लाभ: १] शरीर-शुद्धि करनेवाले
संस्थानों एवं अवयवों के कार्य सुचारू रूप से होते हैं |
२] रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है |
३] बवासीर जैसे रोग ठीक होते हैं |
४] रक्ताभिसरण व्यवस्थित होता है |
५] ह्रदय की कार्यक्षमता बनी रहती है
|
६] तुतलापन, अटक-अटककर बोलना, वाणी
के दोष एवं रोग ठीक होते हैं |
७] इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से
गायक अपनी आवाज को अधिक मधुर बना सकते हैं |
विधि : हाथों की ऊँगलियाँ एक-दूसरे
में अटकाकर हथेलियों से एक-दूसरे पर दबाव डालें | हाथों के अँगूठे एक-दूसरे से
स्पर्श किये हुए सीधे रहें |
यह मुद्रा वज्रासन या सुखासन में
बैठकर ५ से २० मिनट करें | मुलबंधयुक्त प्राणायाम के साथ इसे करने से विशेष लाभ
होता है |
लोककल्याणसेतु – नवम्बर
२०१८ से
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