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Friday, May 27, 2016

ग्रीष्मकालीन गुणकारी फल – बेल

बेल शरीर को शीतलता,दिमाग को ताजगी व ह्रदय को बल प्रदान करता है | इसके विधिवत सेवन से शरीर स्वस्थ और सुडौल बनता है | बेल के सभी अंग – जड, शाखाएँ, पत्ते, छाल और फल औषधि गुणों से भरपूर हैं | पका हुआ बेलफल मधुर, कसैला, पचने में भारी तथा मृदु विरेचक है | इससे पेट साफ़ होता है | अधपका बेलफल भूख व पाचनशक्ति बढ़ानेवाला तथा कृमियों का नाश करनेवाला है | यह मल के साथ बहनेवाले जलयुक्त भाग का शोषण करता है जिससे अतिसार  (दस्त ) रोग में अत्यंत हितकर है | बेल व उसके शरबत के सेवन से ग्रीष्म ऋतू में गर्मी का भीषण प्रकोप सहने की शक्ति आती है |

गर्मी में लाभकारी बेल शरबत

यह रस – रक्तादि धातुओं को बढ़ाता है, ह्रदय को उत्तम बल प्रदान करता है | प्रवाहिका, अतिसार, विशेषत: रक्तातिसार, संग्रहणी, खूनी बवासीर, रक्तप्रदर, पुराना कब्ज, मानसिक संताप, अवसाद ( डिप्रेशन ), चक्कर आना, मूर्च्छा आदि रोगों में लाभदायी हैं |

लू लगने पर बेल के शरबत में नींबू  - रस और हलका – सा नमक मिला के पिलायें | लू के प्रकोप से बचने के लिए भी यह उपयुक्त है |

विधि : बेल के ताजे, पके हुए फलों के आधा किलो गूदे को दो लीटर पानी में धीमी आँच पर पकायें | एक लीटर पानी शेष रहने पर छान लें | उसमें एक किलो शक्कर या मिश्री मिला के गाढ़ी चाशनी बनाकर छान के काँच की शीशी में रख लें | ४ से ८ चम्मच ( २० से ४० मि.ली. ) शरबत शीतल पानी में मिलाकर दिन में एक – दो बार पियें |

औषधीय प्रयोग

अरुचि, मंदाग्नि : रात को १० – २० ग्राम बेल के गूदे को जल में भिगो दें | प्रात: मसल – छान के आवश्यकतानुसार मिश्री मिलाकर सेवन करें | इसमें नींबू – रस भी मिला सकते हैं | इससे भूख खुलकर लगती है |

स्वप्नदोष : १० – १० ग्राम बेल का गूदा व धनिया तथा ५ ग्राम सौंफ मिलाकर रात को पानी में भिगो दें | सुबह मसल – छान के सेवन करने से कुछ सप्ताहों में स्वप्नदोष में लाभ होता है |

धातुक्षीणता : बेल का गूदा, मक्खन व शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह – शाम खाने से शारीरिक शक्ति विकसित होती है, धातु पुष्ट होती है |

निम्न रक्तचाप : ग्रीष्म ऋतू में निम्न रक्तचाप के रोगी को घबराहट होने पर हलका – सा सेंधा नमक व अदरक का रस मिलाकर बेल शरबत पीने से बहुत लाभ होता है |

अधिक मासिक स्त्राव : १० – २० ग्राम बेल का गूदा सेवन करने से मासिक स्राव में आनेवाले रक्त की अधिक मात्रा रुक जाती है |

सावधानी : पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है |


-                स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – मई २०१६ से   

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