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Monday, September 8, 2008

Mantra for protection from risks and threats

Below is the MANTRA meant for defence personnel as well as civilians for protection from any kind of risk, threats and contingencies at any facet and phase of life.

Daily 1 Mala has to be done.
उग्रं वीरं महाविश्नुम, जवलन्तम सर्वतोमुखं !
न्र्सिम्हम भीशानम भद्रं, मृत्यु-मृत्युम नामाम्यहम !!

Ugram veeram mahavishnum, Jvalantam Sarvatomukham !
Nrsimham bheeshanam bhadram, Mrtyu-mrtyum namaamyaham !!

Meaning: I bow down to Narasimha, who is the ferocious, valorous, great Vishnu, resplendent with faces in all directions; the One who frightens and also who ensures welfare, and the One who is the death of Death।
-Holi Shivir, 2002

Sunday, September 7, 2008

शक्तिशाली व गोरे पुत्र प्राप्ति के लिए

गर्भिणी स्त्री ढाक (पलाश) का एक कोमल पत्ता घोंटकर गौदुग्ध के साथ रोज़ सेवन करे | इससे बालक शक्तिशाली और गोरा होता है | माता-पीता भले काले हों, फिर भी बालक गोरा होगा | इसके साथ सुवर्णप्राश की २-२ गोलियां लेने से संतान तेजस्वी होगी |

Listen Audio

-Satsang

सुखपूर्वक प्रसवकारक मंत्र

ऍ ह्रीं भगवती भगमालिनि चल चल भ्रामय भ्रामय पुष्पं विकासय विकासय स्वाहा |


इस मंत्र द्वारा अभिमंत्रित दूध गर्भिणी स्त्री को पिलाने से सुखपूर्वक प्रसव होता है | दूसरा उपाय है गर्भिणी प्रसव के समय स्वयं 'जम्भला-जम्भला' जप करे | तीसरा उपाय है देशी गाय के गोबर का १२ से १४ मि.ली. रस लेकर उसमें निहारते हुए 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का २१ बार जप और 'श्रीगुरुगीता' के कुछ श्लोकों का पाठ गर्भिणी स्त्री स्वयं करे या कोई अन्य करे और गर्भिणी स्त्री को वह रस पिलाये | इससे भी प्रसव-बाधाएं दूर होंगी और बिना शल्यक्रिया के सुखपूर्वक प्रसव होगा |


प्रसूति के समय अमंगल की आशंका हो तो सर्वकल्याण के लिए निम्न मंत्र का जप करें:


सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वर्थासाधिके |
शरण्ये त्रयाम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते
||


(श्रीदुर्गासप्तश्ती)
(Rishi Prasad)




नारी सौभाग्याकरण मंत्र

जो श्रद्धावती प्रतिदिन स्नान आदि से शुद्ध होकर सूर्योदय से पहले 'ॐ ॐ ह्रीं ॐ क्रीं ह्रीं ॐ स्वाहा | ' इस मंत्र की दस मालायें करती है, उसके घर में सुख-समृधि स्थायी रहती है | इस मंत्र का जप शुभ मुहूर्त में प्रारम्भ करना चाहिए | प्रतिवर्ष चैत्र और आश्विन के नवरात्रों में वटवृक्ष की समिधा से विधिपूर्वक हवन करके कन्या, बटुक (ब्रह्मचारी) आदि को भोजन से संतुष्ट करे | इस मंत्र के सम्यक अनुष्ठान से घर का सुख, शान्ति तथा समृद्धि बनी रहती है |
-Ashram Book KalyanNidhi