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Tuesday, November 30, 2021

पौष्टिक एवं बलवर्धक मूँगफली

 


मूँगफली मधुर, स्निग्ध, पौष्टिक व बलवर्धक है | इसका तेल वात-कफनाशक, घाव को भरनेवाला, कांतिवर्धक, पौष्टिक, मधुमेह में लाभकारी, आँतों के लिए बलकारक तथा खाने में तिल के तेल के समान गुणकारी होता है |

मूँगफली में मौजूद पोषक तत्त्व शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं | इसमें कार्बोहाइड्रेटस रेशे, प्रोटीन, कैल्शियम, लौह,  मॅग्नेशियम फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक, ताँबा, मैगनीज एवं विटामिन बी-१, बी-२, बी-६, ई आदि तत्त्व पायें जाते हैं |

मूँगफली के नियमित सेवन से स्म्रुतिशक्ति की वृद्धि होती है | इसका सेवन समझना, याद रखना, सोचना, वैचारिक शक्ति आदि बौद्धिक क्षमताएँ विकसित करने में मूँगफली और बादाम बराबरी से सहायक होते हैं |

कच्ची मूँगफली दुग्धवर्धक होती है | जिन माताओं को अपने बच्चों के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं उतरता हो वे यदि कच्ची मूँगफली को पानी में भिगोकर सेवन करती है तो दूध खुल के उतरने लगता है |

मूँगफली है शक्तिवर्धक आहार

मूँगफली का सेवन शरीर को शक्ति प्रदान करता है | बच्चों को यदि प्रतिदिन २०-२५ ग्राम मूँगफली खिला दी जाय तो उन्हें पोषक आहार की कमी का अनुभव नहीं होगा | बच्चों के विकास के लिए मूँगफली, चने, मूँग आदि प्रोटीनयुक्त आहार उचित मात्रा में खिलाने चाहिए | इन्हें रात में भिगोकर सुबह बच्चों कि पाचनशक्ति के अनुसार देना चाहिए | पाचनशक्ति कमजोर होने पर इन्हें उबालकर भी खाया जा सकता है | इनके सेवन से कमजोरी दूर होती है एवं शरीर में शक्ति-संचय होता है | ये अधिक श्रम एवं व्यायाम करनेवालों के लिए विशेष लाभदायी हैं |

मूँगफली कि चटनी

१०० ग्राम मूँगफली को धीमी आँच पर सेंक लें | १०० ग्राम कद्दूकश किया हुआ नारियल (ताजा ) , थोडा जीरा, हरा धनिया, कढ़ीपत्ता – इन सभीको मूँगफली के साथ पीसकर चटनी बना लें | इसमें आवश्यकता अनुसार नमक तथा पानी मिला सकते हैं | इसका सेवन रुचिकर व पुष्टिदायक है |

मूँगफली के लड्डू

४०० ग्राम मूँगफली को धीमी आँच पर अच्छे-से-अच्छे सेंक लें | छिलके उतारकर दरदरा कूट लें | इसमें १०० ग्राम पुराना गुड व थोड़ी-सी इलायची मिलाकर इसके लड्डू बना लें | सर्दियों में इन लड्डुओं का सेवन रक्तवर्धक, हड्डियों को मजबूत करनेवाला व शरीर में गर्मी उत्पन्न करनेवाला हैं | मूँगफली का गजक या चिक्की भी सर्दियों में सेवनिय है |

ध्यान दें : मूँगफली का सेवन अधिक मात्रा में न करें तथा मूँगफली खाने के तुरंत बाद पानी न पियें | इसे चबा-चबाकर, सेंक के अथवा पानी में भिगो के खाने से यह सुपाच्य हो जाती है | मूँगफली पानी भिगोकर खाने से उसकी गर्म तासीर भी कम हो जाती है | मूँगफली के तेल के जो गुण इस लेख में दिए गये है वे कच्ची घानी के तेल के हैं, न कि रिफाइंड तेल के | रिफाइंड तेल यहाँ दिए गये गुणों से विपरीत गुणोवाला होता है |


