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Sunday, November 20, 2022

वजन घटाने हेतु


🔹क्या न खायें : वजन बढ़ाने हेतु जिन वस्तुओं का वर्णन इस पर्चे में किया गया है उनका सेवन न करें । आलू, पनीर, मावा, मिठाइयाँ, तले हुए पदार्थ, बिस्कुट-ब्रेड आदि बेकरी के पदार्थ, खमीरीकृत (fermented) पदार्थ, मुरब्बे, जैम, कैचअप, चॉकलेट्स, फास्ट फूड, जंक फूड, सॉफ्ट ड्रिंक्स, आइसक्रीम, शरबत आदि जिनमें अधिक तेल, घी, चीनी, गेहूं के आटे / मैदे का उपयोग किया गया हो ।


🔹क्या खायें : अल्प चिकनाईवाले, कड़वे, कसैले, अल्प शर्करा युक्त (low carbohydrate), अधिक रेशेवाले व कम कैलोरीवाले पदार्थ, जैसे - जौ, ज्वार, बाजरा, साँवाँ, कंगनी, मूँग, मसूर, मोठ, अरहर, करेला, मेथी व मेथीदाना, सहजन, मूली व मूली के पत्ते, हल्दी, सोंठ, ज्वार की धानी, मुरमुरे, भुने चने, ग्वारपाठा आदि । भोजन के बीच व बाद में गर्म पानी पियें, गाय का दूध (मलाईरहित) ले सकते हैं ।


🔹क्या करें : प्रातः ३ से ५ बजे के बीच प्राणायाम (इससे अंतःस्रावी ग्रंथियों का कार्य संतुलित होकर वजन नियंत्रित रहता है) । सूर्यस्नान, सूर्यनमस्कार, दौड़ने या चलने का व्यायाम व आसन । शारीरिक कार्य बढ़ायें, अधिक नींद से बचें । हो सके तो दिन में एक बार ही सुबह ९ से ११ के बीच भोजन करें, आवश्यक लगे तो शाम को ५ से ७ के बीच अल्पाहार लें ।


🔹भोजन धीरे-धीरे व खूब चबाकर करें । भोजन के बाद थोड़ा टहलें, वज्रासन में बैठें ।


🔹क्या न करें : दिन में बिल्कुल न सोयें । आरामप्रियता, सुखशीलता, एक स्थान पर सतत बैठे रहना, स्वादलोलुपता इनसे बचें । सुबह देर तक न सोयें ।


🔹 १ गिलास गुनगुने पानी में १ नींबू व २५ तुलसी पत्तों का रस अथवा १५-२० मि.ली. तुलसी अर्क व १ चम्मच शहद मिलाकर सप्ताह में २-३ दिन (रविवार को छोड़कर) सुबह खाली पेट लें ।


🔹वजन घटाने हेतु सहायक औषधियाँ : त्रिफला रसायन कल्प, शोधनकल्प चूर्ण, पंचरस, हरड़ चूर्ण या टेबलेट, त्रिफला चूर्ण या टेबलेट, गोमूत्र या गोमूत्र अर्क, गोझरण वटी, गिलोयादि अर्क । (ये आश्रम के सत्साहित्य सेवा केन्द्रों पर उपलब्ध हैं ।) आयुर्वेद के अनुसार तिल के शुद्ध तेल का सेवन दुबले शरीर में चरबी बढ़ाता है व मोटे शरीर से चरबी घटाता है अर्थात् यह वजन बढ़ाने तथा घटाने दोनों में सहायक है ।


🔹विशेष : 'दिव्य प्रेरणा-प्रकाश' पुस्तक में दिये गये नियमों का पालन आवश्यक है ।

शरीर को सुडौल एवं सशक्त बनाने के सरल उपाय

🔹पुरुषों के लिए जितनी इंच लम्बाई उतना वजन उचित है (जैसे ६५ इंच कद हो तो वजन लगभग ६५ किलो होना चाहिए) । महिलाओं के लिए जितनी इंच लम्बाई उससे ३ से ५ किलो कम वजन उचित है ।*

🔹वजन बढ़ाने हेतु🔹

🔹क्या खायें : मधुर व स्निग्ध पदार्थ, जैसे देशी गाय या भैंस का दूध-घी, मक्खन, ताजा मीठा दही, गेहूँ, दालें, चावल, उड़द, चने, लाल चौलाई, शकरकंद, चुकंदर, मूँगफली, गोंद, तिल, फलों में आम, केला, चीकू, सीताफल, सेवफल, नारियल, खजूर, बादाम, काजू, अखरोट, अंजीर, मखाना आदि सूखे मेवे ।

🔹२ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण घी मिश्रित दूध अथवा आँवले के २० मि.ली. रस के साथ सुबह लेना पुष्टिकारक है । साथ में भिगोये हुए ५-७ खजूर ले सकते हैं ।

🔹 सुवर्ण-सिद्ध जल : ४ लीटर पानी में ४-५ ग्राम शुद्ध सुवर्ण डाल के पानी को उबालकर आधा करें । इसका सेवन विशेष लाभदायी है ।

🔹क्या न खायें : कड़वे, कसैले तीखे, रूखे-सूखे पदार्थ, जौ, ज्वार, मूँग, अरहर, करेला, मेथीदाना, सहजन, शहद, त्रिफला, हरड़, गोमूत्र आदि न लें ।

🔹क्या करें : उचित समय पर निद्रा एवं वीर्य की सुरक्षा पर अवश्य ध्यान दें । प्रातः ३ से ५ बजे के बीच प्राणायाम करें । हास्य-प्रयोग करें, प्रसन्नचित्त रहें । मन की शांति शरीर को पुष्ट करनेवाले उपायों में सर्वश्रेष्ठ है ।

