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Sunday, May 31, 2020

स्वास्थ्य- हितकारी सरल कुंजियाँ



१)     पाचनशक्ति की कमजोरी : सौंफ और जीरा समान मात्रा में लेकर सेंक के रखो | भोजन के बाद चबा के खाओ तो पाचनशक्ति तेज होगी |

२)     मिर्गी : किसीको मिर्गी की तकलीफ है तो २ चम्मच प्याज का रस पिलाकर ऊपर से आधा चम्मच भुना हुआ जीरा खिला दो | मिर्गी की बीमारी में ५ – १० दिन में लाभ होगा |

३)     सौंदर्य व निखार हेतु : मुलतानी मिटटी और आलू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाओ, चेहरे में सौंदर्य और निखार आयेगा |

४)     मसूड़ों की तकलीफ : जिनके मसूड़ों से खून बहता है वे मुँह में ५ से १५ बूँदनींबू का रस डाल के मसूड़ों को घिंसे | मसूड़ों से खून आना बंद हो जायेगा, दाँत मजबूत हो जायेंगे |

५)     मुँह की दुर्गंध : नमक और काली मिर्च मिला के कभी-कभी मंजन करें तो मिंह में से दुर्गंध चली जायेगी |

६)     फोड़ें – फुंसी में : फोड़ें – फुंसी निकले हैं, उनमें सफेद –सफेद मवाद है और लाल-लाल हैं तो यह पित्त और कफ का प्रभाव है | उनको नोंचकर ऊपर से सरसों का तेल लगा दें और घृतकुमारी का सेवन करें तो कफ और पित्त सुबह शौच के द्वारा निकल जायेगा | फोड़ें – फुंसी शांत हो जायेंगे |

७)     गर्मी से रक्षा हेतु पलाश शरबत : गर्मी के दिनों में मिल सकें तो पलाश के फुल भिगो दो | उनको शरीर पर रगड़ों और पलाश के फूलों में शक्कर या मिश्री व पानी मिला के शरबत बनाओ | तुम दुसरे कैसे भी शरबत पीते हो वे इतनी गर्मी नहीं हरते जितना पलाश के फूलों का शरबत गर्मी को हरता है |

(पलाश के फूलों से बना शरवत एवं घृतकुमारी रस व मुलतानी मिटटी आश्रम में व समितियों के सेवाकेन्द्रों से प्राप्त हो सकते हैं | )

लोककल्याणसेतु – अप्रैल- मई २०२० से

आइसक्रीम, फ्रिज में रखे खाद्य – पेय आदि से बचें




भोजन के बाद आइसक्रीम खाना..... अरे, तवे पर रोटी डाली है और फिर ऊपर से ठंडा पानी डालें तो क्या रोटी का सत्यानाश नहीं होगा ? ऐसे ही पेट में जठराग्नि खाना पचा रही है और फिर कुछ ठंडा- ठंडा डाला तो जठराग्नि मंद होगी | भोजन के साथ ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए, गुनगुना पानी पीना चाहिए |

ठंडा- ठंडा पानी, कोल्डड्रिंक आदि लेते हैं तभी बीमारी होती है | गर्म- गर्म वातावरण से घर गये और फ्रिज का पानी पिया तो आपने अपने साथ दुश्मनी की | शरीर ठंडा होए दो जरा फिर आराम से खुले वातावरण में रखा हुआ ( सामन्य तापमानवाला ) पानी पियो | फ्रिज का पानी और फ्रिज में रखे हुए व्यंजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है |


लोककल्याणसेतु – अप्रैल- मई २०२० से

अधिक प्यास लगने की समस्या हो तो



गर्मी से अधिक प्यास लगती है, बिनजरूरी पानी पीना पड़ता है तो पुरानी ईट के टुकड़े को धो-धा के साफ़ करके आग में तपने के लिए डाल दो | 


खूब लाल हो जाय फिर उसको अलग ले के १००-१५० ग्राम दही से बुझा दो और वह दही छान – छून के थोड़ा – थोड़ा ( २ -२ चम्मच) करके दिनभर में खा लो | अधिक प्यास लगने की समस्या दूर हो जायेगी |



   
लोककल्याणसेतु – अप्रैल- मई २०२० से

ग्रहण से आनेवाली विपत्ति से मानव-समाज की रक्षा के लिए



(सूर्यग्रहण : २१ जून )