लोककल्याण सेतु – नवम्बर २०२१ से 

बरकत लाने व सुखमय वातावरण बनाने हेतु

 

जिस घर में भगवान का, ब्रह्मवेत्ता संत का चित्र नहीं है वह घर स्मशान है | जिस घर में माँ-बाप, बुजुर्ग व बीमार का खयाल नहीं रखा जाता उस घर से लक्ष्मी रूठ जाती है |बिल्ली, बकरी व झाड़ू कि धूलि घर में आने से बरकत चली जाती है | गाय के खुर कि धूलि से, सुह्र्दयता से , ब्रह्मज्ञानी सत्पुरुष के सत्संग से घर का वातावरण स्वर्गमय, सुखमय, मुक्तिमय हो जाता है |


लोककल्याण सेतु – नवम्बर २०२१ से 

तुलसी से होते हैं ढेरों लाभ

 


सनातन धर्म के ऋषियों ने कितनी सुंदर व्यवस्था की है कि भोजन में तुलसीदल रखों तभी ठाकुरजी को भोग लगता है | तुलसी पुण्यदायी पौधा है | तुलसी पाप-शमन करती है | जैसे हरिनाम कि महिमा है  ऐसे ही हरिप्रिया तुलसी कि महिमा है | तुलसी को सींचता रहें और सोचे कि मुझे नरक मिले तो भी नहीं मिल सकता है |  केवल तुलसी का पौधा घर में लगा दें और सुबह-सुबह तुलसी का दर्शन करें, जल चढाये तो कंगाल-से-कंगाल व्यक्ति भी रोज सवा मासा ( करीब सवा ग्राम) सुवर्णदान का फल पा सकता है | घर में तुलसी के होने से धन, पुत्र, पुण्यदायी वातावरण के साथ हरिभक्ति प्राप्त होती है |

विज्ञान भी गा रहा है तुलसी कि महिमा

तुलसी को स्पर्श करके आती हुई हवा रोगप्रतिकारक शक्ति बढाती है और तमाम दु:खों व हानिकारक जीवाणुओं को दूर रखती हैं | आविष्कार इस बात को स्पष्ट करने में सफल हुआ है कि तुलसी में विद्युत तत्त्व उपजाने और शरीर में विद्युत तत्त्व को सजग रखने का अद्भुत सामर्थ्य है | जैसे तेल का हाथ घुमा के लोग मालिश करते हैं ऐसे ही तुलसी के रस कि थोड़ी मालिस करें तो शरीर में विद्युत-प्रवाह अच्छा चलेगा |

तुलसी माला के लाभ

तुलसी के काष्ठ के दानों की माला गले में पहनकर जो ध्यान, जप, पूजन, तर्पण करता है उसके उन शुभ कर्मों का फल करोड़ गुना हो जाता है | कितनी सारी बीमारियों कि जड़ें तो तुलसी कि कंठी धारण करनेमात्र से दूर हो जाती हैं | परंतु आजकल कई दूसरी लकड़ियों कि माला में तुलसी कि कृत्रिम सुगंध डालकर उसे तुलसी-माला के नाम से बेचा जाता है | तिलसी कि असली लकड़ी से बनी माला ही पहनें |

तुलसी के कुछ प्रयोग

१] ५-७ तुलसी-पत्ते सुबह खाली पेट चबाकर मुँह में थोड़े घुमा के पानी पी लें | दाँतों में कीड़े नहीं पड़ेंगे| बच्चों को दाँतों की तकलीफ जल्दी से नहीं होगी | मुँह कि दुर्गन्ध और कफ के दोषों व धातु के रोग में यह लाभदायी है | बाद में पानी से अच्छे-से कुल्ले कर लें ताकि तुलसी पत्तों के कण दाँतों में बिल्कुल नहीं रहें |

२] भोजन के पहले अथवा बाद में तुलसी पत्ते लेते हो तो स्वास्थ्य के लिए, वायु व कफ शमन के लिए यह औषधि का काम करता है |