🔹क्या न करें : अधिक उपवास, भुखमरी, चिंता, शोक, भय, व्यथा, अति मानसिक परिश्रम, क्षमता से अधिक कार्य, व्यायाम व प्राणायाम, रात्रि जागरण, व्यसन, हस्तमैथुन, पति-पत्नी के अधिक व्यवहार, अजीर्ण, कब्ज आदि से बचें ।

🔹ध्यान दें : पौष्टिक आहार पचाने हेतु पाचनशक्ति अच्छी होना जरूरी है । इस हेतु सूर्यनमस्कार, व्यायाम व आसन नियमित करें । भूख की कमी हो तो पहले लीवर टॉनिक टेबलेट, एलोवेरा जूस, पंचरस आदि लेकर या वैद्यकीय सलाह से औषधि सेवन करके पाचनशक्ति बढ़ायें । मालिश भी खूब हितकारी है ।

🔹वजन बढ़ाने में सहायक उत्पाद : पुष्टि कल्प, अश्वगंधा चूर्ण, शतावरी चूर्ण, च्यवनप्राश, अश्वगंधा पाक, सौभाग्य शुंठी पाक, द्राक्षावलेह, मामरा बादाम, खजूर, घी । (ये आश्रम के सत्साहित्य सेवा केन्द्रों पर व समितियों में उपलब्ध हैं ।)


🔹विशेष : 'दिव्य प्रेरणा- प्रकाश' पुस्तक में दिये गये नियमों का पालन आवश्यक है ।



Monday, October 24, 2022

विटामिन बी-1 - १२ का सस्ता, सर्वसुलभ सोत




पूज्य बापूजी के सत्संग में आता है : "शरीर में विटामिन बी १२ की बहुत जरूरत होती है। बी १२ कम होता है तो भूख कम लगती है और अन्य समस्याएँ भी पैदा होती हैं। कुछ लोग बी १२ की पूर्ति के लिए मांसाहार करते हैं, उसकी कोई जरूरत ही नहीं है। आम की गुठली में बहुत सारा बी-१२ होता है। आम खाने के बाद गुठलियाँ फेंक देते हैं, आगे से इन्हें इकट्ठा करके सुखा के रख देवें। फिर इन्हें तोड़कर इनकी मींगी को सेंक लें। इसे सुपारी की नाईं भी खा सकते हैं। तो आप इसका लाभ लें । इससे आपको विटामिन बी १२ की कमी नहीं होगी और किसीको होगी तो दूर हो जायेगी।" -


आधुनिक अनुसंधानों से ज्ञात हुआ है कि आम की गुठली की १०० ग्राम मींगी में आम के २ किलो गूदे से ज्यादा पोषक तत्त्व हैं। आम के गूदे से २० गुना ज्यादा प्रोटीन, ५० गुना ज्यादा स्निग्धांश (फैट) व ४ गुना ज्यादा कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। बी-१२ शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में एवं तंत्रिका तंत्र (nervous system) को स्वस्थ रखने में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


विटामिन बी - १२ की कमी के लक्षण


खून की कमी, थकान, कमजोरी, आलस्य, मुँह के छाले, हाथ-पैरों में सुन्नपन, आँखों की रोशनी


कम होना आदि । यदि ध्यान न दें तो चलते समय शरीर का संतुलन बनाने में समस्या, सोचने-समझने


की शक्ति में कमी, चिड़चिड़ापन, मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र को गम्भीर क्षति आदि विकार पैदा होते


हैं। हृदय की निष्क्रियता जैसे गम्भीर उपद्रव भी हो सकते हैं।


अमीनो एसिड्स का उत्कृष्ट स्रोत


मनुष्य शरीर के लिए ९ अमीनो एसिड्स अत्यावश्यक होते हैं, जिनकी कमी से अंतःस्राव (हार्मोन्स) एवं न्यूरोट्रांसमीटर्स का निर्माण, मांसपेशियों का विकास एवं अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यों में बाधा पहुँचने से विभिन्न समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। मींगी में इन ९ अमीनो एसिड्स में से ८ पाये जाते हैं, साथ ही कैल्शियम, मैग्नेशियम, लौह तत्त्व, मँगनीज, फॉस्फोरस आदि खनिज एवं विटामिन 'ई',


'सी', 'के' आदि भी पाये जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार आम की गुठली की मींगी कफ-पित्तशामक एवं कृमिनाशक है। यह छाती में जलन, उलटी, जी मिचलाना, दस्त, गर्भाशय की सूजन, बहुमूत्रता, अधिक मासिक स्राव, श्वेतप्रदर


आदि रोगों में लाभदायी है।


सेवन मात्रा : मींगी या मींगी से बना मुखवास'


आधा से डेढ़ ग्राम तक जिसको जितना अनुकूल पड़े, ले सकते हैं। दस्त में कच्ची मींगी को सुखाकर कूट-पीस के चूर्ण बना के रखें । ३ से ५ ग्राम चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करें।


सावधानी : पके आम की गुठली की मींगी का प्रयोग करें। मींगी का अधिक सेवन कब्जकारक है।


★ आम की मींगी से बना मुखवास शीघ्र ही संत श्री आशारामजी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से व समितियों


से प्राप्त हो सकेगा। ( बिस्तृत जानकारी हेतु पढ़ें संत श्री आशारामजी आश्रम से प्रकाशित मासिक पत्रिका ऋषि प्रसाद, सितम्बर २०२२ का अंक)


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बीज मन्त्रों से स्वास्थ्य सुरक्षा

 

