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Friday, May 1, 2020

ग्रीष्मकालीन समस्याओं व गर्मी से बचने हेतु


(ग्रीष्म ऋतू : १९ अप्रैल से १९ जून तक )
१] ग्रीष्म ऋतू में खान-पान सुपाच्य हो, थोडा कम हो, पानी पीना अधिक हो और रात्रि को जल्दी शयन करें | भोर (प्रात:काल) में नहा-धो लें ताकि गर्मी निकल जाय | नहाने में मुलतानी मिट्टी का उपयोग कर सकते हैं |

२] बायें नथुने से श्वास लें, ६० से ९० सेकंड श्वास अंदर रोककर गुरुमंत्र या भगवन्नाम का मानसिक जप करें और दायें नथुने से धीरे-धीरे छोड़े | ऐसा ३ से ५ बार करें | इससे कैसी भी गर्मी हो, आँखे जलती हों, चिडचिडा स्वभाव हो, फोड़े-फुंसियाँ हो उनमे आराम हो जायेगा | रात को सोते समय थोडा-सा त्रिफला चूर्ण फाँक लेवें |

३] गर्मी के दिनों में गर्मी से बचने के लिए लोग ठंडाइयाँ पीते हैं | बाजारू पेय पदार्थ, ठंडाइयाँ पीने की अपेक्षा नींबू की शिकंजी बहुत अच्छी है | दही सीधा खान स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं हैं, उसमें पानी डाल के छाछ बनाकर जीरा, मिश्री आदि डाल के उपयोग करना हितकारी होता है |

४] जिसके शरीर में बहुत गर्मी होती हो, आँखे जलती हो उसको दायी करवट लेकर थोडा सोना चाहिए, इससे शरीर की गर्मी कम हो जायेगी | और जिसका शरीर ठंडा पड जाता हो और ढीला हो उसको बायीं करवट सोना चाहिए, इससे सस्फूर्ति आ जायेगी |

५] पित्त की तकलीफ है तो पानी-प्रयोग करें (अर्थात रात का रखा हुआ आधा से डेढ़ गिलास आणि सुबह सूर्योदय से पूर्व पिया करें )| दूसरा, आँवले का मुरब्बा लें अथवा आँवला रस व घृतकुमारी रस (Aloe Vera Juice)मिलाकर बना पेय पियें | इससे पित्त-शमन होता है | 

६] वातदोष हो तो आधा चम्मच आँवला पावडर, १ चम्मच घी और १ चम्मच मिश्री मिला के सुबह खाली पेट लेने से वातदोष दूर होते है |

७] इस मौसम में तली हुई चीजें नहीं खानी चाहिए | लाल मिर्च, अदरक, खट्टी लस्सी या दही बहुत नुकसान करते हैं | इस मौसम में तो खीर खाओ |

८] जिसको भी गर्मी हो, आँखे जलती हो वह मुलतानी मिट्टी लगा के थोड़ी देर बैठे और फिर स्नान कर ले तो शरीर की गर्मी निकल जायेगी, सिरदर्द दूर होगा |

९] पीपल के पेड़ में पित्त-शमन का सामर्थ्य होता है | इसके कोमल पत्तों यानी कोपलों का बना १० ग्राम मुरब्बा खा ले | कैसी भी गर्मी हो, शांत हो जायेगी |

मुरब्बा बनाने की विधि : पीपल के २५० ग्राम लाल कोमल पत्तों को पानी से धोकर उबाल लें | फिर पीसकर उसमें समभाग मिश्री व देशी गाय का ५० ग्राम घी मिला के धीमी आँच पर सेंक लें | गाढ़ा होने पर जब घी छोड़ने लगे तब नीचे उतार के ठंडा करके किसी साफ़ बर्तन (काँच की बनी बरनी उत्तम है ) में सुरक्षित रख लें |

सेवन विधि : १०-१० ग्राम सुबह-शाम दूध से लें |

१०] जिसको गर्मी लगे वह तरबूज अच्छी तरह से खाये | फोड़े-फुंसी हो गये हों तो पालक, गाजर, कडकी का रस और नारियल पानी के उपयोग में लाने से फोड़े-फुंसी ठीक हो जाते हैं |

११] जो नगे सिर धूप में घूमते हैं उनकी आँखे कमजोर हो जाती है, बुढ़ापा और बहरापन जल्दी आ जाता है | धुप में नंगे पैर और नंगे सिर कभी नही घूमना चाहिए | जो तीर्थयात्रा करने जाते हैं उन्हें भी नंगे पैर नहीं घूमना चाहिए |

१२] घमौरियाँ हों तो : अ] नीम के १० ग्राम फूल व थोड़ी मिश्री पीसकर पानी में मिला के खाली पेट पी लें | इससे घमौरिया शीघ्र गायब हो जायेंगी |
ब] नारियल तेल में नींबू रस मिलाकर लगाने से घमौरियाँ गायब हो जाती हैं |

१३] पलाश के पुष्पों के ५० ग्राम काढ़े में थोड़ी मिश्री मिलाकर पीने से गर्मी भाग जाती हैं |

गर्मीजन्य स्वास्थ्य-समस्याओं में लाभकारी उत्पाद

१] लू से बचने के लिए ‘पलाश शरबत’ ‘बाह्मी शरबत’ : सेवन विधि बोतल के लेबल और देखें |
२] आँखों, हाथ-पैरों व पेशाब की जलन में ‘गुलकंद’ : १-१ चम्मच सुबह-शाम लें |
३] खुजली के लिए नीम अर्क’ : १-२ चम्मच दिन में दो बार पानी से लें |
४] कमजोरी व थकान में ‘शतावरी चूर्ण’ : २ ग्राम चूर्ण को दूध में मिश्री व घी मिलाकर सुबह अथवा शाम को लें |
५] भूख बढाने के लिए : घृतकुमारी रस : २-२ चम्मच सुबह-शाम गुनगुने पानी से लें |
लीवर टॉनिक टेबलेट : १ से २ गोली सुबह-शाम लें |

विशेष : उपरोक्त सभी समस्याओं में १० से २० मि.ली. आँवला रस सुबह-शाम पानी के साथ लेने से लाभ होता है |

ऋषिप्रसाद – मई २०२० से

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