बिल्वपत्र ( बेल के
पत्ते ) उत्तम वायुशामक, कफ – निस्सारक व जठराग्निवर्धक हैं | ये कृमि व शरीर की
दुर्गध का नाश करते हैं | बिल्वपत्र ज्वरनाशक, वेदनाहर, संग्राही ( म; लप बाँधकर
लानेवाले ) व सूजन उतारनेवाले हैं | ये मूत्रगत शर्करा को कम करते हैं, अत: मधुमेह
में लाभदायी हैं | बिल्वपत्र ह्रदय व मस्तिष्क को बल प्रदान करते हैं | शरीर को
पुष्ट व सुडौल बनाते हैं | इनके सेवन से मन में सात्त्विकता आती है |
कोई रोग बी भी हो तो
भी नित्य बिल्वपत्र या इनके रस का सेवन करें तो बहुत लाभ होगा | बेल के पत्ते काली
मिर्च के साथ घोट के लेना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हितकर है | इनके रस में शहद
मिलाकर लेना भी लाभकारी है |
औषधीय प्रयोग –
मधुमेह ( डायबीटीज )
: बिल्वपत्र के १० – १५ मि. ली. रस में १ चुटकी गिलोय का सत्त्व एवं १ चम्मच आँवले
का चूर्ण मिला के लें |
स्वप्नदोष : बेलपत्र,
धनिया व सौंफ समभाग लेकर कूट लें | यह १० ग्राम मिश्रण शाम को १२५ मि. ली. पानी
में भिगो दें | सुबह खाली पेट लें | इसी प्रकार सुबह भिगोये चूर्ण को शाम को लें |
स्वप्नदोष में शीघ्र लाभ होता है | प्रमेह एवं श्वेतप्रदर रोग में भी यह लाभकारी
है |
धातुक्षीणता :
बेलपत्र के ३ ग्राम चूर्ण में थोडा शहद मिला के सुबह – शाम लेने से धातु पुष्ट
होती है |
मस्तिष्क की गर्मी :
बेल की पत्तियों को पानी के साथ मोटा पीस लें | इसका माथे पर लेप करने से मस्तिष्क
की गर्मी शांत होगी और नींद अच्छी आयेगी |
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स्त्रोत
– ऋषिप्रसाद – जून २०१६ से
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