पूर्व में पूज्य बापूजी के द्वारा बताया गया ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने का उपाय

चन्द्रग्रहण में और सूर्यग्रहण में जो लोग करणीय नहीं करते हैं और अकरणीय करते हैं उनकी जीवनीशक्ति का ह्रास हो जाता है और दंड भोगते हैं | जैसे – ग्रहण के समय निद्रा में पड़े रहें तो रोगी बनेंगे और रोग मिटाना है तो उन रोगियों को भी ग्रहण के समय रोग मिटानेवाला जप करना चाहिए |

मनुष्यों के लिए ग्रहण के बाद के दिन बड़े दुःखदायी होते हैं | क्लेश, झगड़ा, रोग, युद्ध, अशांति आदि होते हैं | तो मैं अब सोच रहा हूँ कि इस आनेवाली विपत्ति से मानव-समाज की रक्षा के लिए व्यापक सेवा चाहिए | इसका केवल एक ही सुंदर उपाय है कि ‘मानव-जाति में कलह ण हो, अशांति न हो, झगड़े ण हों प्रभु ! इसलिए हम तेरे को पुकार रहे हैं |’ बस, श्रद्धा-प्रीति से यह भावना करके अगर (अपने-अपने घर में ) कीर्तन चालू कर दिया तो शूली में से काँटा हो जायेगा ,बड़ी-बड़ी विपत्तियाँ चली जायेंगी, विल्कुल पक्की बात है !

अपने लिए कुछ करना यह कंगालियत है, अपना स्वार्थ छोडकर बहुतों के लिए करना यह ईश्वरीय सत्ता के साथ एकाकार होना है |

ग्रहण में न करने योग्य काम छोडकर जप करेंगे, मौन रखेंगे, ध्यान करेंगे और ॐकार की उपासना करेंगे तो सच्चिदानंद परमात्मा के निकटवर्ती हो के जीवन्मुक्त भी हो सकते हैं और इष्ट के लोक की इच्छा है तो इष्टलोक तक की यात्रा कर सकते हैं |

(सूर्यग्रहण की विस्तृत जानकारी पढ़ें ऋषि प्रसाद, अप्रैल-मई २०२० के संयुक्तांक में और इसी  टिप्स में )


लोककल्याणसेतु – अप्रैल- मई २०२० से


पित्त की समस्याओं के लिए


मोबाइल फोन से सिरदर्द, आँखों की जलन और बहुत सारी गडबडियाँ पायी गयी हैं | अत: मोबाइल का उपयोग कम करें | जिनको सिरदर्द हो या आँखों में जलन हो, मुँह में छाले हों उनको पित्त की तकलीफ है | वे सुबह मंजन करते समय एक कटोरी में ठंडा पानी लें, उसका एक कुल्ला मुँह में रखें, बाकी के पानी में एक-एक आँख डुबा के आधा-आधा, एक-एक मिनट मिचकाये फिर मुँह का पानी बाहर कुल्ला कर दें तो मस्तक में चढ़ी हुई गर्मी आँखों व दाँतों के द्वारा भी नीचे आयेगी | सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान करें और सर्वप्रथम अपने सिर पर पानी डालें | पहले पैरों पर पानी डालने से पैरों की गर्मी सिर पर चढती हैं |

शयनं पित्तनाशाय..... गहरी नींद पित्त को उखाड़ फेंकती है | रात को नींद नहीं आती है तो गुनगुने पानी में थोड़ी मिश्री डाल के सोने के आधा-पौना घंटा पहले पी लो, फिर थोड़ा घूम-फिर के सो जाओ | सोते समय श्वास अंदर जाय तो ‘ॐ;, बाहर आये तो ‘१’..... श्वास अंदर जाय तो ‘शांति’, बाहर आये तो ‘२’..... – ऐसी मानसिक गिनती करो | अथवा तो अच्छी नींद आने का मंत्र जपो | इससे नींद अच्छी आयेगी |


लोककल्याणसेतु – अप्रैल- मई २०२० से


क्षयरोग (टी.बी.) में विशेष हितकारी आँवला



क्षयरोग की प्रारम्भिक अवस्था में आँवला बड़ा ही गुणकारी पाया गया है | इसमें क्षयरोग-प्रतिरोधक क्षमता है | आँवला व आँवले से बने पदार्थों, विशेषकर च्यवनप्राश का नियमित सेवन इसमें लाभदायी है | 

