, इसमें प्रयुक्त आँवले फाल्गुन (मार्च) महीने के हैं, जो कि खटासरहित एवं गुणवत्ता में सर्वोपरि हैं | ये आँवले पूज्य बापूजी की एकांत-स्थली डुंगरिया (पुष्कर) के आध्यात्मिक स्पंदनो से युक्त एवं जैविक खाद से पुष्ट, आरोग्यवर्धक, त्रिदोषशामक, विशेषकर पित्तशामक तथा सर्वगुणकारी हैं |

यह शरबत पित्तवृद्धि से होनेवाली आँखों व पेशाब की जलन, अम्लपित्त (hyperacidity), बवासीर, महिलाओं में होनेवाले अधिक मासिक स्राव, श्वेतप्रदर आदि में लाभदायी है | उष्ण प्रक्रुतिवालों के लिए तथा गर्मीजन्य समस्याओं, जैसे – अधिक पसीना आना, लू लगना, मूँह में छाले, हाथ-पैर के तलवों में जलन आदि में यह विशेष लाभकारी हैं | गर्मी से उत्पन्न सिरदर्द में यह शरबत शीघ्र राहत दिलाता है | स्वप्नदोष, धातुक्षय व पुरानी बीमारियों से क्षीण व दुर्बल हुए व्यक्तियों तथा युवक – युवतियों के लिए यह वरदानस्वरूप है | यह सभी आयुवर्ग के रोगी-निरोगो व्यक्तियों के लिए लाभदायी है | इसे रविवार को भी उपयोग में ले सकते हैं |

 

ऋषिप्रसाद – मई २०२१ से

 

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