कं- मृत्यु के भय का नाश, त्वचारोग व रक्त विकृति में।


ह्रीं - मधुमेह, हृदय की धड़कन में।


घं- स्वप्नदोष व प्रदररोग में।


भं- बुखार दूर करने के लिए।


क्लीं- पागलपन में।


सं- बवासीर मिटाने के लिए।


वं- भूख-प्यास रोकने के लिए।


लं - थकान दूर करने के लिए।


ऐं- कोमा से बाहर निकालने, स्मृति बुद्धि बढ़ाने में।


थं- अनियमित, अधिक मासिक स्त्राव में।


रं- मंदाग्नि दूर करने, पाचन शक्ति बढ़ाने में।


टं- विघ्नबाधा, संकट मिटाने हेतु।


बं- वायु रोग नाशक।


गं - बुद्धिशक्ति, धारणाशक्ति वर्धक।

Sunday, September 4, 2022

साइड इफेक्ट हुआ हो तो

 आयुर्वेद साइड इफेक्ट न हो ऐसा बताता है। गिलोय का रस ले लिया करो। गिलोय जहां तहां खूब मिलती है। उसकी टहनियों तोड़ के मिक्सी में गुमा दो और सुबह सुबह गिलोय का रस 20 - 25 मिलि. ले लिया करो। कैसा भी साइड इफेक्ट हुआ हो भाग जाएगा।

Thursday, September 1, 2022

जामफल

कई चीजें स्वास्थप्रद होती हैं। कई सब्जियां स्वास्थप्रद होती है जैसे जमफल। त्रिदोष नाशक है। 132 प्रकार की बीमारियों का नाश करता है जामफल लेकिन इसके बीज चबाने नहीं चाहिए। खाली पेट जामफल खाकर फिर खाना खाओ। बहुत सारी बीमारियों की जड़ हटा देगा। पूरा ही त्रिदोष नाशक है।

दांत की मजबूती के लिए

 दांत की मजबूती के लिए गुलाब जीरा पाउडर 15 रुपए की डब्बी मिलती है। इस पाउडर को रात को घिस लो और लार थूकना हो तो थूक लो पर कुल्ला मत करो गुलाब जीरा पाउडर गुलाब के फूलों का ही है। इससे मसूड़े व दांत मजबूत बनते हैं।

बच्चों को कफ रहता हो तो

 बच्चों को कफ रहता हो तो 50 ग्राम शहद व 10 ग्राम लहसुन की चटनी बना कर बच्चों को चटा दें। सर्दी खांसी में तो आराम होगा साथ ही पेट की कृमि भी नष्ट होती है।

Tuesday, August 30, 2022

आम के आम, गुठलियों के दाम

 

आम की गुठली को तोड़कर उसमें निकली गिरी को टुकड़े करके नमक में सेक ले 100 ग्राम लेने से साल भर B12 की कमी नही होगी- पूज्य बापू जी

माघ_वर्षा_सोना_बरसा



सूर्य का प्रवेश मघा_नक्षत्र में हो वर्षा हो तो वर्षा का पानी सोना के समान है।

नेत्र में डालो वह पानी। वह पीने से बच्चों की #किडनी स्वस्थ होगी, बच्चें हष्टपुष्ठ होगे।

भोजन बनाने के काम लाओ तो कहना ही क्या ।

🗓️ 15 अगस्त से 30 अगस्त तक अच्छे बर्तन में (स्टील, तांबा,पीतल कांच के) भर कर रखो। 12 महीने रहेगा तो भी कुछ नहीं होगा जैसे #गंगाजल । माघ का जल जीवन को तृप्त करेगा।

Friday, April 15, 2022

पुण्यदायी तिथियाँ व योग

 



१९ अप्रैल : अंगारकी-मंगलवारी चतुर्थी ( शाम ४:३९ से २० अप्रैल सूर्योदय तक )

२१ अप्रैल : पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का अवतरण दिवस अर्थात विश्व सेवा -सत्संग दिवस

२६ अप्रैल : वरूथिनी एकादशी ( सौभाग्य, भोग, मोक्ष प्रदायक व्रत, १०,००० वर्षों की तपस्या के समान फल | माहात्म्य पढने-सुनने से १००० गोदान का फल )

३ मई : अक्षय तृतीया ( पूरा दिन शुभ मुहूर्त), त्रेता युगादि तिथि (स्नान, दान, जप, तप, हवन आदि का अनंत फल)

८ मई : रविवारी सप्तमी ( सूर्योदय से शाम ५:०१ तक ), रविपुष्यामृत योग ( सूर्योदय से दोपहर २:५८ तक)

१२ मई : मोहिनी एकादशी ( व्रत से अनेक जन्मों के मेरु पर्वत जैसे महापापों का भी नाश)

१५ मई : विष्णुपदी संक्रांति ( पुण्यकाल: सूर्योदय से दोपहर १२:३५ तक) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म का लाख गुना फल)


ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२२ से

आरोग्यवर्धक जल

 

घर के ईशान कोण में ज्यादा – से – ज्यादा स्थान खुला रहे और उस स्थान पर एक गमले में तुलसी का पौधा लगाकर रखें | तुलसी के गमले के पास मिटटी के कलश में जल भरकर रखें | इस जल को पीने से शरीर में आरोग्य की वृद्धि होती है और मन में पवित्रता, सात्विकता का संचार होता है | 

यदि जल को निहारते हुए पूज्य बापूजी द्वारा बताये गये ॐ नमो नारायणाय | मंत्र का २१ बार जप करके फिर इस जल का पान किया जाय तो यह असाध्य रोगों को भी दूर करने में बहुत मदद करता है | 

(औषधि-सेवन से पूर्व भी इस मंत्र का २१ बार जप विशेष लाभदायी है |) जल में १ – २ तुलसी-पत्ते डालकर जल पीना स्मरणशक्ति और सम्पूर्ण स्वास्थ्य की अनोखी युक्ति है |


ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२२ से

कैसे हो ग्रीष्मजन्य समस्याओं का समाधान ?