(च्यवनप्राश आश्रम में व समितियों के सेवाकेन्द्रों से प्राप्त हो सकता है )


लोककल्याणसेतु – अप्रैल- मई २०२० से

Friday, May 1, 2020

पुण्यदायी तिथियाँ




३० अप्रैल : गुरुपुष्यामृत योग (सूर्योदय से रात्रि १:५३ तक )

४ मई       : त्रिस्पृशा-मोहिनी एकादशी (उपवास से १००० एकादशी व्रतों का फल )

५ से ७ मई : वैशाख के इन अंतिम तीन दिनों के प्रात: पुण्यस्नान से पुरे वैशाख मास-स्नान का फल

१४ मई : विष्णुपदी संक्रांति (पुण्यकाल : सुबह १०:५३ से शाम: ५:१७ तक) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म का लाख गुना फल )

१८ मई : अपरा एकादशी (महापापों का नाश )

२६ मई : मंगलवारी चतुर्थी (सूर्योदय से रात्रि १:०९ तक )

२८ मई : गुरुपुष्यामृत योग (सूर्योदय से सुबह ७:२७ तक) (ध्यान, जप, दान, पुण्य महाफलदायी )

२ जून : निर्जला एकादशी (व्रत से अधिक मास सहित २६ एकादशियों के व्रत का फल; स्नान, दान, जप, होम आदि अक्षय फलदायी )

८ जून  : विद्यालाभ योग (गुजरात-महाराष्ट्र छोडकर भारतभर में )

९ जून : मंगलवारी चतुर्थी (सूर्योदय से रात्रि ७:३९ )

१४ जून : षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल : दोपहर १२:३९ से सूर्यास्त ) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म का ८६००० गुना फल )

१७ जून : योगिनी एकादशी (महापापों को शांत कर महान पुण्य देनेवाला तथा ८८००० ब्राह्मणों को भोजन कराने का फल प्रदान करनेवाला व्रत )

२० जून : दक्षिणायन आरम्भ (पुण्यकाल : सूर्योदय से सूर्यास्त ) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म कोटि-कोटि गुना अधिक व अक्षय फलदायी )

२१ जून : सूर्यग्रहण

ऋषिप्रसाद – मई २०२० से
    

स्वस्थ सोचें, स्वस्थ रहें


आपका मन जैसा सोचता है, तन में ऐसे कण बनने लग जाते हैं | शोक और बीमारी के समय शोक और बीमारी का चिंतन न करो बल्कि आप पक्का निर्णय करो कि ‘मैं स्वस्थ हूँ, निरोग हूँ...मैं बिल्कुल स्वस्थ हो रहा हूँ, मैं प्रसन्न हो रहा हूँ और मेरे सहायक ईश्वर है, सद्गुरु है, मै क्यों डरूँ!’ तो आपके ऐसे ही स्वास्थ्यप्रद, अमृतमय, हितकारी कण बनने लगेंगे |

जो खुश रहता है, प्रसन्न रहता है उसकी बीमारियों का विष भी नष्ट होने लगता है, उसके स्वास्थ्य के कण बनने लग जाते हैं और जो जरा-जरा बात में दु:खी, चिंतित, भयभीत हो जाता है तथा बीमारी के चिंतन में खोया रहता है, उसके शरीर में रोग के कण बन जाते हैं | इसलिए आप स्वस्थ रहिये, प्रसन्न रहिये और शरीर का रोग मन तक मत आने दीजिये, मन का रोग, मन का दुःख बुद्धि तक मत आने दीजिये एवं बुद्धि का राग-द्वेष ‘स्व’तक मत आने दीजिये |’स्व’ को हमेशा स्वस्थ रखिये |

ऋषिप्रसाद – मई २०२० से

कल्पनातीत मेधाशक्ति बढ़ेगी


नारद पुराण के अनुसार सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण के समय उपवास करें और ब्राह्मी घृत को ऊँगली से स्पर्श करे एवं उसे देखते हुए ‘ॐ नमो नारायणाय |’ मंत्र का ८००० बार (८० माला) जप करें | थोडा शान्त बैठे | 

