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Monday, June 27, 2016

ब्रेड खाना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक

कई बीमारियों के साथ देता है कैंसर कप बुलावा  |

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के एक अध्ययन में सामने आया है कि ब्रेड से कैंसर का खतरा बढ़ता है | ब्रेड बनाने में पोटैशियम ब्रोमेट और पोटैशियम आयोडेट नामक घातक रसायनों का प्रयोग होता है |

पोटैशियम ब्रोमेट पेटदर्द, दस्त, मिचली, उलटी, गुर्दों की खराबी (Kidney Failure), अल्पमूत्रता (oliguria), पेशाब न बनना (anuria ), बहरापन, चक्कर आना, उच्च रक्तचाप, केन्द्रीय तंत्रिका प्रणाली का अवसाद (depression of the central nervous system), रक्त में प्लेटलेट्स की कमी आदि कई बीमारियों को पैदा करता है | इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) के अनुसार इससे कैंसर होने की सम्भावना भी बढ़ जाती है |

इतना ही नहीं, यह रसायन आटे में पाये जानेवाले विटामिन्स, फैटी एसिड्स आदि पोषक तत्त्वों को घटाकर पौष्टिकता को कम कर देता है | पोटैशियम आयोडेट से शरीर में जरूरत से ज्यादा आयोडीन जा सकता है |

इन रसायनों का उपयोग कई देशों में निषिद्ध है पर भारत में इनका धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है | ब्रेड के अलावा अन्य बेकरी – उत्पादों में भी इन रसायनों का प्रयोग किया जाता है | सर्वेक्षण के लिए अलग – अलग जगहों से ब्रेड, पाव, बन, पीजा, बर्गर, केक आदि के नमूने लिए गये थे |

ब्रेड खाने के अन्य नुकसान

१)     रक्त में शर्करा व इन्सुलिन की मात्रा बढती है | यह आवश्यकता से अधिक खाने की लत को बढाता है |

२)     ब्रेड में ग्लूटेन नामक प्रोटीन पाया जाता है, जो आँतों की दीवारों को क्षतिग्रस्त करता है, जिससे पेट में दर्द और कब्ज होता है | यह पोषक तत्त्वों के अवशोषण को रोकता है | ग्लूटेन की एलर्जी मस्तिष्क से जुडी बीमारियों – विखंडित मनस्कता (schizophrenia) और सेरेबेलर अटैक्सिया (cerebellar ataxia) का कारण भी हो सकती है |

३)     इसमें फाइटिक एसिड जैसे एंटी न्यूट्रीएंट्स भी होते हैं, जो कैल्शियम, लौह तत्त्व और जस्ते के अवशोषण को रोकते हैं |

४)     ब्रेड से पेट तो भर जाता है लेकिन पोषण नहीं के बराबर मिलता है | अगर आपका बच्चा भूख लगने पर हर रोज ब्रेड ही खाता है तो वह कुपोषण का शिकार हो सकता है |

५)     यह आसानी से नही पचता | इसमें पाचन संबंधी कई बीमारियाँ होने का खतरा बढ़ता है |


        उपरोक्त हानियों के अलावा ब्रेड एक तामसी पदार्थ होने से मन -बुद्धि को भी तामसी बनाता है, थकान-  आलस्य बढाता है |



  स्त्रोत – लोककल्याण सेतु  – जून २०१६ से 

बहूपयोगी औषधि – सोंठ

जब अदरक सुख जाता हैं, तब उसकी सोंठ बनती है | सोंठ पाचनतंत्र के लिए अत्यंत उपयोगी है | यह सारे शरीर के संगठन को सुधारती है, मनुष्य की जीवनशक्ति और रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है | यह आम, कफ व वात नाशक है | गठिया, दमा, खाँसी, कब्जियत, उलटी, सूजन, ह्रदयरोग, पेट के रोग और वातरोगों को दूर करती है |

औषधीय प्रयोग

वातनाशक गोलियाँ : सोंठ के चूर्ण में समभाग गुड़ और थोडा – सा घी डाल के २- २ ग्राम की गोलियाँ बना लें | १ -२ गोली सुबह लेने से वायु और वर्षाकालीन जुकाम से रक्षा होती है | बारिश में सतत भीगते – भीगते काम करनेवाले किसानों और खेती के काम में लगे मजदूरों के लिए यह अत्यंत लाभदायक है | उससे शारीरिक शक्ति व फुर्ती बनी रहती है |

सिरदर्द : सोंठ को पानी के साथ घिस लें | इसका लेप माथे पर करने से कफजन्य सिरदर्द में राहत मिलती है |

मन्दाग्नि : सोंठ का आधा चम्मच चूर्ण थोड़े – से गुड़ में मिलाकर कुछ दिन प्रात:काल लेने से जठराग्नि तेज हो जाती है और मन्दाग्नि दूर होती है |

