जब अदरक सुख जाता
हैं, तब उसकी सोंठ बनती है | सोंठ पाचनतंत्र के लिए अत्यंत उपयोगी है | यह सारे
शरीर के संगठन को सुधारती है, मनुष्य की जीवनशक्ति और रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है
| यह आम, कफ व वात नाशक है | गठिया, दमा, खाँसी, कब्जियत, उलटी, सूजन, ह्रदयरोग, पेट
के रोग और वातरोगों को दूर करती है |
औषधीय प्रयोग
वातनाशक गोलियाँ : सोंठ
के चूर्ण में समभाग गुड़ और थोडा – सा घी डाल के २- २ ग्राम की गोलियाँ बना लें | १
-२ गोली सुबह लेने से वायु और वर्षाकालीन जुकाम से रक्षा होती है | बारिश में सतत
भीगते – भीगते काम करनेवाले किसानों और खेती के काम में लगे मजदूरों के लिए यह
अत्यंत लाभदायक है | उससे शारीरिक शक्ति व फुर्ती बनी रहती है |
सिरदर्द : सोंठ को
पानी के साथ घिस लें | इसका लेप माथे पर करने से कफजन्य सिरदर्द में राहत मिलती है
|
मन्दाग्नि : सोंठ का
आधा चम्मच चूर्ण थोड़े – से गुड़ में मिलाकर कुछ दिन प्रात:काल लेने से जठराग्नि तेज
हो जाती है और मन्दाग्नि दूर होती है |
कमरदर्द व गठिया :
सोंठ को मोटा कूट लें | १ चम्मच सोंठ २ कप पानी में डाल के उबालें | जब आधा कप
पानी बचे तो उतार के छान लें | इसमें २ चम्मच अरंडी – तेल डाल के सुबह पियें |
दर्द में राहत होने तक हफ्तें में २ -३ दिन यह प्रयोग करें |
पुराना जुकाम :
१) ५
ग्राम सोंठ १ लीटर पानी में उबालें | दिन में ३ बार यह गुनगुना करके पीने से पुराने
जुकाम में लाभ होता है |
२) पीने के पानी में सोंठ का
टुकड़ा डालकर वह पानी पीते रहने से पुराना जुकाम ठीक होता है | ( सोंठ के टुकड़े को
प्रतिदिन बदलते रहें | )
सर्दी – जुकाम : ५
ग्राम सोंठ चूर्ण, १० ग्राम गुड़ और १ चम्मच घी को मिला लें | इसमें थोडा -सा पानी डाल
के आग पर रख के रबड़ी जैसा बना लें | प्रतिदिन सुबह लेने से ३ दिन में ही सर्दी –
जुकाम मिट जाता है |
सावधानी – रक्तपित्त
की व्याधि में तथा पित्त प्रकृतिवाले ग्रीष्म व शरद ऋतू में सोंठ का उपयोग न करें |
स्त्रोत – लोककल्याण
सेतु – जून २०१६ से
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