ग्रहण-समाप्ति पर स्नान के बाद घी का पान करे तो बुद्धि विलक्षण ढंग से चमकेगी, बुद्धिशक्ति बढ़ जायेगी, कल्पनातीत मेधाशक्ति, कवित्वशक्ति और वचनशिद्धि (वाक् सिद्धि ) प्राप्त हो जायेगी |


ऋषिप्रसाद – मई २०२० से

संकटनाशक मंत्रराज


नृसिंह भगवान का स्मरण करने से महान संकट की निवृत्ति होती है | जब कोई भयानक आपत्ति से घिरा हो या बड़े अनिष्ट की आशंका हो तो भगवान नृसिंह के इस मंत्र का अधिकाधिक जप करना चाहिए :

ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम |
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम ||

पूज्य बापूजी के सत्संग में आता है कि “इस विशिष्ट मंत्र के जप और उच्चारण से संकट की निवृत्ति होती है |”

ऋषिप्रसाद – मई २०२० से

सुख-शांति व धनवृद्धि हेतु


सफेद पलाश के एक या अधिक पुष्पों को किसी शुभ मुहूर्त में लाकर तिजोरी में सुरक्षित रखने से उस घर में सुख-शांति रहती है, धन-आगमन में बहुत वृद्धि होती है |

ऋषिप्रसाद – मई २०२० से

कर्ज-निवारक कुंजी


प्रदोष व्रत यदि मंगलवार के दिन पड़े तो उसे ‘भौम प्रदोष व्रत’ कहते हैं | मंगलदेव ऋणहर्ता होने से कर्ज-निवारण के लिए यह व्रत विशेष फलदायी है | भौम प्रदोष व्रत के दिन संध्या के समय यदि भगवान शिव एवं सद्गुरुदेव का पूजन करें तो उनकी कृपा से जल्दी कर्ज से मुक्त हो जाते हैं | पूजा करते समय यह मंत्र बोले :

मृत्युंजय महादेव त्राहि मां शरणागतम ||
जन्ममृत्युजराव्याधिपीडितं कर्मबन्धनै: ||

इस दैवी सहायता के साथ स्वयं भी थोडा पुरुषार्थ करें |

(इस वर्ष ‘भौम प्रदोष व्रत’ ५ व् १९ मई तथा १५ व २९ सितम्बर २०२० को है |)

ऋषिप्रसाद – मई २०२० से

विद्यालाभ व अद्भुत विद्वत्ता की प्राप्ति का उपाय



‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनी सरस्वति मम जिह्वाग्रे वद वद  ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नम: स्वाहा |’ इस मंत्र को इस वर्ष गुजरात और महाराष्ट्र छोडकर भारतभर के लोग ८ जून को दोपहर १:४५ से रात्रि ११:४५ बजे तक 

तथा केवल  गुजरात और महाराष्ट्र के लोग ५ जुलाई को रात्रि ११:०२ से ११:४५ बजे तक या ६ जुलाई को प्रात: ३ बजे से रात्रि ११:१२ तक १०८ बार जप लें और फिर मंत्रजप के बाद उसी दिन रात्रि ११ से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से ‘ह्रीं’ मंत्र लिख दें | 

जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा उसे विद्यालाभ व अद्भुत विद्वत्ता की प्राप्ति होगी |

ऋषिप्रसाद – मई २०२० से

महामारी, रोग व दुःख शमन हेतु मंत्र


अग्निपुराण में महर्षि पुष्करजी परशुरामजी से कहते हैं कि “यजुर्वेद के इस (निम्न मंत्र से दूर्वा के पोरों की १० हजार आहुतियाँ देकर होता (यज्ञ में आहुति देनेवाला व्यक्ति या यज्ञ करानेवाला पुरोहित) ग्राम या राष्ट्र  में फैली हुई महामारी को शांत करे | उससे रोग-पीड़ित मनुष्य रोग से और दुःखग्रस्त मानव दुःख से छुटकारा पाता है |"

काण्डात्काण्डात्प्ररोह्न्ती परुष: परुषस्परि |
एवा नो दूर्वे प्रतनु सहस्त्रेण शतेन च ||

(यजुर्वेद : अध्याय १३, मंत्र २०)