 

(ग्रीष्म ऋतू : २० अप्रैल से २० जून)

ग्रीष्म ऋतू का प्रारम्भ होते ही असहनीय गर्मी तथा उससे जुडी समस्याओं, जैसे-थकान, शरीर में तथा पेशाब में जलन, अपच, दस्त, आँख आना,  मूत्र-संक्रमण , चक्कर आना, लू लगना आदि का प्रादुर्भाव होता है |  गर्मी से राहत पाने के लिए लोग आइसक्रीम, फ्रिज का ठंडा पानी, दही, लस्सी, बर्फ, कोल्ड ड्रिंक्स आदि लेना शुरू कर देते है लेकिन क्या इनसे समस्याओं का हल होता है ? नहीं ... इससे तो वायु की वृद्धि होती है और पाचनशक्ति व गर्मी सहने की क्षमता कम हो जाती है |

इन दिनों में शरीर का स्नेह अंश कम होने से शारीरिक बल स्वाभाविक कम हो जाता है, जिससे थकान या कमजोरी महसूस होने लगती है | इसे दूर करने के लिए लोग सूखे मेवे, मिठाइयाँ  आदि पचने में भारी चीजों का सेवन करते हैं या दिन में बार-बार कुछ – न – कुछ खाते रहते हैं | इससे कमजोरी दूर नहीं होती बल्कि शरीर में अपचित आहार रस ( कच्चा रस) बनकर थकान, कमजोरी व रोग बढ़ जाते हैं | ऐसे में सुंदर उपाय है सत्तू | देशी गाय का घी, मिश्री व पानी मिलाकर बनाया जौ का सत्तू स्निग्ध, पौष्टिक व शीघ्र शक्तिदायी है | नींबू-पुदीने की शिंकजी, गन्ने का रस, आम का पना एवं बेल, गुलाब, पलाश व कोकम का शरबत, नारियल पानी, घर पर बनायी ठंडाई आदि पेय पदार्थ तथा खरबूजा, तरबूज, बिना रसायन के पकाये मीठे आम, मीठे अंगूर, अनार, सेब, संतरा, मोसम्बी, लीची, केला आदि फलों का सेवन लाभदायी है | मुलतानी मिट्टी या सप्तधान्य उबटन से स्नान करना, मटके का पानी पीना, रात को देशी गाय के दूध में मिश्री मिलाकर पीना स्वास्थ्यप्रद है |

कुछ लोग दही को ठंडी प्रकृति का समझकर इस ऋतू में उसका भरपूर सेवन करते है किंतु वास्तव में दही गर्म प्रकृति का होता है और साथ ही पचने में भारी भी होता है | अनुचित काल में एवं अनुचित ढंग से दही का सेवन शरीर के स्त्रोतों में अवरोध कर शरीर में सूजन उत्पन्न करता है इसलिए इस ऋतू में दही का सेवन करना वर्तमान व भविष्य में गम्भीर रोगों को निमन्त्रण देना है | छाछ पीनी हो तो दही में ८ गुना जल मिला के, मथ के,  मिश्री, धनिया, जीरा चूर्ण मिलाकर अल्प मात्रा में ले सकते हैं | स्वस्थ व्यक्ति कभी-कभी अल्प मात्रा में घर में बनाया गया ताजा श्रीखंड ले सकते है | ग्रीष्म में साठी के चावल का सेवन उत्तम है |

इस ऋतू में उत्तम स्वास्थ्य के लिए – रात में देर तक जागना, सुबह देर तक सोये रहना, पति-पत्नी का सहवास, धूप का सेवन, अति परिश्रम, अति व्यायाम व अधिक प्राणायाम से बचें |

ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२२ से

शंख व शंखजल के लाभ

 

शंख के कुछ स्वास्थ्य – प्रयोग

पूज्य बापूजी शंख के स्वास्थ्य-हितकारी प्रयोग बताते हुए कहते हैं : “कोई बच्चा तोतला अथवा गूँगा है तो शंख में पानी रख दो | सुबह का रखा हुआ पानी शाम को, शाम का रखा हुआ पानी सुबह को ५० – ५० मि.ली. उस बच्चे को पिलाओ और उसके गले में छोटा-सा शंख बाँध दो | १ – २ चुटकी ( ५० से १०० मि.ग्रा. ) शंख भस्म शहद के साथ सुबह-शाम चटाओ तो वह बच्चा बोलने लग जायेगा | शंख भस्म अन्य कई रोगों में भी एक प्रभावकारी औषधि है |

गर्भिणी स्त्री शंख का पानी पिये तो उसके कुटुम्ब में २-४ पीढ़ियों तक तोतला – गूँगा बच्चा नहीं पैदा होगा | यह हमारे भारत की खोज है, पाश्चत्य विज्ञानियों की खोज नहीं है |   गूँगे और तोतले व्यक्ति को शंख फायदा करता है और शंख -ध्वनि वातावरण को शुद्ध करती है इतना ही नहीं, दूसरे भी बहुत सारे फायदे बताये गये हैं | जहाँ लोगों का समूह इकट्ठा होता है वहाँ शंखनाद पवित्र, सात्विक माना जाता है |

शंखजल का छिड़काव व पान क्यों ?

