खीरा एवं ककड़ी जहाँ
गर्मियों में विशेष लाभकारी हैं, वहीँ ककड़ी एवं विशेषत: खीरे के बीज पौष्टिक होने
के साथ कई प्रकार की बीमारियों में भी बहुत उपयोगी हैं | खीरे के बीजों को सुखाकर
छील के रख लें |
१] १० सूखे बीज १ चम्मच
मक्खन के साथ १ माह तक देने से कमजोर बालक पुष्ट होने लगते हैं | बड़ों को ३० बीज १
चम्मच घी के साथ देने से उन्हें भी लाभ होता हैं |
२] जलन के साथ व अल्प
मात्रा में मूत्र – प्रवृत्ति में ताजे बीज अथवा ककड़ी या खीरा खाने से अतिशीघ्र
लाभ होता है |
३] जिन्हें बार – बार पथरी
होती हो वे प्रतिदिन ४ माह तक ३० सूखे बीज भोजन से पूर्व खायें तो पथरी बनने की
प्रवृत्ति बंद हो जायेगी |
४] पेशाब के साथ खून आने पर
१ – १ चम्मच बीजों का चूर्ण व गुलकंद तथा १ चम्मच आँवला – रस या चूर्ण मिला के १ –
२ बार लें, खूब लाभ होगा |
५] श्वेतप्रदर में १ चम्मच
बीज – चूर्ण, १ केला, पीसी मिश्री मिलाकर दिन में १ – २ बार लेने से बहुत लाभ होता
हैं |
ककड़ी एवं खीरे के कुछ ख़ास
प्रयोग
१] गर्मी के कारण सिरदर्द,
अस्वस्थता, पेशाब में जलन हो रही हो तो १ कप ककड़ी के रस में १ चम्मच नींबू रस तथा
१ चम्मच मिश्री डालकर लेने से पेशाब खुल के आता है और उपरोक्त लक्षणों से राहत
मिलती है |
२] चेहरे के कील – मुँहासे
मिटाने के लिए ककड़ी या खीरे के पतले टुकड़े चेहरे पर लगाये | आधा घंटे के बाद चेहरा
धो दें |
३] तलवों व आँखों की जलन
में ककड़ी, ताजा नारियल व मिश्री खाना उत्तम लाभ देता हैं |
सावधानी : खीरा या ककड़ी
ताज़ी ही खानी चाहिए | सर्दी, जुकाम, दमा में इनका सेवन नहीं करना चाहिए | इन्हें
रात को नहीं खाना चाहिए | खीरा या ककड़ी भोजन के साथ खाने की अपेक्षा स्वतंत्र रूप
से खाना अधिक हितकर है |
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ऋषिप्रसाद – मई २०१६ से
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