ऋषिप्रसाद – मई २०२० से


रोगप्रतिरोधक शक्ति (Immunity) बढाने हेतु सशक्त उपाय


वातावरण में उपस्थित रोगाणु हमेशा शरीर पर आक्रमण करते रहते हैं | जब शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होती है तब रोग-बीमारियाँ घेर लेते हैं | यदि आप पूज्य बापूजी द्वारा बताये गये निम्नलिखित उपाय करें तो आपका शरीर, मन व प्राण बलवान होंगे और आपकी रोगप्रतिकारक शक्ति मजबूत रहेगी |

१] जो लोग सुबह की शुद्ध हवा में प्राणायाम करते हैं उनमें प्राणबल बढने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढती है और इससे कई रोगकारी जीवाणु मर जाते हैं | जो प्राणायाम के समय एवं उसके अलावा भी गहरा श्वास लेते हैं उनके फेफड़ों के निष्क्रिय पड़े वायुकोशों को प्राणवायु मिलने लगती है और वे सक्रिय हो उठते हैं | फलत: शरीर की कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे मन प्रसन्न रहता है |
अगर गौ-गोबर के कंडों या अंगारों पर एक चम्मच अर्थात ८-१० मि.ली. घी की बुँदे डालकर धूप करते हैं तो एक टन शक्तिशाली वायु बनती है | ऐसे वातावरण में अगर प्राणायाम करें तो कितना फायदा उठाया जा सकता है इसका वर्णन नहीं हो सकता | वायु जितनी बलवान होगी, उतना बुद्धि, मन, स्वास्थ्य बलवान होंगे |

२] सूर्यकिरणों में अद्भुत् रोगप्रतिकारक शक्ति है | संसार का कोई वैद्य अथवा कोई मानवी उपचार उतना दिव्य स्वास्थ्य और बुद्धि की दृढ़ता नहीं दे सकता है जितना सुबह की कोमल सूर्य-रश्मियों में छुपे ओज-तेज से मिलता है | प्रात:काल सूर्य को अर्घ्य-दान, सूर्यस्नान ( सिर को कपड़े से ढककर ८ मिनट सूर्य की ओर मुख व १० मिनट पीठ करके बैठना ) और सूर्यनमस्कार करने से शरीर ह्रष्ट-पुष्ट व बलवान बनता है |
डॉ. सोले कहते हैं : “सूर्य में जितनी रोगनाशक शक्ति है उतनी संसार की किसी अन्य चीज में नहीं हैं |”

३] तुलसी के १-२ पौधे घर में जरूर होने चाहिए | दूसरी दवाएँ कीटाणु नष्ट करती है लेकिन तुलसी की हवा तो कीटाणु पैदा ही नही होने देती है | तुलसी के पौधे का चहुँ ओर २०० मित्र तक प्रभाव रहता है | जो व्यक्ति तुलसी के ५-७ पत्ते सुबह चबाकर पानी पीता हैं उसकी स्मरणशक्ति बढती है, ब्रह्मचर्य मजबूत होता है | सैकड़ो बीमारियाँ दूर करने की शक्ति तुलसी के पत्तों में है | तुलसी के एक चुटकी बीज रात को पानी में भिगोकर सुबह पीने से आप दीर्घजीवी रहेंगे और बहुत सारी बीमारियों को भगाने में आपकी जीवनीशक्ति सक्षम एवं सबल रहेगी |

४] श्वासोच्छ्वास की भगवन्नाम जप सहित मानसिक गिनती (बिना बीच में भूले ५४ व १०८ तक ) या अजपाजप करें |

५] ख़ुशी जैसी खुराक नहीं, चिंता जैसा मर्ज नहीं | सभी रोगों पर हास्य का औषधि की नाई उत्तम प्रभाव पड़ता है | हास्य के साथ भगवन्नाम का उच्चारण एवं भगवदभाव होने से विकार क्षीण होते हैं, चित्त का प्रसाद बढ़ता है एवं आवश्यक योग्यताओं का विकास होता है | हरिनाम, रामनाम एवं ॐकार के उच्चारण से बहुत सारी बीमारियाँ मिटती है और रोगप्रतिकारक शक्ति बढती है | दिन की शुरुआत में भगवन्नाम-उच्चारण करके सात्त्विक हास्य से आप दिनभर तरोताजा एवं ऊर्जा से भरपूर रहते हैं, प्रसन्नचित्त रहते है | हास्य आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता है |

६] नीम के पत्ते, फल, फूल, डाली, जड़ इन पाँचों चीजों को देशी घी के साथ मिश्रित करके घर में धूप किया जाय तो रोगी को तत्काल आराम मिलता है, रोगप्रतिकारक शक्तिवर्धक वातावरण सर्जित हो जाता है |

