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Sunday, October 31, 2021

बरकत लाने व सुखमय वातावरण बनाने हेतु

 जिस घर में भगवान का, ब्रह्मवेत्ता संत का चित्र नहीं हैं वह घर श्मशान है | जिस घर में माँ – बाप , बुजुर्ग व बीमार का खयाल नहीं रखा जाता उस घर में लक्ष्मी रूठ जाती है | बिल्ली, बकरी व झाड़ू की धूलि घर में आने से बरकत चली जाती है | गाय के खुर की धूलि से, सुह्रदयता से ,  ब्रह्मज्ञानी सत्पुरुष के सत्संग से घर का वातावरण स्वर्गमय, सुखमय, मुक्तिमय हो जाता है |


लोककल्याण सेतु – अक्टूबर २०२१ से

कपूर जलाकर करें कुल का उद्धार

मार्गशीर्ष मास ( २० नवम्बर से १९ दिसम्बर ) में कपूर का दीपक जला के भगवान को अर्पण करनेवाला अश्वमेध यज्ञ का फल पाता है और कुल का उद्धार कर देता है |

                          

 लोककल्याण सेतु – अक्टूबर २०२१ से

कर्जमुक्ति के लिए

 

आप जब भी कर्ज की क़िस्त देने जाये तो उससे पहले गाय व कुत्ते को रोटी जरुर दें | इससे कर्जमुक्ति में सहायता मिलेगी |


लोककल्याण सेतु – अक्टूबर २०२१ से

स्वास्थ्य व पुष्टि प्रदायक रागी

 रागी ( मँडुआ , मराठी में नाचणी ) मधुर, कसैली, कडवी, शीतल व सुपाच्य होती है | इसमें गेहूँ के समान तथा चावल की अपेक्षा अधिक पौष्टिकता होती है | सुपाच्य होने से सभी ऋतुओ में इसका सेवन किया जाता है |

आधुनिक अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार रागी में सभी अनाजों से अधिक और दूध से ३ गुने कैल्शियम की मात्रा होती है | इसके अतिरिक्त इसमें एमिनो एसिड्स, विटामिन ए, बी तथा फॉस्फोरस, जो हमारे शरीर के संवर्धन के लिए आवश्यक हैं, संतुलित मात्रा में पाये जाते हैं |

रागी के विभिन्न लाभ

१] इसमें रेशे की मात्रा अधिक होने से यह पेट के रोगों, उच्च रक्तचाप तथा आँतों के कैंसर से रक्षा करती है |

२] खून की कमी, अजीर्ण, पुराना बुखार, हड्डियों की कमजोरी आदि समस्याओं में तथा कैल्शियम से भरपूर व सुपाच्य होने के कारण बढ़ते हुए बच्चों, गर्भवती महिलाओं व बुजुर्गो के लिए भी इसका सेवन विशेष लाभदायी है |

३] इसमें प्रोटीन की प्रचुरता होने से कुपोषण से लड़ने के लिए यह शरीर को सक्षम बनाती है | शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने की क्षमता के कारण रागी मधुमेह में उपयोगी है |

 

रागी के पौष्टिक व्यंजन

रागी का सत्त्व बनाने की विधि : रागी को अच्छी तरह से धोकर ८-१० घंटो तक पानी में भिगो के फिर छाया में सुखा दें | फिर मंद आँच पर सेंकें व चट-चट आवाज आने पर सेंकना बंद कर दें | ठंडा होने पर रागी को पीसकर आटा बना लें | इस प्रकार बनाना गया रागी का सत्त्व पौष्टिक व पचने में हलका होता है | छोटे बच्चों हेतु सत्त्व को छानकर प्रयोग करें |

१] रागी की खीर : एक कटोरी रागी का सत्त्व तथा तीन कटोरी पानी लें | उबलते हुए पानी में थोडा-थोडा सत्त्व मिलाते हुए पकायें, बाद में इसमें दूध, मिश्री व इलायची डालें | यह खीर स्वादिष्ट, सुपाच्य, सात्त्विक, रक्त व बल वर्धक तथा पुष्टिदायी हैं |

२] रागी की रोटी : रागी का आटा लेकर गूँथ लें | रोटी बेलकर तवे पर डालें और बीच-बीच में घुमाते रहें ताकि काले दाग न पड़ें, थोड़ी देर बाद पलट दें | फिर कपड़े से हलका-हलका दबायें | इससे रोटी फुल जाती है और उसकी २ पतें बनकर वह सुपाच्य व स्वादिष्ट बनती है |

रागी के आटे में कद्दूकश की हुई ताज़ी लौकी, जीरा, धनिया, हल्दी आदि मिलाकर भी रोटी बना सकते हैं |

३] रागी के लड्डू : रागी का १ कटोरी आटा घी में भून लें | आटे से आधी मात्रा में गुड़ ले के एक तार की चाशनी बनायें | भूने हुए आटे को चाशनी में मिलाकर लड्डू बना लें | इसमें आवश्यकता अनुसार इलायची व सूखे मेवे मिला सकते हैं | इन लड्डुओं के सेवन से हड्डियाँ मजबूत बनती हैं व रक्त की वृद्दि होती है |

विशेष : यह पौष्टिक चीज (रागी) साफ़-सुथरी, कंकड़-पत्थर एवं कचरे बिना की साधकों को मिले इसके प्रयास चालू हो गयें हैं | आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों पर व समितियों से साफ़-सुथरी, दोषमुक्त रागी साधकों को मिल जायेगी |


ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०२१ से

इससे एकाग्रता व निर्णयशक्ति बढ़ेगी, थकान मिटेगी

अगर तुम्हें थकान होती हो तो तुम क्या करो ? दोनों होंठ बंद करो और दाँत खुले रखो  जीभ बीच में – न तालू में, न नीचे.  बीच में लटकती रहे | १ मिनट तुम इस प्रकार एकाग्रता का अभ्यास करो तो तुम्हारे शरीर की थकान मिटेगी और मन की चंचलता कम होगी | तुम्हारे निर्णय व  ढ़िया होंगे |


ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०२१ से