३] तुलसी के बीज पीस के रखें और एक चुटकी ( आधा ग्राम) दोपहर को भोजन के बाद पान ( नागरवेल का पत्ता) में डाल के गुरुमंत्र जपकर खाया करें तो बुढापा जल्दी नहीं आयेगा |

सावधानी : सूर्योदय से पहले तुलसी के पत्ते नही तोड़े जाते हैं | दूध के साथ तुलसी सेवन वर्जित है, पानी, दही, भोजन आदि हर चीज के साथ तुलसी ले सकते हैं | रविवार को तुलसी ताप उत्पन्न करती है इसलिए रविवार को तुलसी न तोड़े, न खायें |

असली तुलसी काष्ठ कि माला संत श्री आशारामजी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से तथा समितियों से प्राप्त हो सकती हैं |

लोककल्याण सेतु – नवम्बर २०२१ से 

Sunday, November 21, 2021

इन तिथियों व योगों का लाभ अवश्य लें

 


२३ नवम्बर : अंगारकी – मंगलवारी चतुर्थी ( सूर्योदय से रात्रि १२-५६ तक )

२५ नवम्बर : गुरुपुष्यामृत योग ( सूर्योदय से शाम ६-५० तक ) ( ध्यान, जप, दान, पुण्य महाफलदायी )

३० नवम्बर : उत्पत्ति एकादशी ( धन, धर्म व मोक्ष प्रदायक व्रत )

७ दिसम्बर : मंगलवारी चतुर्थी ( सूर्योदय से रात्रि ११ – ४२ तक )

१४ दिसम्बर : श्रीमदभागवदगीता जयंती, मोक्षदा एकादशी ( पापहारी, कामानापुरक व्रत| इसके पुन्य्दान से नीच योनि में पड़े पितर मोक्ष पाते हैं | माहात्म्य पड़ने-सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है | )

ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०२१ से

सप्तधातुवर्धक पौष्टिक औषधि : अश्वगंधा

अश्वगंधा रस - रक्तादि सप्तधातुओं को पुष्ट करनेवाली आयुर्वेद की एक श्रेष्ठ औषधि है | यह वात – कफशामक एवं भूखवर्धक है | इसके सेवन से क्षीण शरीर इस प्रकार पुष्ट होता है जैसे वर्ष से छोटे – छोटे धान के पौधे लहलहा उठते हैं | अश्वगंधा विशेषत: मांस व शुक्र धातु की वृद्धि करती है |

बल – वीर्यवर्धक व पुष्टिकारक

अश्वगंधा पाक

अश्वगंधा के साथ वंशलोचन, जटामांसी, अभ्रक भस्म,  लौह भस्म, केसर, चंदन आदि बहुमूल्य औषधियों को मिलाकर बनाया गया अश्वगंधा पाक बल- वीर्यवर्धक, पुष्टिकारक, रोगप्रतिकारक शक्ति बढानेवाला श्रेष्ठ रसायन है | सर्दियों में अश्वगंधा पाक का सेवन करने से वर्षभर शरीर में शक्ति, स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है | इसे युवा, स्त्री, पुरुष व वृद्ध भी ले सकते है |

अश्वगंधा पाक स्नायु व मांसपेशियों को बल प्रदान करने तथा वातविकारों को दूर करने हेतु रामबाण औषधि है | यह कमरदर्द, हाथ-पाँव, जाँघों का दर्द एवं दुर्बलता, गर्भाशय की दुर्बलता, अनिद्रा, बहुमूत्रता, स्वप्नदोष, क्षयरोग आदि रोगों के लिए उत्तम औषधि है | यह स्मरणशक्ति की कमी, उन्माद, मानसिक अवसाद आदि मनोविकारों  ( depression )में भी लाभदायी है |   