कमरदर्द व गठिया : सोंठ को मोटा कूट लें | १ चम्मच सोंठ २ कप पानी में डाल के उबालें | जब आधा कप पानी बचे तो उतार के छान लें | इसमें २ चम्मच अरंडी – तेल डाल के सुबह पियें | दर्द में राहत होने तक हफ्तें में २ -३ दिन यह प्रयोग करें |

पुराना जुकाम : 
१) ५ ग्राम सोंठ १ लीटर पानी में उबालें | दिन में ३ बार यह गुनगुना करके पीने से पुराने जुकाम में लाभ होता है |
२)  पीने के पानी में सोंठ का टुकड़ा डालकर वह पानी पीते रहने से पुराना जुकाम ठीक होता है | ( सोंठ के टुकड़े को प्रतिदिन बदलते रहें | )

सर्दी – जुकाम : ५ ग्राम सोंठ चूर्ण, १० ग्राम गुड़ और १ चम्मच घी को मिला लें | इसमें थोडा -सा पानी डाल के आग पर रख के रबड़ी जैसा बना लें | प्रतिदिन सुबह लेने से ३ दिन में ही सर्दी – जुकाम मिट जाता है |

सावधानी रक्तपित्त की व्याधि में तथा पित्त प्रकृतिवाले ग्रीष्म व शरद ऋतू में सोंठ का उपयोग न करें |


    स्त्रोत – लोककल्याण सेतु  – जून २०१६ से 

सिर व बालों की समस्याओं से बचने हेतु

सर्वांगासन ठीक ढंग से करते रहने से बालों की जड़ें मजबूत होती है, झड़ना बंद हो जाता है और बाल जल्दी सफेद नहीं होते, काले, चमकीले और सुंदर बन जाते हैं | आँवले का रस कभी – कभी बालों की जड़ों में लगाने से उनका झड़ना बंद हो जाता है | ( सर्वांगासन की विधि आदि पढ़े आश्रम से प्रकाशित पुस्तक ‘योगासन’ के पृष्ठ १५ पर | )

युवावस्था से ही दोनों समय भोजन करने के बाद वज्रासन में बैठकर दो – तीन मिनट तक लकड़ी की कंघी सिर में घुमाने से बाल जल्दी सफेद नहीं होते तथा वात और मस्तिष्क की पीड़ा संबंधी रोग नहीं होते | सिरदर्द दूर होकर मस्तिष्क बलवान बनता है | बालों का जल्दी गिरना, सिर की खुजली व गर्मी आदि रोग दूर होने में सहायता मिलती है | गोझरण अर्क में पानी मिलाकर बालों को मलने से वे मुलायम, पवित्र, रेशम जैसे हो जाते हैं | घरेलू उपाय सात्त्विक, सचोट और सस्ते हैं बाजारू चीजों से |



 स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – जून २०१६ से 

बदन – दर्द के सचोट उपाय

     
१)     २५ – ३० मि. ली. सरसों के तेल में लहसुन की छिली हुई चार कलियाँ व आधा चम्मच अजवायन डाल के धीमी आँच पर पकायें | लहसुन और अजवायन काली पड़ने पर तेल उतार लें, थोडा ठंडा होने पर छान लें | इस गुनगुने तेल की मालिश करने से वायु – प्रकोप से होनेवाले बदन – दर्द में राहत मिलती है |

      २)     १०० ग्राम सरसों के तेल में ५ ग्राम कपूर डालें और शीशी को बंद करके धूप में रख दें | तेल में कपूर अच्छी तरह से घुलने पर इसका उपयोग कर सकते हैं  | इसकी मालिश से वातविकार तथा नसों, पीठ, कमर, कूल्हे व मांसपेशियों के दर्द आदि में लाभ होता है | माताएँ छाती पर यह तेल न लगायें, इससे दूध आना बंद हो जाता है |


   

 स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – जून २०१६ से 

निरोगता के लिए जरूरी

         
-  शक्कर की बनी मिठाइयाँ, चाय, कॉफ़ी, अति खट्टे फल, अति तीखे, अति नमकयुक्त तथा उष्ण – तीक्ष्ण व नशीलें पदार्थों के सेवन से वीर्य में दोष आ जाते हैं |

      - प्रात: उठते ही ६ अंजलि जल पियो | सूर्यास्त तक २ से ढाई लीटर जल अवश्य पी जाओ | गर्मियों में व जब शरीर से श्रम करो, तब इससे अधिक जल की आवश्यकता होती है |

      - जिन सब्जियों का छिलका बहुत कड़ा न हो, जैसे गिल्की, परवल, टिंडा आदि, उन्हें छिलकेसहित खाना अत्यंत लाभकारी है | जिन फलों के छिलके खा सकते हैं, जैसे सेवफल, चीकू आदि, उन्हें खूब अच्छी तरह धो के छिलकों के साथ ही खाना चाहिए | दाल भी छिलकेसहित खानी चाहिए | चोकर तथा छिलके में पोषक तत्त्व होते हैं और इनसे पेट साफ़ रहता है | सब्जी, फल आदि धोने के बाद कीटनाशक आदि रसायनों का अंश छिलकों पर न बचा हो इसका ध्यान रखें, अन्यथा नुकसान होगा | सेवफल को चाकू से हलका – सा रगड़कर उस पर लगी मोम उतार लेनी चाहिए |

