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Thursday, November 15, 2018

सहज शंख मुद्रा


लाभ: १] शरीर-शुद्धि करनेवाले संस्थानों एवं अवयवों के कार्य सुचारू रूप से होते हैं |
२] रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है |
३] बवासीर जैसे रोग ठीक होते हैं |
४] रक्ताभिसरण व्यवस्थित होता है |
५] ह्रदय की कार्यक्षमता बनी रहती है |
६] तुतलापन, अटक-अटककर बोलना, वाणी के दोष एवं रोग ठीक होते हैं |
७] इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से गायक अपनी आवाज को अधिक मधुर बना सकते हैं |

विधि : हाथों की ऊँगलियाँ एक-दूसरे में अटकाकर हथेलियों से एक-दूसरे पर दबाव डालें | हाथों के अँगूठे एक-दूसरे से स्पर्श किये हुए सीधे रहें |

यह मुद्रा वज्रासन या सुखासन में बैठकर ५ से २० मिनट करें | मुलबंधयुक्त प्राणायाम के साथ इसे करने से विशेष लाभ होता है |

लोककल्याणसेतु – नवम्बर २०१८ से

अंजीर – एक बहुपयोगी फल व सूखा मेवा


अंजीर एक पौष्टिक फल है, जिसका ताजे फल व सूखे मेवे के रूप में उपयोग किया जाता है | यह स्वाद में मधुर, शीतल, स्निग्ध, तृप्तिकर, वजन बढ़ाने में लाभदायी, पचने में भारी, वात-पित्तशामक, जलन कम करनेवाला तथा रक्तवर्धक है |

आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार में रेशे, विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ व ‘के’ तथा कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, मैग्नेशियम, लौह, मैंगनीज आदि खनिज होते हैं |

अंजीर जठर और आँतों को कार्यक्षम रखता है तथा सूखी खाँसी में विशेष लाभदायी है | यह यकृत (liver) एवं प्लीहा (spleen) की वृद्धि, लकवा ( paralysis), बवासीर, संधिवात, नकसीर, प्यास की अधिकता, बुखार के बाद आनेवाली कमजोरी और सीने के दर्द में लाभदायी होता है |    

क्षयरोग (tuberculosis) में अंजीर पथ्य माना जाता है | ताजे अंजीर का रस मूत्रल होता है | अंजीर रक्तशुद्धिकर है इसलिए इसके सेवन से रक्त-विकार के कारण उत्पन्न फोड़े-फुंसियों और दूसरे चर्मरोगों में लाभ होता है | यह थकान व कमजोरी को दूर करनेवाला तथा बलवर्धक है |

अंजीर बादाम एवं पिस्ता के साथ खाने से बुद्धिवर्धक व अखरोट के साथ खाने से वीर्यवर्धक होता है | बच्चों और गर्भवती महिलाओं को अंजीर विशेषरूप से खाने चाहिए | इससे उन्हें पर्याप्त पोषण मिलता है |

औषधीय प्रयोग
रक्त की वृद्धि एवं शुद्धि हेतु : ३ – ४ अंजीर को २०० ग्राम दूध में उबालकर रोज पीने से रक्त की  वृद्धि व शुद्धि होती है तथा शक्ति बढ़ती है | यह प्रयोग कब्जियत में भी लाभ करता है |

शारीरिक कमजोरी (दुर्बलता) : २ पके अंजीरों को अथवा भिगोये हुए २ सूखे अंजीरों को १ चम्मच सौंफ के साथ चबा-चबाकर खायें | यह प्रयोग ४० दिन तक नियमित करने से शारीरिक दुर्बलता में लाभ होता है |

बवासीर : अंजीर, काली द्राक्ष (सूखी), हरड एवं मिश्री को समान मात्रा में ले के कूट के रख लें | ३ – ५ ग्राम मिश्रण को प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से बवासीर में लाभ होता है |

अधिक मासिक स्त्राव व प्रदररोग : प्रतिदिन २ अंजीर के छोटे-छोटे टुकड़े करके रात को पानी में भिगो दें एवं सुबह २ चम्मच शहद के साथ चबा-चबाकर खाये | इससे अधिक मासिक स्त्राव व पानी पड़ने की बीमारी में लाभ होता है |

