महा शिवरात्रि :- 20th Feb' 2012
शिवजी का पत्रम-पुष्पम् से पूजन करके मन से मन का संतोष करें, फिर ॐ नमः शिवाय.... ॐ नमः शिवाय.... शांति से जप करते गये। इस जप का बड़ा भारी महत्त्व है। अमुक मंत्र की अमुक प्रकार की रात्रि को शांत अवस्था में, जब वायुवेग न हो आप सौ माला जप करते हैं तो आपको कुछ-न-कुछ दिव्य अनुभव होंगे। अगर वायु-संबंधी बीमारी हैं तो 'बं बं बं बं बं' सवा लाख जप करते हो तो अस्सी प्रकार की वायु-संबंधी बीमारियाँ गायब !
ॐ नमः शिवाय मंत्र तो सब बोलते हैं लेकिन इसका छंद कौन सा है, इसके ऋषि कौन हैं, इसके देवता कौन हैं, इसका बीज क्या है, इसकी शक्ति क्या है, इसका कीलक क्या है – यह मैं बता देता हूँ। अथ ॐ नमः शिवाय मंत्र। वामदेव ऋषिः। पंक्तिः छंदः। शिवो देवता। ॐ बीजम्। नमः शक्तिः। शिवाय कीलकम्। अर्थात् ॐ नमः शिवाय का कीलक है 'शिवाय', 'नमः' है शक्ति, ॐ है बीज... हम इस उद्देश्य से (मन ही मन अपना उद्देश्य बोलें) शिवजी का मंत्र जप रहे हैं – ऐसा संकल्प करके जप किया जाय तो उसी संकल्प की पूर्ति में मंत्र की शक्ति काम देगी।
Recitation of AUM NAMAH SHIVAYA mantra on the night of Shivratri
MahaShivratri - 10th March 2013
Mentally
you can offer Bel leaves and flowers to Lord Shiva and pray for his
blessings, then recite AUM NAMAH SHIVAYA... AUM NAMAH SHIVAYA...
peacefully. This recitation has been highly extolled. If this mantra can
be recited on that night peacefully without passing any gas for upto
100 malas, then you will surely have some divine experience. If you are
troubled with air related problems, then recite BAM BAM BAM ... for one
and half lakh times to completely eliminate 80 different types of gas
related ailments!
When
you recite AUM NAMAH SHIVAYA, then which verse does it belong to? who
is its Rishi? its God? its seed source, keelak and its strength ? Let me
tell you about it.
ATHAH AUM NAMAH SHIVAYA MANTRA | VAMDEV RISHIH | PANKTI CHANDHAH | AUM BIJAM | NAMAH SHAKTIH || SHIVAYA KILAKAM ||
i.e.
Keelak of AUM NAMAH SHIVAYA is 'SHIVAYA', 'NAMAH' is the strength,
'AUM' is the seed, with these thoughts in our hearts, we recite this
mantra for this purpose (mentally focus on your desired purpose). Then
this mantra shall offer the necessary strength to realise the intended
purpose.
Rishi Prasad-Feb. 2011