७] नीम और ग्वारपाठे (घृतकुमारी) की कडवाहट बहुत सारी बीमारियों को भगाती है | ग्यारपाठा जीवाणुरोधी व विषनाशक भी है | यह रोगप्रतिकारक प्रणाली को मजबूत करने में अति उपयोगी है |

८] शुद्ध च्यवनप्राश मिले तो उसका एक चम्मच (१० ग्राम) अथवा आँवला पाउडर एक चम्मच सेवन करने से पाचनशक्ति की मजबूती और बढ़ोतरी होगी | रोगप्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ेगी | [मधुमेह वाले शुगर फ्री च्यवनप्राश लें |]

कुछ अन्न उपाय

१] ध्यान व जप अनेक रोगों में लाभदायी होता है | इससे औषधीय उपचारों की आवश्यकता कम पडती है | ध्यान के समय अनेक प्रकार के सुखानुभूतिकारक मस्तिष्क रसायन आपकी तंत्रिका कोशिकाओं को सराबोर करते हैं | सेरोटोनिन, गाबा, मेलाटोनिन आदि महत्वपूर्ण रसायनों में बढ़ोत्तरी हो जाती है | इससे तनाव, अवसाद, अनिद्रा दूर भाग जाते हैं व मन में आह्लाद, प्रसन्नता आदि सहज में उभरते हैं |
रटगर्स विश्वविद्यालय, न्यूजर्सी के शोधकर्ताओं ने पाया कि ध्यान के अभ्यास्कों में मेलाटोनिन का स्तर औसतन ९८% बढ़ जाता है | किसी – किसीमे इसकी ३००% से अधिक की वृद्धि हुई | मेलाटोनिन के कार्य हैं तनाव कम करना, स्वस्थ निद्रा, रोगप्रतिकारक प्रणाली को सक्रिय करना, कैंसर तथा अन्य शारीरिक-मानसिक रोगों से रक्षा करना |

२] टमाटर, फूलगोभी, अजवायन व संतरा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ते हैं अत: भोजन में इनका उपयोग करें | हल्दी, जीरा, दालचीनी एवं धनिया का उपयोग करें | परिस्थितियों को देखते हुए अल्प मात्रा में लहसुन भी डाल सकते हैं |

३] १५० मि.ली. दूध में आधा कचोट चम्मच हल्दी डाल के उबालकर दिन में १-२ बार लें |

४] रोगप्रतिरोधक शक्ति बढने हेतु प्राणदा टेबलेट, ब्राह्म रसायन, होमियो तुलसी गोलियाँ, तुलसी अर्क (१०० मि.ली. पानी में १ से ५ बूँद आयु व प्रकृति अनुसार), होमियों पॉवर केअर आदि का सेवन लाभदायी है |

ऋषिप्रसाद – मई २०२० से

लू से बचने के लिए


लू से बचने के लिए तेज धूप में घर से बाहर निकलते समय पानी पीकर एवं जूते व टोपी पहन के ही निकलें | एक साबुत प्याज साथ में रखें | लू लगने पर मोसम्बी के रस का सेवन बहुत ही लाभदायी हैं |

ऋषिप्रसाद – मई २०२० से

ग्रीष्म ऋतू में क्या करें, क्या न करें


क्या करें 
१] ग्रीष्म ऋतू में मधुर रस-प्रधान, शीतल, द्रवरूप ( शरबत, पना आदि तरल पदार्थ ) और स्निग्ध   ( घी, तेल आदि से युक्त) अन्न-पानों का सेवन करना चाहिए | (चरक संहिता)

२] मूँग दाल, पुराने चावल, परवल, लौकी, पेठा, पका हुआ लाल कुम्हड़ा, तोरई, बथुआ, चौलाई, अनार, तरबूज, खरबूजा, मीठे अंगूर, किशमिश, ककड़ी, आम, संतरा, नारियल पानी, नींबू, सत्तू, हरा धनिया, मिश्री, देशी गाय का दूध, घी आदि पदार्थों का सेवन हितकारी है |

३] सादा अथवा मटके का पानी स्वास्थप्रद है | थोड़ी-सी देशी खस (गाँडर घास) अथवा चंदन की लकड़ी का टुकड़ा  मटके में डाल दें | इसका पानी पीने से बार-बार लगनेवाली प्यास व गर्मी कम होती है |

