(ग्रीष्म ऋतू : १९ अप्रैल से १९ जून तक )
१] ग्रीष्म ऋतू में खान-पान सुपाच्य हो, थोडा कम हो, पानी पीना अधिक हो और रात्रि
को जल्दी शयन करें | भोर (प्रात:काल) में नहा-धो लें ताकि गर्मी निकल जाय | नहाने
में मुलतानी मिट्टी का उपयोग कर सकते हैं |
२] बायें नथुने से श्वास लें, ६० से ९० सेकंड श्वास अंदर रोककर गुरुमंत्र या
भगवन्नाम का मानसिक जप करें और दायें नथुने से धीरे-धीरे छोड़े | ऐसा ३ से ५ बार
करें | इससे कैसी भी गर्मी हो, आँखे जलती हों, चिडचिडा स्वभाव हो, फोड़े-फुंसियाँ हो उनमे आराम हो
जायेगा | रात को सोते समय थोडा-सा त्रिफला चूर्ण फाँक लेवें |
३] गर्मी के दिनों में गर्मी से बचने के लिए लोग
ठंडाइयाँ पीते हैं | बाजारू पेय पदार्थ, ठंडाइयाँ पीने की अपेक्षा नींबू की शिकंजी
बहुत अच्छी है | दही सीधा खान स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं हैं, उसमें पानी डाल
के छाछ बनाकर जीरा, मिश्री आदि डाल के उपयोग करना हितकारी होता है |
४] जिसके शरीर में बहुत गर्मी होती हो, आँखे जलती हो
उसको दायी करवट लेकर थोडा सोना चाहिए, इससे शरीर की गर्मी कम हो जायेगी | और जिसका
शरीर ठंडा पड जाता हो और ढीला हो उसको बायीं करवट सोना चाहिए, इससे सस्फूर्ति आ
जायेगी |
५] पित्त की तकलीफ है तो पानी-प्रयोग करें (अर्थात
रात का रखा हुआ आधा से डेढ़ गिलास आणि सुबह सूर्योदय से पूर्व पिया करें )| दूसरा,
आँवले का मुरब्बा लें अथवा आँवला रस व घृतकुमारी रस (Aloe Vera Juice)मिलाकर
बना पेय पियें | इससे पित्त-शमन होता है |
६] वातदोष हो तो आधा चम्मच आँवला पावडर, १ चम्मच घी
और १ चम्मच मिश्री मिला के सुबह खाली पेट लेने से वातदोष दूर होते है |
७] इस मौसम में तली हुई चीजें नहीं खानी चाहिए | लाल
मिर्च, अदरक, खट्टी लस्सी या दही बहुत नुकसान करते हैं | इस मौसम में तो खीर खाओ |
८] जिसको भी गर्मी हो, आँखे जलती हो वह मुलतानी
मिट्टी लगा के थोड़ी देर बैठे और फिर स्नान कर ले तो शरीर की गर्मी निकल जायेगी,
सिरदर्द दूर होगा |
९] पीपल के पेड़ में पित्त-शमन का सामर्थ्य होता है |
इसके कोमल पत्तों यानी कोपलों का बना १० ग्राम मुरब्बा खा ले | कैसी भी गर्मी हो,
शांत हो जायेगी |
मुरब्बा बनाने की विधि : पीपल के २५० ग्राम लाल कोमल
पत्तों को पानी से धोकर उबाल लें | फिर पीसकर उसमें समभाग मिश्री व देशी गाय का ५०
ग्राम घी मिला के धीमी आँच पर सेंक लें | गाढ़ा होने पर जब घी छोड़ने लगे तब नीचे
उतार के ठंडा करके किसी साफ़ बर्तन (काँच की बनी बरनी उत्तम है ) में सुरक्षित रख
लें |
सेवन विधि : १०-१० ग्राम सुबह-शाम दूध से लें |
१०] जिसको गर्मी लगे वह तरबूज अच्छी तरह से खाये |
फोड़े-फुंसी हो गये हों तो पालक, गाजर, कडकी का रस और नारियल पानी के उपयोग में
लाने से फोड़े-फुंसी ठीक हो जाते हैं |
११] जो नगे सिर धूप में घूमते हैं उनकी आँखे कमजोर हो
जाती है, बुढ़ापा और बहरापन जल्दी आ जाता है | धुप में नंगे पैर और नंगे सिर कभी
नही घूमना चाहिए | जो तीर्थयात्रा करने जाते हैं उन्हें भी नंगे पैर नहीं घूमना
चाहिए |
१२] घमौरियाँ हों तो : अ] नीम के १० ग्राम फूल व थोड़ी
मिश्री पीसकर पानी में मिला के खाली पेट पी लें | इससे घमौरिया शीघ्र गायब हो
जायेंगी |
ब] नारियल तेल में नींबू रस मिलाकर लगाने से घमौरियाँ
गायब हो जाती हैं |
१३] पलाश के पुष्पों के ५० ग्राम काढ़े में थोड़ी
मिश्री मिलाकर पीने से गर्मी भाग जाती हैं |
गर्मीजन्य स्वास्थ्य-समस्याओं में लाभकारी उत्पाद
१] लू से बचने के लिए ‘पलाश शरबत’ व ‘बाह्मी शरबत’ :
सेवन विधि बोतल के लेबल और देखें |
२] आँखों, हाथ-पैरों व पेशाब की जलन में ‘गुलकंद’ :
१-१ चम्मच सुबह-शाम लें |
३] खुजली के लिए ‘नीम अर्क’ : १-२ चम्मच दिन में दो
बार पानी से लें |
४] कमजोरी व थकान में ‘शतावरी चूर्ण’ : २ ग्राम चूर्ण
को दूध में मिश्री व घी मिलाकर सुबह अथवा शाम को लें |
५] भूख बढाने के लिए : घृतकुमारी रस : २-२ चम्मच
सुबह-शाम गुनगुने पानी से लें |
लीवर टॉनिक टेबलेट : १ से २ गोली सुबह-शाम लें |
विशेष : उपरोक्त सभी समस्याओं में १० से २० मि.ली.
आँवला रस सुबह-शाम पानी के साथ लेने से लाभ होता है |
ऋषिप्रसाद – मई २०२० से
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