अश्वगंधा चूर्ण

अश्वगंधा के मूल को, कूटिये चूर्ण बनाय | दूध साथ सेवन करें, तन-यौवन खिल जाय ||

अश्वगंधा – सिद्ध दूध

१ कप दूध में १ से २ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण तथा १ कप पानी मिला लें | धीमी आँच पर इतना उबालें कि पानी पूरा वाष्पीभूत हो जाय | इसमें आवश्यकतानुसार मिश्री भी डाल सकते हैं | इसका सुबह खाली पेट सेवन करें | इससे रक्त की वृद्धि होती हैं एवं वीर्य पुष्ट होकर धातुक्षीणता दूर होती है |

१] जिनको खाँसी, कफ, दमा की तकलीफ हो वे आधा से १ चम्मच अश्वगंधा चूर्ण १ चम्मच शहद के साथ लें |

२] जिनको पित्त की तकलीफ हो वे अश्वगंधा चूर्ण को आँवला रस अथवा देशी गाय के घी के साथ लें |

ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०२१ से

शीत ऋतू हेतु बल – संवर्धक प्रयोग

 शीत ऋतू : २३ अक्टूबर से १७ फरवरी 

बल व पुष्टिदायक एवं अनेक गुणों से भरपूर पानक 

२ बादाम, १ इंच नारियल का टुकड़ा अथवा १० – १५ मूँगफली , १ – २ अंजीर, २- ४ खजूर, थोड़ी-सी किशमिश अथवा मुनक्का – ये सब रात को पानी में भिगो दें | सुबह बादाम के छिलके उतर के सभी सामग्री उसी पानी के साथ मिक्सी आदि से महीन पीसकर लें | इसमें शहद भी डाल सकते है |

अगर कोई बादाम, अंजीर जैसी महँगी चीजें न खरीद सके तो सूखे नारियल की गिरी, मूँगफली व खजूर आदि कम दामवाली चीजों का उपयोग करके भी पंक बना सकते हैं |

यह बल व पुष्टिदायक तथा मस्तिष्क पोषक है | इसके सेवन से विभिन्न प्रकार के विटामिन्स तथा लौह, कैल्शियम, फॉर्स्फोरस आदि खनिज तत्त्व प्राप्त होते हैं | यह दुर्बलता को मिटाता है | मांसपेशियों, आँतों व ज्ञानतंतुओ की कमजोरी को दूर करता है | यह सगर्भावस्था में भी लाभकारी है |

पानक – सेवन से काफी लोगों के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव देखने को मिला है | कमजोरी, रक्ताल्पता आदि विभिन्न समस्याओं में भी लोगों को इससे चमत्कारिक लाभ हुआ है |

आयुर्वेद के ग्रन्थ ‘अष्टांगह्रदय’ में पानक के बारे में आता है :

श्रमक्षुत्तृटक्लमहरं पानकं प्रीणनं गुरु ||

‘यह शारीरिक थकावट, भूख, प्यास, तथा मानसिक सुस्ती को हटाता है | यह तृप्तिकारक तथा पचने में भारी होता है |’ यह जिस प्रकार के द्रव्यों से बनाया जाता है, तदनुसार गुणोंवाला होता है | अत: अपनी आवश्यकतानुसार पानक में संबंधित द्रव्य विशेषरूप से डालने चाहिए | जैसे – 

नींद ठीक से न आने पर खसखस |

रक्त की कमी में मुनक्का, काली द्राक्ष और खजूर 

मस्तिष्क की दुर्बलता में अखरोट, बादाम, खरबूजे या पेठे के बीज |

आँतों की कमजोरी, कब्जियत मेंखजूर, मुनक्का, किशमिश, अंजीर |

स्मरणशक्ति बढाने हेतुकाजू |

नेत्रज्योति बढाने के लिए बादाम |

सेवन-विधि : पानक का सेवन सुबह खाली पेट करें व सेवन के बाद भूख लगने पर भोजन करें | प्रयोग के दौरान आसन, प्राणायाम, व्यायाम आदि अवश्य करें ताकि भूख खुलकर लगे | 