      -  घी – तेल में तले हुए पकवानों का कभी – कभी ही सेवन करना चाहिए | नित्य या प्राय: तली हुई पुडी –पकवान, पकौड़े, नमकीन खाने से कुछ दिनों में पेट में कब्ज रहने लगेगा, अनेक बीमारियाँ बढ़ेंगी |

     - खटाई में नींबू व आँवले का सेवन उत्तम है | कोकम व अनारदाने का उपयोग अल्प मात्रा में कर सकते हैं |        अमचुर हानिकारक है |

     - भोजन इतना चबाना चाहिए कि गले के नीचे  पानी की तरह पतला हो के उतरे | ऐसा करने से दाँतो का काम   आँतों को नहीं करना पड़ता | इसके लिए बार – बार सावधान रहकर खूब चबा के खाने की आदत बनानी   पड़ती है |

      -  अच्छी भूख लगने पर ही भोजन करें, बिना भूख का भोजन विकार पैदा करता है |

      -  भोजन के बाद स्नान नहीं करना चाहिए | अधिक यात्रा के बाद तुरंत स्नान करने से शरीर अस्वस्थ हो जाता    है | थोड़ी देर आराम करके स्नान कर सकते हैं |

      
                                                                                                                 स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – जून २०१६ से 

लता आसन

लाभ : १) रक्तवाहिनी नाड़ियाँ और आँतें शुद्ध एवं बलवान हो जाती हैं |

२) चर्मरोग तथा नाक, कान, मुख, नेत्र आदि के विकार दूर होते हैं |

३) पीठ और कमर लचीली हो जाती है और भूख अच्छी लगती है |


विधि : भूमि पर पीठ के बल लेट जायें | अब दोनों पैरों को ऊपर उठाकर पीछे की और ले जा के हलासन के समान आकृति बनायें | फिर जहाँ तक हो सके पैरों को दायें – बायें फैला दें | दोनों हाथों को भी दायें – बायें फैला दें | दोनों भुजाएँ भूमि से सटी रहें | जितना अंतर दोनों पैरों में हो, उतना ही अंतर दोनों हाथों में भी होना आवश्यक है |



-          स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – जून २०१६ से 

स्वास्थ्य व सत्त्व वर्धक – बिल्वपत्र

बिल्वपत्र ( बेल के पत्ते ) उत्तम वायुशामक, कफ – निस्सारक व जठराग्निवर्धक हैं | ये कृमि व शरीर की दुर्गध का नाश करते हैं | बिल्वपत्र ज्वरनाशक, वेदनाहर, संग्राही ( म; लप बाँधकर लानेवाले ) व सूजन उतारनेवाले हैं | ये मूत्रगत शर्करा को कम करते हैं, अत: मधुमेह में लाभदायी हैं | बिल्वपत्र ह्रदय व मस्तिष्क को बल प्रदान करते हैं | शरीर को पुष्ट व सुडौल बनाते हैं | इनके सेवन से मन में सात्त्विकता आती है |

कोई रोग बी भी हो तो भी नित्य बिल्वपत्र या इनके रस का सेवन करें तो बहुत लाभ होगा | बेल के पत्ते काली मिर्च के साथ घोट के लेना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हितकर है | इनके रस में शहद मिलाकर लेना भी लाभकारी है |

औषधीय प्रयोग –

मधुमेह ( डायबीटीज ) : बिल्वपत्र के १० – १५ मि. ली. रस में १ चुटकी गिलोय का सत्त्व एवं १ चम्मच आँवले का चूर्ण मिला के लें |

स्वप्नदोष : बेलपत्र, धनिया व सौंफ समभाग लेकर कूट लें | यह १० ग्राम मिश्रण शाम को १२५ मि. ली. पानी में भिगो दें | सुबह खाली पेट लें | इसी प्रकार सुबह भिगोये चूर्ण को शाम को लें | स्वप्नदोष में शीघ्र लाभ होता है | प्रमेह एवं श्वेतप्रदर रोग में भी यह लाभकारी है |

धातुक्षीणता : बेलपत्र के ३ ग्राम चूर्ण में थोडा शहद मिला के सुबह – शाम लेने से धातु पुष्ट होती है |

मस्तिष्क की गर्मी : बेल की पत्तियों को पानी के साथ मोटा पीस लें | इसका माथे पर लेप करने से मस्तिष्क की गर्मी शांत होगी और नींद अच्छी आयेगी |




-                  स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – जून २०१६ से