शंख में जल भरकर उसे पूजा-स्थान में रखे जाने और पूजा – पाठ, अनुष्ठान होने के बाद श्रद्धालुओं पर उस जल को छिड़कने का कारण यह है कि इसमें कीटाणुनाशक शक्ति होती है और शंख में जो गंधक, फॉस्फोरस और कैल्शियम की मात्रा होती है उसके अंश भी जल में आ जाते हैं | इसलिए शंख के जल को छिड़कने और पीने से स्वास्थ्य सुधरता है |

भगवान कहते हैं : “जो शंख में जल लेकर ॐ नमो नारायणाय मंत्र का उच्चारण करते हुए मुझे नहलाता है वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है | जो जल शंख में रखा जाता है वह गंगाजल के समान हो जाता है | तीनों लोकों में जितने तीर्थ है वे सब मेरी आज्ञा से शंख में निवास करते है इसलिए शंख श्रेष्ठ माना गया है | जो शंख में फूल, जल और अक्षत रखकर मुझे अर्घ्य देता है  उसे अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है | जो वैष्णव मेरे मस्तक पर शख का जल घुमाकर उसे अपने घर में छिडकता है उसके घर में  कुछ भी अशुभ नहीं होता | मृदंग और शंख की ध्वनि तथा प्रणव (ॐकार) के उच्चारण के साथ किया हुआ मेरा पूजन मनुष्यों को सदैव मोक्ष प्रदान करनेवाला है |” (स्कन्द पुराण, वैष्णव खंड)


ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२२ से

कुसंस्कार व पाप मिटानेवाला पुण्यमय स्नान

 

वैशाख मास के अंतिम ३ दिन : १४ से १६ मई

वैशाख मास में कोई तीर्थ का सेवन करता है अथवा प्रभातकाल में ( सूर्योदय के पूर्व) स्नान करता है तो उसके करोड़ो जन्मों के कुसंस्कार और पाप मिट जाते हैं | बड़े-बड़े यज्ञों – अश्वमेध यज्ञ आदि से जो पुण्य प्राप्त होता है वह वैशाख मास के सत्संग, स्नान, दान से प्राप्त हो जाता है | 

जिसने एक महिना वैशाख – स्नान नहीं किया वह महीने के आखिरी ३ दिन ( तेरस, चौदस और पूनम) अगर प्रभातकाल में स्नान कर लेता है तो भी भगवान उसका पूरा मास स्नान में गिन लेते हैं | ऐसे उदार परमात्मा को प्रणाम हो !


ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२२ से

Thursday, March 31, 2022

ग्रीष्म में पौष्टिक व लाभदायी प्रयोग

 

१] २ -३ खजूर तथा २० – २५ किशमिश या मनुक्का ३ – ४ बार अच्छी तरह धोकर रात को मिटटी के पात्र में ( मिटटी – पात्र न हो तो स्टील के पात्र में ) २५० मि.ली. पानी में भिगो दें | किशमिश व मनुक्का कभी-कभी गोमूत्र ( या गोमूत्र अर्क) की कुछ बुँदे पानी में डाल के उससे भी धो सकते हैं | सुबह मसलकर १ चम्मच आँवला या नींबू रस, यथावश्यक मिश्री व सैंधव नमक मिला के पियें | यह शरीर की थकान और कमजोरी दूर करके तुरंत शक्ति प्रदान करनेवाला पौष्टिक पेय है |

२] सौंफ व मिश्री समान मात्रा में कूटकर रखें | १ चम्मच मिश्रण शीतल जल या देशी गोदुग्ध में मिला के सुबह-शाम पियें |यह शीघ्र स्फूर्तिदायक है, साथ ही मस्तिष्क व नेत्रों की कमजोरी, ह्रदयरोग व रक्तविकारों में भी लाभकारी है | सौंफ वात-पित्तशामक, कफ – निस्सारक, जलन, प्यास, उलटी, बवासीर, नेत्ररोग आदि में लाभदायी है | कहा भी गया है :

शीतल जल में डालकर सौंफ गलाओ आप |

मिश्री के संग पान कर मिटे दाह-संताप ||


                                                                                                                 ऋषिप्रसाद – मार्च २०२२ से 

अमृतबिंदु

 

·       जो वाणी का, विचारों का और समय का सदुपयोग करता है वह सत्यस्वरूप को पा लेता है, चित्त के स्फुरणो से ऊपर उठ जाता है |

·       आप जो भी काम करते हो, अगर वह ईश्वर के रास्ते जाने के लिए सहयोग देता हैं तो पुण्यकर्म हैं और ईश्वर से विमुख करता है तो पापकर्म है |

·       जिनके पास जपरूपी शस्त्र होता है उनको काल का भय नही रहता, भूत -प्रेत का भय नहीं रहता और मेरा क्या होगा?’ यह चिंता भी नहीं रहती |

·       मन में हो भगवान के लिए प्रीति, व्यवहार में हो भगवान के लिए सदभाव और धर्म एवं इन्द्रियों में हो संयम तो छोटे-से-छोटा व्यक्ति भी साक्षात भगवदरूप हो जायेगा |

·       उत्तम शिष्य हनुमानजी जैसे होते हैं, वे गुरु की सेवा खोज लेते हैं |

·       आत्मा को निहारकर अपना बेडा पार कर लो, छोटी-छोटी बातों में कब तक उलझते रहोगे ?

·       विषय-विकारों में सुखाभास है, सच्चा सुख तो आत्मा में हैं |

·       परमात्मसुख के सिवाय जो भी सुख मिलेगा वह जीव को धोखे में ही डालता है बेचारा |

·       जिनका राग-द्वेष चला गया वे मानो परमेश्वर ही है |

·       हमारा लक्ष्य भारतीय संस्कृति की रक्षा करना है, इसकी ऊँचाइयों को छूना है |

·       संत-पुरुषों की वाणी, उनके दर्शन, सान्निध्य और उनकी दृष्टी से जीवों के ह्रदय पवित्र होते हैं |

·       जीवन का अंत होने से पहले सच्चिदानंद से आपका तालमेल हो जाना यह सच्ची उपलब्धि है |

·       जब तक जीवत्व है तब तक कर्तव्य है, जब चिदाकाश हो गये तब अंत:करण में कोई कर्तव्य नहीं रहता |