खजूर की खीर

लाभ : १] इसके सेवन से वजन व बल बढ़ता है | 

२] यह आमाशय को बल देती है, सूखी खाँसी, क्षयरोग आदि रोगों में लाभदायक है |

३] स्वप्नदोष तथा विभिन्न व्याधियों के कारण उत्पन्न दुर्बलता, ह्रदय की कमजोरी व रक्ताल्पता में यह बहुत ही लाभदायी है |

विधि : ५ से ७ खजूर रात को पानी में भिगो दें | सुबह गुठलियों निकाल के उसी पानी में खजूर मसल लें | इन्हें २०० मि.ली. दूध में मिला के धीमी आँच पर उबालें | इसमें इलायची तथा रात को भिगोये हुए १ – २ बादाम छिलके उतार के पीसकर मिला सकते हैं | यह सस्ता, महाशक्तिवर्धक योग है |

मेथी की बर्फी 

लाभ : मेथीदाना वात – वाहिनियों को बल प्रदान करता है | मेथी की बर्फी कमरदर्द, घुटनों का दर्द, सायटिका में तथा प्रसूति के बाद दूध बढाने व गर्भाशय की शुद्धि  केलिए विशेष लाभदायी है | इसमें कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होने से यह हड्डियों व जोड़ों को मजबूत बनाती है |

सामग्री : १०० ग्राम गेहूँ का आटा, १०० ग्राम शुद्ध घी अथवा तिल या मूँगफली का कच्ची घानी का तेल, १०० ग्राम पुराना गुड़, ५ ग्राम सोंठ, ५० ग्राम मेथी का महीन पिसा आटा ( मेथी को रातभर छाछ में भिगोकर रखें | दिन में छाया में सुखाये फिर पिस लें | इससे मेथी की कडवाहट बहुत कम हो जाती है | )

विधि : गेहूँ के आटे को घी अथवा तेल में धीमी आँच पर सुनहरा होने तक सेंक लें | गुड़ की चाशनी बनाकर उसमें गेहूँ का सेंका हुआ आटा, मेथी का आटा व सोंठ मिला के थाली में फैला दें | छोटे – छोटे टुकड़े काट लें | यह बर्फी स्वाद में थोड़ी कडवी लगती है लेकिन स्वास्थ्य के लिए बड़ी हितकर है | 

बादाम के पुष्टिकारक प्रयोग 

रात को २ से ३ बादाम पानी में भिगो दें | सुबह छिलके उतार के जैसे हाथ से चंदन घिसते हैं इस तरह घिस के दूध में मिलाकर सेवन करें | इस प्रकार से घिसा हुआ १ बादाम १० बादाम की शक्ति देता है | इस प्रयोग से मस्तिष्क को शक्ति मिलेगी, बल एवं वीर्य की वृद्धि होगी और शरीर पुष्ट होगा |

शिशुओं के विकास के लिए : रात को १ बादाम पानी में भिगो दें | सुबह छिलके उतारकर उपरोक्त विधि के अनुसार घिर के अत्यंत महीन बना लें | इसमें थोडा-सा शहद मिलाकर सुबह खाली पेट शिशु को धीरे-धीरे साफ़ ऊँगली से चटायें | यह शिशु को चौथे माह से दे सकते हैं | इससे उसका मानसिक एवं शारीरिक विकास अच्छा होगा |

सर्दियों में मधुमेह वालों के लिए बलदायक प्रयोग 

१] १ से ३ ग्राम मेथीदाना रात में भिगोकर सुबह खाली पेट चबा-चबा के खायें |

२] अश्वगंधा चूर्ण : २ – २ ग्राम सुबह शाम लें |

३] आँवला पावडर में आधा भाग हल्दी मिला के मिश्रण बनाकर रखें व २ -२ ग्राम सुबह-शाम सेवन करें अथवा १५ से २० मि. ली. आँवला रस में ५ से १० मि. ली. ताज़ी हल्दी का रस मिला के सेवन करें |

४] वज्र रसायन टेबलेट की २ गोली सुबह खाली पेट घी अथवा पानक के साथ लेना लाभदायी है |

                                                                                                                        

                                                                                                                        ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०२१ से 


यदि पुण्यात्मा व उत्तम संतान चाहते हैं तो .....

