क्या
करें
१] आयु
–आरोग्य संवर्धन हेतु उचित समय पर, उचित मात्रा में नींद लेना जरूरी है |
२] रात
को ढीले वस्त्र पहन के बायीं करवट सोयें |
३]
अनिद्रा हो तो सिर पर आँवला-भृंगराज केश तेल व शरीर पर तिल की एवं पैरों के तलवों
पर घी की मालिश करें |
४]
सोने से पहले शास्त्राध्ययन या सत्संग श्रवण कर कुछ देर ॐकार का दीर्घ उच्चारण
करें, फिर श्वासोच्छ्वास के साथ भगवन्नाम की गिनती करते हुए सोयें तो नींद भी
उपासना हो जायेगी |
क्या न
करें
१]
हाथ-पैर सिकोड़कर, पैरों के पंजो की आँटी (क्रॉस) करके, सिर के पीछे या ऊपर हाथ
रखकर तथा पेट के बल नहीं सोना चाहिए |
२] रात
को पैर गीले रख के नही सोना चाहिए |
३] देर
रात तक जागरण से शरीर में धातुओं का शोषण होता हैं व शरीर दुर्बल होता है |
४] दिन
में शयन करने से शरीर में बल का क्षय हो जाता है | स्थूल, कफ प्रकृतिवाले व कफजन्य
व्याधियों से पीड़ित व्यक्तियों को सभी ऋतुओं में दिन की निद्रा अत्यंत हानिकारक है
|
आँवला –
भृंगराज केश तेल संत श्री आशारामजी आश्रम व समिति के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है |
ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१८ से
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