१) भ्रूमध्य
को अनामिका से हलका रगड़ते हुए ‘ॐ गं गणपतये नम: | ॐ श्री गुरुभ्यो नम” |’ करके
तिलक करें | फिर २ – ३ मिनट प्रणाम की मुद्रा में ( शशकासन करते हुए दोनों हाथ आगे
जोड़कर ) सिर जमीन पर लगा के रखें | इससे निर्णयशक्ति, बौद्धिक शक्ति में जादुई लाभ
होता है | क्रोध, आवेश, वैर पर नियन्त्रण पानेवाले द्रव्यों का भीतर विकास होता
हैं |
२) सूर्योदय
के समय ताँबे के पात्र में जल ले के उसमें लाल फूल, कुमकुम डालकर सूर्यनारायण को
अर्घ्य दें | जहाँ अर्घ्य का जल गिरे वहाँ की गीली मिट्टी का तिलक करें तो
विद्यार्थी की बुद्धि बढ़ने में मदद मिलती है | बुद्धि में चार चाँद लग जाते हैं |
३) सोते
समय ललाट से तिलक का त्याग कर देना चाहिए |
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ऋषिप्रसाद – मई २०१६
से
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