 


महान आत्माएँ धरती पर आना चाहती हैं लेकिन उसके लिए संयमी पति- पत्नी की आवश्यकता होती हैं | अत: उत्तम संतान की इच्छावाले दम्पति गर्भाधान से पहले अधिक- से- अधिक ब्रह्मचर्य का पालन करें व गुरुमंत्र का जप करें | गर्भाधान के पहले और गर्भाधान के समय पति-पत्नी की मानसिक प्रसन्नता बहुत अच्छी होनी चाहिए | इसलिए अनुष्ठान करके उत्तम संतान हेतु सदगुरु या इष्टदेव से प्रार्थना करें, फिर गर्भाधान करें | २२ जून २०२२ तक का समय तो गर्भाधान के लिए अतिशय उत्तम हैं |

गर्भाधन के लिए अनुचित काल

पूर्णिमा, अमावस्या, प्रतिपदा, अष्टमी, एकादशी, चतुर्दशी, सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण, पर्व या त्यौहार की रात्रि ( जन्माष्टमी, श्रीराम नवमी, होली, दिवाली, शिवरात्रि, नवरात्रि   आदि ), श्राद्ध के दिन, प्रदोषकाल ( १. सूर्यास्त का समय, २. सूर्यास्त से लेकर ढाई घंटे बाद तक का समय , ( क्षयतिथि दिखें आश्रम में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों पर व समितियों में उपलब्ध कर्मयोग दैनंदिनी एवं मासिक धर्म के प्रथम ५ दिन , माता-पिता की मृत्युतिथि, स्वयं की जन्मतिथि, संध्या के समय एवं दिन में समागम या गर्भधान करना भयंकर हानिकारक है | दिन के गर्भाधान से उत्पन्न संतान दुराचारी और अधम होती है |

शास्त्रवर्णित मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए, नहीं तो आसुरी, कुसंस्कारी या विकलांग संतान पैदा होती है | संतान नही भी हुई तो भी दम्पति को कोई खतरनाक बीमारी हो जाती है |

गर्भधान के पूर्व विशेष सावधानी

अपने शरीर व घर में धनात्मक ऊर्जा आये इसका तथा पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए | महिलाओं को मासिक धर्म में भोजन नहीं बनाना चाहिए तथा उन दिनों में अपने हाथ भोजन परिवारवालों को देकर उनका ओज, बल और बुद्धि क्षीण करने की गलती कदापि नहीं करनी चाहिए |

गर्भाधान घर के शयनकक्ष में ही हो, होटलों आदि ऐसी-वैसी जगहों पर न हो |

ध्यान दें : उत्तम समय के अलावा के समय में भी यदि गर्भाधान हो गया हो तो गर्भपात न करायें बल्कि गर्भस्थ शिशु में आदरपूर्वक उत्तम संस्कारो का सिंचन करें | गर्भपात महापाप हैं, जिसका प्रायश्चित मुश्किल है |

विशेष : उत्तम संतानप्राप्ति हेतु महिला उत्थान मंडल के दिव्य शिशु संस्कार केन्द्रों का भी लाभ ले सकते हैं |

सम्पर्क :  ९१५७३८९७०६, ९१५७३०६३१३

उत्तम सन्तानप्राप्ति में सहायक विस्तृत जानकारी हेतु पढ़े आश्रम में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों पर व समितियों में उपलब्ध पुस्तक दिव्य शिशु संस्कार |

सम्पर्क : (०७९) ९१२१०७३०

ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०२१ से

विद्याध्ययन में आनेवाली पाँच बाधाएँ

 बालकों को विद्याध्ययन में पाँच बाधाओं से सावधान रहना चाहिए :

१)    अभियान,

२)    क्रोध,

३)    प्रमाद ,

४)    असंयम,

५)    आलस्य

ये पाँच दोष शिक्षा में बाधक बनते हैं |



ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०२१ से