इस
आसन के अभ्यास में कमर को चक्र के समान बार – बार दायें – बायें घुमाया जाता है
इसलिए इसका नाम ‘कटिचक्रासन’ हैं |
लाभ
: १) नियमित अभ्यास से कमर पतली तथा सीना चौड़ा होता है |
२)
कब्ज की शिकायत दूर होती है |
३)
कमर को बहुत बल मिलता है | पसलियों में लचीलापन आ जाता है |
४)
गला, पेट, पीठ, कंधों तथा जंघाओं को पर्याप्त बल मिलता है |
५) ठिंगने व्यक्तियों को इस आसन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए |
विधि
: दोनों पैरों में एक फुट का अंतर रखकर खड़े हो जायें | अब दोनों हाथों को छाती के
सामने पृथ्वी के समानांतर फैलाकर बायीं तरफ इतना घूमें कि दायीं दिशा भलीप्रकार
दिखाई दे | फिर दायीं तरफ कमर को घुमाते हुए इतना मोड़ें कि बायीं दिशा दिखाई दे |
जिस तरफ घूमेंगे उधर का हाथ फैला रहेगा और दूसरा हाथ मुड़ा रहेगा | पाँच – पाँच बार
दोनों तरफ करें |
यह
आसन करने में सुगम होते हुए भी इसके कई सारे लाभ हैं |
स्त्रोत
– ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१५ से
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