सावधानी : अंजीर पचने में भारी होते हैं अत: इनका उपयोग पाचनशक्ति के अनुसार करना चाहिए | प्रतिदिन २ से ४ अंजीर खाये जा सकते हैं | ज्यादा मात्रा में खाने पर सर्दी, कफ एवं मंदाग्नि हो सकती है | सूखे अंजीरों को सेवन से पूर्व १ – २ घंटे पानी में भिगो के रखना चाहिए |

लोककल्याणसेतु – नवम्बर २०१८ से

Tuesday, November 13, 2018

बल, स्मृति एवं रक्त वर्धक औषधियाँ


वजन एवं बल बढ़ाने हेतु
१] अश्वगंधा पाक : १क चम्मच ( ५ ग्राम ) दूध से लें |
२] च्यवनप्राश : १ चम्मच (१० ग्राम ) लें |
३] ब्राह्म रसायन : १ चम्मच लें |
४] शतावरी चूर्ण : आधा चम्मच चूर्ण दूध से लें |
५] अश्वगंधा चूर्ण : आधा चम्मच ( २ से ५ ग्राम ) चूर्ण दूध से लें |

(उपरोक्त औषधियों का सेवन सुबह खाली पेट करें | सेवन के बाद जब तक खुलकर भूख नहीं लगती तब तक भोजन नही करें |)

याददाश्त बढ़ाने हेतु
१] सुवर्णप्राश : १ से २ गोली सुबह खाली पेट दूध से लें |
२] शंखपुष्पी सिरप : १-१ चम्मच ( ५ - ५ मि.ली.) सुबह-शाम लें |

रक्त बढ़ाने हेतु
१] रजत मालती : १ गोली सुबह खाली पेट दूध से लें |
२] द्राक्षावलेह : १ – १ चम्मच ( १० – १० ग्राम ) सुबह-शाम लें |

(सुचना : उपरोक्त में से २ या ३ पोषक चीजों का एक साथ सेवन कर सकते हैं |)

ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१८ से

लक्ष्मीप्राप्ति व घर में सुख-शांति हेतु


  •      ‘परमात्मा मेरे आत्मा हैं | ॐ आनंद, ॐ शांति, ॐ माधुर्य....|’ -  घर में अन्न की कमी हो तो ऐसा चिंतन करके जौ का ध्यान करें, अन्न की कमी सदा के लिए मिट जायेगी | - पूज्य बापूजी
  •          घर में टूटी-फूटी अथवा अग्नि से जली हुई प्रतिमा की पूजा नहीं करनी चाहिए | ऐसी मूर्ति की पूजा करने से गृहस्वामी के मन में उद्वेग या अनिष्ट होता है | (वराह पुराण :१८६.३७)


ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१८ से

उत्तम स्वास्थ्य हेतु निद्रा – संबंधी ध्यान देने योग्य जरूरी बातें


क्या करें
१] आयु –आरोग्य संवर्धन हेतु उचित समय पर, उचित मात्रा में नींद लेना जरूरी है |
२] रात को ढीले वस्त्र पहन के बायीं करवट सोयें |
३] अनिद्रा हो तो सिर पर आँवला-भृंगराज केश तेल व शरीर पर तिल की एवं पैरों के तलवों पर घी की मालिश करें |
४] सोने से पहले शास्त्राध्ययन या सत्संग श्रवण कर कुछ देर ॐकार का दीर्घ उच्चारण करें, फिर श्वासोच्छ्वास के साथ भगवन्नाम की गिनती करते हुए सोयें तो नींद भी उपासना हो जायेगी |

क्या न करें
१] हाथ-पैर सिकोड़कर, पैरों के पंजो की आँटी (क्रॉस) करके, सिर के पीछे या ऊपर हाथ रखकर तथा पेट के बल नहीं सोना चाहिए |
२] रात को पैर गीले रख के नही सोना चाहिए |
३] देर रात तक जागरण से शरीर में धातुओं का शोषण होता हैं व शरीर दुर्बल होता है |
४] दिन में शयन करने से शरीर में बल का क्षय हो जाता है | स्थूल, कफ प्रकृतिवाले व कफजन्य व्याधियों से पीड़ित व्यक्तियों को सभी ऋतुओं में दिन की निद्रा अत्यंत हानिकारक है |


आँवला – भृंगराज केश तेल संत श्री आशारामजी आश्रम व समिति के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है |

ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१८ से

खायें एक, पायें १० की शक्ति


लोग पाक बनाते हैं, उसमें सूखा मेवा आदि डालते हैं | जो हजम कर सकते हैं उनके लिए ठीक है लेकिन जो सीधे बादाम खाते हैं उनके लिए आगे चलकर ब्लॉकेज, हार्ट-अटैक होने की सम्भावना बन जाती है, गुर्दों पर भार पड़ता है | इसलिए एक बादाम रात को भिगो दें ( धीरे-धीरे बढाकर ५ तक ले सकते हैं ) और सुबह खूब चबाकर खायें | ऐसा चबा लें मानो मक्खन जैसा हो जाय | बच्चों के लिए एक बादाम को खरल में ऐसा रगड़ें कि वह मक्खन जैसा बन जाय | उसमें १ ग्राम शहद डाल के चटायें तो बच्चे भी बड़े मजबूत बनेंगे |

लोग ताकत के लिए खूब बादाम खाते हैं लेकिन बेवकूफी है | बादाम, काजू या पिस्ता आदि अधिक नही खाने चाहिए | कभी १ काजू, कभी १ अखरोट तो कभी १ बादाम रात को भिगो दें | कभी मतलब १० दिन काजू, १० दिन बादाम.... इस प्रकार प्रयोग करें | १, २, ३.... बढ़ाते – बढ़ाते ५ तक ले सकते हैं | भिगोकर खाने से ये सुपाच्य बनते हैं | एक बादाम चबा-चबाकर उसे प्रवाही बना के पी लो तो १० बादाम खाने की ताकत आती है | बादाम से बुद्धिशक्ति में वृद्धि होगी | अखरोट से दिमाग तेज और बढिया होगा और काजू से मानसिक कमजोरी दूर होगी, निर्भीकता आयेगी |

किशमिश का लाभ
रक्त बढ़ाने के लिए भोजन के आधा घंटे के बाद अंगूर का रस लें अथवा रात को किशमिश भिगो के रखें और सुबह उसका रस बना के २५ ग्राम रस और भिगोयी हुई किशमिश का २५-३० ग्राम पानी मिला के भोजन के आधे घंटे बाद पियें एक महीने तक | पेट फूला – फूला रहता हो, अपच हो, अफरा हो, दिल का दौरा अथवा चक्कर, सिरदर्द, दुबलापन, हीमोग्लोबिन की कमी अथवा बच्चों की दुर्बलता, बच्चों को कब्जियत की तकलीफ हो तो यह प्रयोग फायदा करता है |

ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१८ से

औषधीय गुणों से भरपूर व विविध रोगों में लाभदायी तोरई


तोरई पथ्यकर (स्वास्थ्य के लिए हितकर), औषधीय गुणों से युक्त व स्वादिष्ट सब्जी है | आयुर्वेद के अनुसार यह स्निग्ध, शीतल, भूखवर्धक, मल-मूत्र को साफ़ लाने में सहायक व कृमिनाशक होती है | यह पित्त-विकृति को दूर करती है फिर भी कफवर्धक नहीं है | उष्ण प्रकृतिवालों के लिए एवं पित्तजन्य व्याधियों तथा सुजाक, बवासीर, पेशाब में खून आना, बुखार एवं बुखार के बाद आयी हुई कमजोरी, कृमि, अरुचि, पीलिया आदि में यह विशेष पथ्यकर है | यह शरीर में तरावट लाती है तथा रोगों से बचाती है |

आधुनिक अनुसंधान के अनुसार तोरई में विटामिन ‘बी’ व  ‘सी’ एवं मैग्नेशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस , जिंक, लौह तत्त्व, रेशे, बीटा केरोटिन और थायमीन प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं | तोरई शुक्रधातु की क्षीणता से दुर्बल हुए व्यक्ति, श्रमजीवी व बालकों को विशेष शक्ति प्रदान करनेवाली है | इसका सेवन कम-से कम मसाले डालकर सब्जी, सूप बना के अथवा दाल के साथ पका के हफ्ते में २-३ बार करना चाहिए |

इसमें जीवाणुरोधी गुण पायें जाते हैं | इसका आहार में समावेश करने से आमाशय-अल्सर से रक्षा होती है | यह हड्डियों को मजबूत करने में सहायक है |