·       जो सतशिष्य है वह मान और मत्सर (ईर्ष्या, द्वेष) से रहित होता है |

·       सत्संग के बिना आत्मचिन्तामणि का प्रकाश नहीं होता |

·       जब ज्ञानवान पुरुषों की कृपा होती है तब जीवन, वास्तविक जीवन के रास्ते पर चलना शुरू करता है |

·       जिसको जल्दी उन्नति करनी हो वह गुरुओं की दृष्टी में रहे ताकि अपना मन दगा न दे पाये |

·       जो सत्संग करते, करवाते या उसमें साझेदार होते है उनकी ७ – ७ पीढ़ियों का उद्धार होता है |

·       सेवा में तत्परता है और स्वार्थ नहीं है, द्वेष नहीं है, राग नहीं है तो वह कर्मयोग बन जायेगा |

·       संकट या विघ्न दिखते भयंकर हैं लेकिन आते है आपके विकास के लिए, आत्मबल बढाने के लिए |

·       सच्चे संतो से समाज विमुख हो जाय तो समाज को शांति, भाईचारा और सदाचार कहाँ से मिलेगा ?

·       आप जहाँ हो वहाँ अगर प्रसन्न नहीं हो तो वैकुण्ठ में भी प्रसन्नता मिलना सम्भव नहीं है |

·       श्रद्धा के साथ वेदान्त-ज्ञान होगा तभी आप दूसरों का हित कर सकते है |

·       शुद्ध ज्ञान में जगने के लिए इन्द्रियों को विषय-विकारों के श्रम से बचाये |

·       वे ही दु:खी और विफल होते हैं जो ईश्वरीय सिद्धांत के खिलाफ काम करते हैं |

·       जो किसीकी निंदा करते हैं, सुनते हैं वे अपने साथ अनर्थ करते हैं |

·       भगवान का ज्ञान जिनके ह्रदय में हो जाता है उनका ह्रदय दाता के गुणों से अपने-आप भर जाता है |

·       उत्साह, मनोबल और आनंदबल बढाकर शरीर से काम लेनेवाले सदा जवान रहते है |

·       जब तक भक्ति का रंग नहीं लगता तब तक संसार का रंग छूटता नहीं |

·       ईश्वर का रास्ता इतना सुगम है कि जहाँ से तुम चलते हो वहीँ मंजिल है |

·       ईर्ष्यारहित व्यक्ति को अंतर का सुख प्राप्त होता है |

·       आवेश से हमारी शक्तियाँ क्षीण होती हैं और समता से उनका विकास होता है |

·       संत का सान्निध्य भगवान के सान्निध्य से भी बढकर माना गया है |

·       लोग अभाव से दु:खी नहीं होते, नासमझी से दु:खी होते हैं |

·       दूसरे के अधिकार की रक्षा करते हुए सेवा करते हैं तो वह भजन हो जाता है |


ऋषिप्रसाद – मार्च २०२२ से

हानिकारक शक्कर का उत्तम विकल्प : देशी गुड़

 

देशी गुड़ स्निग्ध, बल-वीर्यवर्धक, वात-पित्तशामक, पचने में भारी, मूत्र की शुद्धि करनेवाला एवं नेत्र-हितकर है | यह हड्डियों और मासपेशियों को सशक्त बनाने में सहायक है |

पुराना गुड़ पचने में हलका, रुचिकारक, ह्रदय-हितकर, थकान दूर करनेवाला, भूखवर्धक व रक्त को साफ़ करनेवाला है | गुड़ को संग्रहित करके रखें व एक वर्ष पुराना होने पर खायें, यह विशेष हितकारी है | इससे गुड़ के हानिकारक प्रभाव से भी रक्षा होगी |

भैषज्यरत्नावली के अनुसार पुराना गुड़ नहीं मिलने पर नये गुड़ को १२ घंटे तीव्र धूप में रखकर उपयोग कर सकते हैं |’

मैल को निकाले बिना जो गुड़ बनाया जाता है उसके सेवन से पेट में कृमियों की उत्पत्ति होती है | यह मेद, मांस, मज्जा तथा कफ को बढाता है | रासयनिक द्रव्यों के उपयोग से बनाया गया गुड़ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है |

सफेद जहर से बचें

गन्ने के रस में जितने प्रकार के पोषक तत्व विद्यमान होते हैं वे लगभग सभी तत्त्व गुड़ में पाये जाते हैं | अत: मीठे व्यंजनों में शक्कर के स्थान पर गुड़ का उपयोग हितकारी है | शक्कर शरीर को कोई खनिज तत्व या विटामिन नहीं देती बल्कि वह कैल्शियम , विटामिन डी जैसे शरीर के महत्वपूर्ण तत्त्वों का ह्रास कर देती है | वर्तमान में अधिकतर लोगों में पायी जानेवाली अस्थियों की दुर्बलता व भंगुरता का एक मुख्य कारण शक्कर है | यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया सैन फ्रांसिस्को के पीडियाट्रिक न्यूरो-एंडोक्रायनोलॉजिस्ट रॉबर्ट लस्टिंग कहते हैं कि “शक्कर बीमारियाँ बनाती हैं, यह जहर है |

यह ह्रदयरोग, कैंसर, मधुमेह जैसे गम्भीर रोगों का खतरा बढ़ा देती हैं | हानिकारक रसायनों से रहित पुराना देशी गुड़ इसका उत्तम विकल्प है |

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड एप्लिकेशन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार गुड़ में शरीर के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिज, जैसे – कैल्शियम, फोर्स्फोरस, मैग्नेशियम, पोटैशियम, लौह, जिंक, ताँबा, फोलिक एसिड तथा विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स आदि पाये जाते हैं |

सावधानियाँ :  रसायनरहित देशी गुड़ का ही सेवन करे | गुड़ की प्रकृति गर्म होने से गर्भवती महिलाएँ व पित्त प्रकृतिवाले लोग इसका सेवन अल्प मात्रा में करें | कृमि, मोटापन, बुखार, भूख कम लगना और मधुमेह आदि में गुड़ नहीं खाना चाहिए | गुड़ के साथ दूध व उड़द का सेवन न करें |                     

