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Tuesday, September 23, 2014

नौकासन

इस आसन में शरीर का आकर नौका अर्थात नाव के समान हो जाता हैं, इसलिए इसका नाम ‘नौकासन’ रखा गया है |

लाभ - इस आसन के अभ्यास से –

१] पेट का मोटापा कम हो जाता है |

२] पाचनशक्ति में वृद्धि होती है |

३] कब्ज की शिकायत दूर होती है |

४] फेफड़ों से संबंधित बीमारियों में लाभ होता है |

५] गला, पेट, पाँव, कंधे आदि की मांसपेशियों में भलीभाँति रक्तसंचार होने लगता हैं |

६] शरीर फुर्तीला व हल्का हो जाता है |

७] आंतरिक और सूक्ष्म बल बढ़ाने में सहायता मिलती है |

विधि : जमीन पर पेट के बल लेट जायें और चित्रानुसार दोनों हाथों को डंडे की भाँती आगे की ओर फैलाकर केवल पेट से ऊपर के और नीचे के भाग को बलपूर्वक दोनों तरफ खींचते हुए इतना उठायें कि शरीर नौका की तरह हो जाय |

-ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०१४ से


सगर्भावस्था में निषिद्ध आहार


- गर्भ रहने पर गर्भिणी किसी भी प्रकार के आसव-अरिष्ट (कुमारी आसव, दशमूलारिष्ट आदि), उष्ण-तीक्ष्ण औषधियों, दर्द-निवारक (पेन किलर) व नींद की गोलियों, मरे हुए जानवरों के रक्त से बनी रक्तवर्धक दवाइयों एव टॉनिक्स तथा हानिकारक अंग्रेजी दवाइयों आदि का सेवन न करें |

- इडली, डोसा, ढोकला जैसे खमिरयुक्त, पित्तवर्धक तथा चीज, पनीर जैसे पचने में भारी पदार्थ न खाये | ब्रेड, बिस्कुट, केक, नुडल्स (चाऊमीन), भेलपुरी, दहिवड़ा जैसी मैदे की वस्तुएँ न खाकर शुद्ध घी व आटे से बने तथा स्वास्थ्यप्रद पदार्थो का सेवन करे |

- कोल्डड्रिंक्स व डिब्बाबंद रसों की जगह ताजा नीबू या आँवले का शरबत ले | देशी गाय के दूध, गुलकंद का प्रयोग लाभकारी है |

- मांस, मछली, अंडे आदि का सेवन कदापि न करे |

- आयुर्वेदानुसार सगर्भावस्था में किसी भी प्रकार का आहार अधिक मात्र में न लें | षडरसयुक्त आहार लेना चाहिए परंतु केवल किसी एकाध प्रिय रस का अति सेवन दुष्परिणाम ला सकता हैं |

इस संदर्भ में चरकाचार्यजी ने बताया है :

१] मधुर : सतत सेवन करने से बच्चे को मधुमेह (डायबिटीज), गूँगापन, स्थूलता हो सकती हैं |

२] अम्ल : इमली. टमाटर, खट्टा दही , डोसा, खमीरवाले पदार्थ अतिप्रमाण में खाने से बच्चे का जन्म से ही नाक में से खून बहना, त्वचा व आँखों के रोग हो सकते हैं |

३] लवण (नमक) : ज्यादा नमक लेने से रक्त में खराबी आती है, त्वचा के रोग होते हैं | बच्चे के बाल असमय में सफेद हो जाते हैं, गिरते है, गंजापन आता है, त्वचा पर समय झुरियाँ पडती है तथा नेत्रज्योति कम होती है |

४] तीखा : बच्चा कमजोर प्रकुति का, क्षीण शुक्रधातुवाला व् भविष्य में संतानोत्पत्ति में असमर्थ हो सकता है |

५] कडवा : बच्चा शुष्क, कम वजन का व कमजोर हो सकता है |

६] कषाय : अति खाने पर श्यावता (नीलरोग) आती है, उर्ध्ववायु की तकलीफ रहती है |

सारांश यही है कि स्वादलोलुप न होकर आवश्यक संतुलित आहार लें |

- ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०१४ से

स्वादिष्ट और बलदायक केला

केला एक ऐसा विलक्षण फल है जो शारीरिक व बौद्धिक विकास के साथ उत्साहवर्धक भी है | पूजन-अर्चन आदि कार्यो में भी केले का महत्त्वपूर्ण स्थान है | केले में शर्करा, कैल्शियम, पोटैशियम, सोडियम, फोस्फोरस, प्रोटीन्स, विटामिन ए, बी, सी, डी एवं लौह, ताँबा, आयोडीन आदि तत्त्वों के साथ ऊर्जा का भरपूर खजाना है |

लाभ – १] पका केला स्वादिष्ट, भूख बढ़ानेवाला, शीतल, पुष्टिकारक, मांस एवं वीर्यवर्धक, भूख-प्यास को मिटानेवाला तथा नेत्ररोग एवं प्रमेह में हितकर है |

२] केला हड्डियों और दाँतों को मजबूती प्रदान करता है | छोटे बच्चों के शाररिक व बौद्धिक विकास के लिए केला अत्यंत गुणकारी है |

३] एक पका केला रोजाना खिलाने से बच्चों का सुखा रोग मिटता है |

४] यह शरीर व धातु की दुर्बलता दूर करता है, शरीर को स्फूर्तिवान तथा त्वचा को कांतिमय बनाता है और रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढाता है |

५] केला अन्न को पचाने में सहायक है | भोजन के साथ १-२ पके केले प्रतिदिन खाने से भूख बढती है |

६] खून की कमी को दूर करने तथा वजन बढ़ाने के लिए केला विशेष लाभाकरी है |



आसान घरेलू प्रयोग


स्वप्नदोष : २ अच्छे पके केलों का गुदा खूब घोंटकर उसमें १०-१० ग्राम शुद्ध शहद व आँवले का रस मिला के सुबह-शाम कुछ दिनों तक नियमित लेने से लाभ होता है |

प्रदर रोग – (महिलाओं की सफेद पानी पड़ने की बीमारी) : सुबह-शाम एक-एक खूब पका केला १० ग्राम गाय के घी के साथ खाने से करीब एक सप्ताह में ही लाभ होता है |

शीघ्रपतन :
एक केले के साथ १० ग्राम शुद्ध शहद लगातार कम-से-कम १५ दिन तक सेवन करें | शीघ्रपतन के रोगियों के लिए यह रामबाण प्रयोग माना जाता है |

आमाशय व्रण (अल्सर) :
पके केले खाने और भोजन में दूध व भात लेने से अल्सर में लाभ होता है |

उपरोक्त सभी प्रयोगों में अच्छे-से पके चित्तीदार केले धीरे-धीरे, खूब चबाते हुए खाने चाहिए | इससे केले आसानी से पच जाते है, अन्यथा पचने में भारी भी पड सकते हैं | अधिक केले खाने से अजीर्ण हो सकता है | केले के साथ इलायची खाने से वह शीघ्र पच जाता है | अदरक भी केला पचाने में सहायता करता है |

सावधानियाँ – केला भोजन के समय या बाद में खाना उचित है | मंदाग्नि, गुर्दों से संबधित बीमारियों, कफजन्य व्याधियों से पीड़ित व मोटे व्यक्तियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए | केले को छिलका हटाने के बाद तुरुंत खा लेना चाहिए | केले, अन्य फल व सब्जियों को फ्रिज में रखने से उनके पौष्टिक तत्त्व नष्ट होते हैं |

- ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०१४ से