१) पाचनशक्ति की कमजोरी : सौंफ और जीरा समान मात्रा में लेकर
सेंक के रखो | भोजन के बाद चबा के खाओ तो पाचनशक्ति तेज होगी |
२) मिर्गी : किसीको मिर्गी की तकलीफ है तो २ चम्मच प्याज का रस
पिलाकर ऊपर से आधा चम्मच भुना हुआ जीरा खिला दो | मिर्गी की बीमारी में ५ – १० दिन
में लाभ होगा |
३) सौंदर्य व निखार हेतु : मुलतानी मिटटी और आलू का रस मिलाकर
चेहरे पर लगाओ, चेहरे में सौंदर्य और निखार आयेगा |
४) मसूड़ों की तकलीफ : जिनके मसूड़ों से खून बहता है वे मुँह में
५ से १५ बूँदनींबू का रस डाल के मसूड़ों को घिंसे | मसूड़ों से खून आना बंद हो
जायेगा, दाँत मजबूत हो जायेंगे |
५) मुँह की दुर्गंध : नमक और काली मिर्च मिला के कभी-कभी मंजन
करें तो मिंह में से दुर्गंध चली जायेगी |
६) फोड़ें – फुंसी में : फोड़ें – फुंसी निकले हैं, उनमें सफेद –सफेद
मवाद है और लाल-लाल हैं तो यह पित्त और कफ का प्रभाव है | उनको नोंचकर ऊपर से
सरसों का तेल लगा दें और घृतकुमारी का सेवन करें तो कफ और पित्त सुबह शौच के
द्वारा निकल जायेगा | फोड़ें – फुंसी शांत हो जायेंगे |
७) गर्मी से रक्षा हेतु पलाश शरबत : गर्मी के दिनों में मिल
सकें तो पलाश के फुल भिगो दो | उनको शरीर पर रगड़ों और पलाश के फूलों में शक्कर या
मिश्री व पानी मिला के शरबत बनाओ | तुम दुसरे कैसे भी शरबत पीते हो वे इतनी गर्मी
नहीं हरते जितना पलाश के फूलों का शरबत गर्मी को हरता है |
(पलाश के फूलों से बना शरवत एवं घृतकुमारी रस व मुलतानी
मिटटी आश्रम में व समितियों के सेवाकेन्द्रों से प्राप्त हो सकते हैं | )
लोककल्याणसेतु –
अप्रैल- मई २०२० से
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