ऋषिप्रसाद – मार्च २०२२ से

Monday, February 14, 2022

इन तिथियों व योगो का लाभ अवश्य लें

 


२३ फरवरी : बुधवारी अष्टमी ( शाम ४:५७ से २४ फरवरी सूर्योदय तक)

२७ फरवरी : त्रिस्पृशा-विजया एकादशी  ( इस दिन उपवास से १००० एकादशी व्रतों का फल)

१ मार्च : महाशिवरात्रि व्रत, रात्रि- जागरण, शिव-पूजन (निशिथकाल : रात्रि १२:२६ से १:१५ तक)

२ मार्च: द्वापर युगादि तिथि ( स्नान, दान-पुण्य, जप, हवन से अनंत फल की प्राप्ति होती है |)

१३ मार्च : रविपुष्यामृत योग ( रात्रि ८:०६ से १४ मार्च सूर्योदय तक)

१४ मार्च : आमलकी एकादशी ( व्रत करके आँवले के वृक्ष के पास रात्रि-जागरण, उसकी १०८ या २८ परिक्रमा करने से सब पापों का नाश व १००० गोदान का फल ), षडशीति संक्रान्ति ( पुण्यकाल : दोपहर १२:४८ से सूर्यास्त तक) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म का ८६,००० गुना फल )

 

ऋषिप्रसाद – फरवरी २०२२ से

किसकी आयु कम हो जाती है ?

 

  • जिनको अति अभिमान होता है, जो अधिक एवं व्यर्थ का बोलते हैं उनकी आयु कम हो जाती है | 
  • जो निंदा-ईर्ष्या करते है या दुर्व्यसन में फँसे हैं अथवा जो जरा-जरा बात में क्रुद्ध हो जाते हैं उनकी भी उम्र कम हो जाती है | 
  • जो अधिक खाना खाते हैं, रात को देर से खाते हैं, बिनजरूरी खाते हैं, चलते-चलते खाते हैं, खड़े-खड़े हैं उनका भी स्वास्थ्य लडखडा जाता है और आयु कम हो जाती है | 
  • जो मित्र, परिवार से द्रोह करते हैं, संतो, सज्जनों की निंदा करते है उनकी भी आयु कम होती है, जो ठाँस- ठाँस के खाता है, ब्रह्मचर्य का नाश करता रहता है वह जल्दी मरता है | 
  • जो प्राणायाम और भगवद-मंत्र का जप नहीं करता उसकी लम्बी आयु होने में संदेह रहता है और जो ब्रह्मचर्य पालते हैं, प्राणायाम करते हैं उनकी आयु बढती है |

 

ऋषिप्रसाद – फरवरी २०२२ से

कष्ट-बाधा और पितृदोष का उपाय

 

सदगुरु या इष्ट का ध्यान करते हुए निम्नलिखित शिव-गायत्री मंत्र की एक माला सुबह अथवा शाम की संध्याओं में कभी भी कुछ दिन जपने से पितृदोष, कष्ट-बाधा दूर हो जाते हैं तथा पितर भी प्रसन्न होते हैं | जब पितर प्रसन्न होते हैं तो घर में सुख-समृद्धि, वंशवृद्धि व सर्वत्र उन्नति देते हैं |

मंत्र : 

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि | तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्  || 

(लिंग पुराण, उत्तर भाग :४८.७)


ऋषिप्रसाद – फरवरी २०२२ से

ॐकार – जप से सर्वरोग दूर तथा अमरत्व का बोध

 

अग्नि पुराण में वैद्य – शिरोमणि भगवान धन्वन्तरिजी आचार्य सुश्रुतजी से कहते हैं : “सुश्रुत ! ‘ॐकार’ आदि मंत्र आयु देनेवाले तथा सब रोगों को दूर करके आरोग्य प्रदान करनेवाले हैं | इतना ही नहीं, देह छूटने के पश्यात वे स्वर्ग की भी प्राप्ति करानेवाले हैं | ‘ॐकार’ सबसे उत्कृष्ट मन्त्र है | उसका जप करके मनुष्य अमर हो जाता है – आत्मा के अमरत्व का बोध प्राप्त करता है अथवा देवतारूप हो जाता है |”

 

ऋषिप्रसाद – फरवरी २०२२ से

वसंत ऋतू में विशेष उपयोगी कफनाशक पेय

 

(वसंत ऋतू : १८ फरवरी से १९ अप्रैल २०२२ )

आधा लीटर पानी में ३ से ५ तेजपत्ते, २ इंच अदरक के १ या २ टुकड़े (काट के ) और  ३ – ४ लौंग डाल के १० – १५ मिनट उबालें | ठंडा होने पर छान के २ चम्मच शहद मिलाकर रख लें | इसे दिन में तीन – चार बार आधा कप गुनगुने पानी में थोडा-थोडा डाल के पिये | बिना शहद मिलाये मधुमेह में भी ले सकते हैं |

 

लाभ: यह प्रयोग रुचिवर्धक, पाचक, रक्तशोधक, व उत्तम कफशामक है | सर्दी, जुकाम और खाँसी में लाभदायी है | वसंत ऋतू में कफजन्य समस्याएँ ज्यादा होती हैं अत: इन दिनों में यह विशेष उपयोगी है | इसमें लौंग होने से यह प्रयोग श्वासनली में जमा कफ को आसानी से बाहर निकालता है | अदरक वायरस से लड़ने में सहायक है |

ऋषिप्रसाद – फरवरी २०२२ से

 

पौष्टिक खजूर

 