४] ब्राह्ममुहूर्त में उठकर शीतल हवा में घूमना, सूती व सफेद या हलके रंग के वस्त्र पहनना, चाँदनी में खुली हवा में सोना हितकारी है |

५] जलन होती हो तो रोज खाली पेट गोदुग्ध में २ चम्मच देशी गोघृत मिलाकर पीना चाहिए | शहद खाकर ऊपर से पानी पीने से भी जलन कम होती है |

६] ठंडे पानी में जौ अथवा चने का सत्तू मिश्री व घी मिलाकर पियें | इससे सम्पूर्ण ग्रीष्मकाल में शक्ति बनी रहेगी |

क्या न करें
१] गरिष्ठ या देर से पचनेवाले , बासी, खट्टे, तले हुए, मिर्च-मसालेवाले तथा उष्ण प्रकृति के पदार्थ, बर्फ या बर्फ से बनी चीजें, उड़द की दाल, लहसुन, खट्टा दही, बैगन आदि के सेवन में परहेज रखें |

२] दूध और फलों के संयोग से बना मिल्कशेक, कोल्डड्रिंक्स, फ्रिज में रखी तथा बेकरी की वस्तुओं आदि का सेवन न करें | गन्ने के रस में बर्फ या नमक डाल के नही पीना चाहिए | (धातु से बनी घानियों से निकाला हुआ गन्ने का रस पित्त और रक्त को दूषित करनेवाला होता है | अत: गन्ने का रस पीने की अपेक्षा गन्ना चूसकर खाना अधिक लाभकारी होता है |

३] अधिक व्यायाम, अधिक परिश्रम एवं मैथुन त्याज्य हैं |

४] ए. सी . या कूलर की हवा स्वास्थ के लिए हानिकारक है |

५] एकदम ठंडे वातावरण से निकलकर धूप में न जायें | धूप से आकर एकदम पानी न पियें | थोडा रुक के पसीना सूख जाने के बाद और शरीर का तापमान सामान्य होने पर ही जल आदि पीना चाहिए |

६] घमौरियों के लिए पाउडर का उपयोग नहीं करना चाहिए | इससे रोमकूप बंद हो जाते हैं और पसीना नही निकल पाता | पसीना नहीं निकलने से चर्मरोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है |

ऋषिप्रसाद – मई २०२० से

ग्रीष्मकालीन समस्याओं व गर्मी से बचने हेतु


(ग्रीष्म ऋतू : १९ अप्रैल से १९ जून तक )
१] ग्रीष्म ऋतू में खान-पान सुपाच्य हो, थोडा कम हो, पानी पीना अधिक हो और रात्रि को जल्दी शयन करें | भोर (प्रात:काल) में नहा-धो लें ताकि गर्मी निकल जाय | नहाने में मुलतानी मिट्टी का उपयोग कर सकते हैं |

२] बायें नथुने से श्वास लें, ६० से ९० सेकंड श्वास अंदर रोककर गुरुमंत्र या भगवन्नाम का मानसिक जप करें और दायें नथुने से धीरे-धीरे छोड़े | ऐसा ३ से ५ बार करें | इससे कैसी भी गर्मी हो, आँखे जलती हों, चिडचिडा स्वभाव हो, फोड़े-फुंसियाँ हो उनमे आराम हो जायेगा | रात को सोते समय थोडा-सा त्रिफला चूर्ण फाँक लेवें |

३] गर्मी के दिनों में गर्मी से बचने के लिए लोग ठंडाइयाँ पीते हैं | बाजारू पेय पदार्थ, ठंडाइयाँ पीने की अपेक्षा नींबू की शिकंजी बहुत अच्छी है | दही सीधा खान स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं हैं, उसमें पानी डाल के छाछ बनाकर जीरा, मिश्री आदि डाल के उपयोग करना हितकारी होता है |

४] जिसके शरीर में बहुत गर्मी होती हो, आँखे जलती हो उसको दायी करवट लेकर थोडा सोना चाहिए, इससे शरीर की गर्मी कम हो जायेगी | और जिसका शरीर ठंडा पड जाता हो और ढीला हो उसको बायीं करवट सोना चाहिए, इससे सस्फूर्ति आ जायेगी |

