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Wednesday, January 6, 2016

कर्णबिंदु

यह कान का दर्द, कान से मवाद आना, पानी बहना, कान में सूजन, खुजली एवं आवाज आना आदि समस्याओं में लाभकारी हैं | इसका उपयोग वृद्धावस्था तक श्रवण शक्ति को ठीक बनाये रखने में सहायक होता है | बच्चे, युवक तथा वृद्ध – सभी इसका उपयोग क्र सकते हैं |

प्राप्ति स्थान : सभी संत श्री अशारामजी आश्रम व समितियों के सेवाकेंद्र पर उपलब्ध |

स्त्रोत -   लोककल्याण सेतु – फरवरी २०१६ से

लौंग के फायदे

लौंग गुणों की खान हैं | मसालों में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान हैं | इसका सर्वाधिक उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों के निर्माण तथा खाद्य-परिरक्षण में किया जाता है |

लौंग सुगंधयुक्त, पाचक, जठराग्निवर्धक, रुचिकर, दुर्गंधनाशक, श्वेत रक्तकणवर्धक, घाव को भरने व शुद्ध करनेवाला, कृमि व कफ नाशक तथा खुल के पेशाब लानेवाला है | यह पेट-दर्द, अफरा, अजीर्ण, खाँसी, उलटी, हैजा (काँलरा), क्षयरोग (टी.बी.), तृषा (प्यास) आदि में उपयोगी हैं |

सरल घरेलू उपचार      

मंदाग्नि व निर्बलता : लौंग व छोटी पीपल के सम्भाग चूर्ण को एक ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से ज्वर के बाद की मंदाग्नि व निर्बलता दूर होती है |

दूध की वृद्धि : दूध पिलानेवाली माँओ में दूध की कमी होने पर उन्हें २ लौंग का चूर्ण शहद अथवा दूध के साथ सुबह-शाम चटाने से दूध की वृद्धि होती है तथा दूध शुद्ध हो जाता है |

गर्भावस्था की समस्याएँ : गर्भवती महिलाओं को मिचली, उलटी, चक्कर आते हों तो १ – २ लौंग व २ इलायची थोडा-सा पानी डाल के पीस लें | इस मिश्रण को शहद में मिला के दिन में १ – २ बार चटायें |

शक्ति व स्फूर्ति के लिए:  लौंग, जायफल और जावित्री बराबर मात्रा में ले के चूर्ण बनायें एवं इस चूर्ण में उतनी ही मिश्री मिलाकर रख लें | ४ ग्राम मिश्रण सुबह-शाम मलाईदार दूध के साथ सेवन करें | यदि आपके शरीर की प्रकृति शीत-प्रधान है तो इस मिश्रण का सेवन शहद के साथ करें |

दाँतदर्द व मुख की दुर्गंध : १] ४ लौंग पीसकर उनमें नींबू का रस मिला के दाँतो और मसूड़ों की धीरे-धीरे मालिश करें | इससे दर्द दूर होगा एवं मसूड़े भी स्वच्छ हो जायेगें |
२] ४ लौंग पीसकर १ गिलास पानी में उबालें | दिन में ३-४ बार इस पानी से कुल्ला करें | २-३ दिन तक यह प्रयोग करने से दाँतों का दर्द व मुख की दुर्गंध दूर हो जाती है |

गले की खराश : नमक के साथ लौंग चबाने से गले की खिचखिचाहट व खराश में फायदा होता है और गले को आराम मिलता है |

कफ : १ – २ लौंग मुँह में रखकर चूसने से कफ आराम से निकलता है, जिससे मुख की दुर्गंध भी समाप्त होती है |

सिरदर्द : १] ४ – ५ लौंग एक कप पानी में अच्छी तरह उबालें, फिर थोड़ी-सी मिश्री मिलायें व ठंडा होने पर घूँट-घूँट पियें | इससे कफ से होनेवाले सिरदर्द में आराम मिलता है |
२] लौंग को पीसकर माथे और कनपटी पर लेप करने से भी सिरदर्द में आराम मिलता है |

दाँतो में कीड़ा : कीड़े के कारण रह-रहकर दर्द होता हो तो उस पोली दाढ़ पर या दुखते दाँत पर लौंग रख के अथवा लौंग के तेल में रुई का फाहा भिगो के दबाकर रखें |

सावधानी : शुद्ध लौंग की पहचान यह है कि उसे नाख़ून से दबाने पर उसमें से तेल निकलता है तथा पानी में डालने पर वह डूब जाता है | लौंग आदि सुगंधित पदार्थों का चूर्ण आवश्यकतानुसार ताजा बना के उपयोग में लेना चाहिए अन्यथा उनमें से उडनशील तेल उड़ जाता हैं, जिससे उनका गुण कम हो जाता है | लौंग का अधिक मात्रा में सेवन करने से आँखों, मूत्राशय एवं ह्रदय पर अनिष्ट प्रभाव पड़ता है |


स्त्रोत - लोककल्याण सेतु – जनवरी २०१६ से