खजूर रसायन का काम करते हैं | आप सभी इनके लाभों से लाभान्वित हो सकें इस उद्देश्य से इन्हें आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों पर व समितियों में भी उपलब्ध कराया गया है |

 

लाभ : १] ये वात-पित्तशामक होते हैं | इनमें विटामिन ए, बी-१, बी-र, बी-३, बी-५ तथा कैल्शियम, लौह, मैग्नेशियम आदि अनेक पोषक तत्त्व पाये जाते हैं |

२] ये तुरंत शक्ति देनेवाले, स्फूर्तिदायक , रोगप्रतिरोधक क्षमता व पाचनशक्ति को बढ़ानेवाले होते हैं |

३] ये ह्दय व मस्तिष्क को शक्ति देते हैं | रक्त को बढाकर रक्ताल्पता को दूर करते हैं | महिलाओं के लिए, विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिए ये बहुत गुणकारी होते हैं |

४] ये शरीर के सभी अंगो को मजबूत करते हैं | इनमें अत्यधिक प्राकृतिक शर्करा पायी जाती है | दूध में चीनी मिलाने की अपेक्षा भिगोये हुए २ – ३ खजूर पीसकर मिलाना शरीर के लिए हितकारी है |

५] आँतों में जो हानिकारक जीवाणु होते हैं उन्हें ये नष्ट करते हैं | पेट व आँतों के संक्रमण, कब्ज आदि समस्याओं में ये लाभदायी है |

सेवन-मात्रा : बड़े ३ से ५ एवं बच्चे २ से ४ खजूर अच्छी तरह धोकर रात को भिगो के सुबह खायें |

 

ऋषिप्रसाद – फरवरी २०२२ से

शारीरिक – मानसिक आरोग्य हेतु संजीवनी बूटी : पैदल भ्रमण

 


प्रात: पैदल भ्रमण एक सुंदर व्यायाम है | यह संजीवनी बूटी के समान गुणकारी है | भ्रमण करते हुए वायु स्नान या सेवन से शरीर में तेज, ओज, बल, कांति, स्फूर्ति, उत्साह एवं आरोग्य का संचार होता है, चित्त प्रसन्न होता है |

 

एक कहावत है : सौ दवा, एक हवा | ऋग्वेद ( मंडल १०, सूक्त १८६, मंत्र १ ) में प्रार्थना की गयी है : हमारे ह्रदय के लिए शातिदायक, वैभवकारक, औषधिरूप वायु प्राप्त हो अर्थात हमें निरोग, पुष्टिकारक व आयुवर्धक उत्तम वायु मिलती रहे |

 

पैदल भ्रमण दिनचर्या कका एक अंग हो

भारत में प्राचीन काल से ही पैदल चलने का प्रचलन है | इसीका परिणाम है कि हमारे देश के लोग उतने मोटे व बीमार नहीं होते जितने पाश्चात्य देशों के होते हैं | बच्चे हों या बुजुर्ग, महिला हो या पुरुष सभी आयु-वर्ग के व्यकित्यों के लिए प्रात: पैदल भ्रमण नि:शुल्क औषधि है |

पूज्यश्री कहते है : “प्रात: ब्राह्ममुहूर्त में वातावरण में निसर्ग की शुद्ध एवं शक्तियुक्त वायु का बाहुल्य होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हितकारी है |

 

भ्रमण शरीर के पृष्ट-भाग कि मांसपेशियों को मजबूत प्रदान करता है | यह रक्तवाहिकाओं को खोल देता है, जिससे मांसपेशियों में ऑक्सीजन और पोषक तत्त्वों की मात्रा बढ़ जाती है | पैदल भ्रमण पीठ के निचले भाग की मांसपेशियों में जमा विषाक्त द्रव्यों को निकालकर लचीलापन प्रदान करता है | यह कैंसर, ह्रदयरोग, कमर-दर्द, श्वास आदि रोगों में लाभदायी है | शोधकर्ताओं के अनुसार पैदल चलने से शरीर में एंडोर्फिन नामक रसायन की मात्रा बढती है जो प्राकृतिक दर्द-निरोधक है | प्रचुर मात्रा में भ्रमण चिंता, उदासी, थकान, उत्साह का अभाव आदि तनाव के लक्षणों में काफी कमी ला देता है | इससे एकाग्रता, प्रश्न हल करने की शक्ति, स्मृति व संज्ञानात्मक क्रियाओं में वृद्धि होती है |

 

पैदल भ्रमण का उत्तम समय क्या और कितना करें भ्रमण ?

पैदल भ्रमण का उत्तम समय क्या और कितना करें भ्रमण ? सायंकाल कर सकते है | प्रात: भ्रमण से दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है |

२ -३ मील ( ३ से ५ कि.मी.) चल सकें तो अच्छा, नहीं तो प्रात:काल गुनगुना या सामान्य पानी पीकर खुली हवा में आरम्भ में आधा किलोमीटर से २ -३ किलोमीटर तो कोई भी स्वस्थ व्यक्ति आसानी से टहल सकता है |

 

हो सके तो कुछ समय पंजो के बल चलें | इससे पेट में संचित मलो का सरलता से निष्कासन होगा | जहाँ तक हो सके अकेले ही भ्रमण करें |

 

वसंत ऋतू (१८ फरवरी से १९ अप्रैल) आने पर शीत ऋतू में शरीर में संचित हुआ कफ प्रकुपित होने से जठराग्नि मंद हो जाती है | आयुर्वेद शास्त्रों के अनुसार वसंत ऋतू में पैदल चलना बहुत ही हितकारी है | वसन्ते भ्रमणं पथ्यम | पैदल भ्रमण से शरीर में मृदुता, हलकापन व स्फूर्ति आती है और भूख भी खुलकर लगती है |

 

ऋषिप्रसाद – फरवरी २०२२