५] पित्त की तकलीफ है तो पानी-प्रयोग करें (अर्थात रात का रखा हुआ आधा से डेढ़ गिलास आणि सुबह सूर्योदय से पूर्व पिया करें )| दूसरा, आँवले का मुरब्बा लें अथवा आँवला रस व घृतकुमारी रस (Aloe Vera Juice)मिलाकर बना पेय पियें | इससे पित्त-शमन होता है | 

६] वातदोष हो तो आधा चम्मच आँवला पावडर, १ चम्मच घी और १ चम्मच मिश्री मिला के सुबह खाली पेट लेने से वातदोष दूर होते है |

७] इस मौसम में तली हुई चीजें नहीं खानी चाहिए | लाल मिर्च, अदरक, खट्टी लस्सी या दही बहुत नुकसान करते हैं | इस मौसम में तो खीर खाओ |

८] जिसको भी गर्मी हो, आँखे जलती हो वह मुलतानी मिट्टी लगा के थोड़ी देर बैठे और फिर स्नान कर ले तो शरीर की गर्मी निकल जायेगी, सिरदर्द दूर होगा |

९] पीपल के पेड़ में पित्त-शमन का सामर्थ्य होता है | इसके कोमल पत्तों यानी कोपलों का बना १० ग्राम मुरब्बा खा ले | कैसी भी गर्मी हो, शांत हो जायेगी |

मुरब्बा बनाने की विधि : पीपल के २५० ग्राम लाल कोमल पत्तों को पानी से धोकर उबाल लें | फिर पीसकर उसमें समभाग मिश्री व देशी गाय का ५० ग्राम घी मिला के धीमी आँच पर सेंक लें | गाढ़ा होने पर जब घी छोड़ने लगे तब नीचे उतार के ठंडा करके किसी साफ़ बर्तन (काँच की बनी बरनी उत्तम है ) में सुरक्षित रख लें |

सेवन विधि : १०-१० ग्राम सुबह-शाम दूध से लें |

१०] जिसको गर्मी लगे वह तरबूज अच्छी तरह से खाये | फोड़े-फुंसी हो गये हों तो पालक, गाजर, कडकी का रस और नारियल पानी के उपयोग में लाने से फोड़े-फुंसी ठीक हो जाते हैं |

११] जो नगे सिर धूप में घूमते हैं उनकी आँखे कमजोर हो जाती है, बुढ़ापा और बहरापन जल्दी आ जाता है | धुप में नंगे पैर और नंगे सिर कभी नही घूमना चाहिए | जो तीर्थयात्रा करने जाते हैं उन्हें भी नंगे पैर नहीं घूमना चाहिए |

१२] घमौरियाँ हों तो : अ] नीम के १० ग्राम फूल व थोड़ी मिश्री पीसकर पानी में मिला के खाली पेट पी लें | इससे घमौरिया शीघ्र गायब हो जायेंगी |
ब] नारियल तेल में नींबू रस मिलाकर लगाने से घमौरियाँ गायब हो जाती हैं |

१३] पलाश के पुष्पों के ५० ग्राम काढ़े में थोड़ी मिश्री मिलाकर पीने से गर्मी भाग जाती हैं |

गर्मीजन्य स्वास्थ्य-समस्याओं में लाभकारी उत्पाद

१] लू से बचने के लिए ‘पलाश शरबत’ ‘बाह्मी शरबत’ : सेवन विधि बोतल के लेबल और देखें |
२] आँखों, हाथ-पैरों व पेशाब की जलन में ‘गुलकंद’ : १-१ चम्मच सुबह-शाम लें |
३] खुजली के लिए नीम अर्क’ : १-२ चम्मच दिन में दो बार पानी से लें |
४] कमजोरी व थकान में ‘शतावरी चूर्ण’ : २ ग्राम चूर्ण को दूध में मिश्री व घी मिलाकर सुबह अथवा शाम को लें |
५] भूख बढाने के लिए : घृतकुमारी रस : २-२ चम्मच सुबह-शाम गुनगुने पानी से लें |
लीवर टॉनिक टेबलेट : १ से २ गोली सुबह-शाम लें |

विशेष : उपरोक्त सभी समस्याओं में १० से २० मि.ली. आँवला रस सुबह-शाम पानी के साथ लेने से लाभ होता है |

ऋषिप्रसाद – मई २०२० से