वैशाख मास के अंतिम ३
दिन : १४ से १६ मई
वैशाख मास में कोई तीर्थ का सेवन करता है अथवा प्रभातकाल में ( सूर्योदय के पूर्व) स्नान करता है तो उसके करोड़ो जन्मों के कुसंस्कार और पाप मिट जाते हैं | बड़े-बड़े यज्ञों – अश्वमेध यज्ञ आदि से जो पुण्य प्राप्त होता है वह वैशाख मास के सत्संग, स्नान, दान से प्राप्त हो जाता है |
जिसने एक महिना वैशाख –
स्नान नहीं किया वह महीने के आखिरी ३ दिन ( तेरस, चौदस और
पूनम) अगर प्रभातकाल में स्नान कर लेता है तो भी भगवान उसका पूरा मास स्नान में गिन
लेते हैं | ऐसे उदार परमात्मा को प्रणाम हो !
ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२२ से
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