Search This Blog

Saturday, November 7, 2015

गर्भपात पाप – निवृत्ति व शुद्धि हेतु

अपने ही बच्चे की गर्भ में नृशंस हत्या करवाने से शरीर रोगों का घर बनता है और परिवार कलह, अशांति एवं दुःख की भीषण ज्वालाओं में झुलसने लगता है | प्रसवकाल में माँ के शरीर को जितना खतरा होता है, उससे दुगना खतरा उसे गर्भपात करवाने से होता है |

पराशर स्मृति (४.२०) में आता है :    

यत्पापं ब्रह्महत्यायां द्विगुणं गर्भपातने |

‘ब्रह्महत्या से जो पाप लगता है, उससे दुगना पाप गर्भपात  करने से लगता है |’

जिनसे जाने – अनजाने में यह अपराध हो चूका है, उनके लिए ‘स्कंद पुराण’ में प्रायश्चित की विधि इसप्रकार बतायी गयी है :

‘प्रणव और व्याह्रति ( ॐ भू:, ॐ भुव:, ॐ स्व:, ॐ मह:, ॐ जन:, ॐ तप:, ॐ सत्यम ) के साथ किये हुए १६ प्राणायाम यदि प्रतिदिन होते रहें तो एक मास में वे भ्रूणहत्या करनेवाले पापी को भी पवित्र कर देते हैं ( बशर्ते दुबारा यह पाप न करें ) |’

पहले दिन ५ प्राणायाम से प्रारम्भ करे | रोज एक – एक बढाते हुए १६ तक पहुँचे, फिर प्रतिदिन १६ प्राणायाम एक मास तक करे | भगवान को इस पाप – निवृत्ति व शुद्धि के लिए प्रार्थना करे |


स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१५ से


कटिचक्रासन

इस आसन के अभ्यास में कमर को चक्र के समान बार – बार दायें – बायें घुमाया जाता है इसलिए इसका नाम ‘कटिचक्रासन’ हैं |

लाभ : १) नियमित अभ्यास से कमर पतली तथा सीना चौड़ा होता है |

२) कब्ज की शिकायत दूर होती है |

३) कमर को बहुत बल मिलता है | पसलियों में लचीलापन आ जाता है |

४) गला, पेट, पीठ, कंधों तथा जंघाओं को पर्याप्त बल मिलता है |

५) ठिंगने  व्यक्तियों को इस आसन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए |

विधि : दोनों पैरों में एक फुट का अंतर रखकर खड़े हो जायें | अब दोनों हाथों को छाती के सामने पृथ्वी के समानांतर फैलाकर बायीं तरफ इतना घूमें कि दायीं दिशा भलीप्रकार दिखाई दे | फिर दायीं तरफ कमर को घुमाते हुए इतना मोड़ें कि बायीं दिशा दिखाई दे | जिस तरफ घूमेंगे उधर का हाथ फैला रहेगा और दूसरा हाथ मुड़ा रहेगा | पाँच – पाँच बार दोनों तरफ करें |

यह आसन करने में सुगम होते हुए भी इसके कई सारे लाभ हैं |



स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१५ से