तोरई के सेवन से होनेवाले लाभ
     १)    इसमें पाया जानेवाला बीटा केरोटिन नेत्रज्योति बढ़ाने में सहायक है |
     २)    यह रक्तशुद्धि करने तथा यकृत के स्वास्थ्य को सुधारने में भी फायदेमंद है |
    ३)  तोरई में रेशे होने के कारण जिन लोगों को पाचनतंत्र के विकार रहते हों उनके लिए इसका सेवन अधिक लाभप्रद है | जिन्हें कब्ज की शिकायत रहती हो उन्हें शाम के भोजन में तोरई की रसदार सब्जी खानी चाहिए | पाचन में सुधार होने के कारण तोरई के सेवन से त्वचा में निखार आता है |
   ४) घी में जीरे का छौंक लगाकर धनिया डाल के बनायीं गयी तोरई की सब्जी खाने से नकसीर, रक्तपित्त, बवासीर तथा शरीर व पेशाब में होनेवाली जलन में लाभ होता है |
    ५)  तोरई शराब व नशे के दुष्प्रभाव को कम करने में मदद करती है |
   ६) इसमें वसा, कोलेस्ट्रॉल व कैलोरी कम होने के कारण यह वजन कम करने तथा ह्रदयरोग व मधुमेह में लाभदायी है |
    ७)  पेट के कीड़े नष्ट करने के लिए तोरई की सब्जी नियमित खायें अथवा तोरई को पानी में उबालकर सूप बनायें व उसमें नमक मिला के दिन में दो बार लें |
    
  सावधानी : पेचिश, मंदाग्नि, बार-बार मल प्रवृत्ति की समस्या में तोरई का सेवन नही करना चाहिए | पुरानी सख्त  तोरई नहीं खानी चाहिए |

                                                                                         ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१८ से



माला धारण करने का महत्त्व


जपमाला को आप साधारण नहीं समझना | माता-पिता और पैसे से उतनी रक्षा नही होती जितनी गुरुमंत्र-जप करते हैं वह बड़ी प्रभावशाली मानी जाती है | उसको गले में धारण करके कोई भी सत्कर्म करेंगे तो १०,००० गुना फल होता है |

जिनकी उम्र ज्यादा है वे अपने घरवालों को बोल दें कि ‘जब हमारा शरीर छूट जाय तो हमारी माला गले से नही उतारना |’ जिनके गले में जप की हुई माला है उनके प्रारब्धजनित अनिष्ट का प्रभाव नष्ट हो जाता हैं क्योंकि इष्टमंत्र, गुरुमंत्र जपते हैं तो अनिष्ट दूर रहता है | यदि इष्टमंत्र कम जपा है और पूर्व का पाप अधिक है तो इस कारण से कभी थोडा अनिष्ट होता दिखे तब भी जापक अडिग रहेगा तो अनिष्ट टल जायेगा |

गले में तुलसी की माला धारण करने से शरीर में जो चुम्बकत्व है और खून का भ्रमण है वह अच्छी तरह से रहेगा | शरीर में कहीं हानिकारक कण इकट्ठे होकर ट्यूमर अथवा ब्लॉकेज जैसी स्थिति उत्पन्न होने से रक्षा होगी, बायपास सर्जरी नहीं करनी पड़ेगी, और कोई बीमारी जल्दी उत्पन्न नहीं होगी |”

(माला-पूजन की विधि व माला-संबंधी नियम जानने हेतु पढ़ें आश्रम के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध पुस्तक ‘इष्टसिद्धि’, ‘मंत्रजप महिमा एवं अनुष्ठान विधि’ |)

ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१८ से

Monday, November 12, 2018

सुसंस्कारी संतान की प्राप्ति हेतु


ब्रह्मनिष्ठ संत श्री आशारामजी बापू के मार्गदर्शन में चलनेवाले महिला उत्थान मंडल द्वारा देशभर में ‘गर्भ संस्कार केंद्र’ तथा ‘दिव्य शिशु संस्कार अभियान’ चलाये जा रहे हैं, जिनमें गर्भवती महिलाओं व शिशुओं के लिए विभिन्न महत्त्वपूर्ण विषयों पर नि:शुल्क मार्गदर्शन व प्रशिक्षण दिया जाता है |

अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क करें : ९१५७३०६३१३, ९६०११४०६७४

ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१८ से