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Saturday, November 7, 2015

कटिचक्रासन

इस आसन के अभ्यास में कमर को चक्र के समान बार – बार दायें – बायें घुमाया जाता है इसलिए इसका नाम ‘कटिचक्रासन’ हैं |

लाभ : १) नियमित अभ्यास से कमर पतली तथा सीना चौड़ा होता है |

२) कब्ज की शिकायत दूर होती है |

३) कमर को बहुत बल मिलता है | पसलियों में लचीलापन आ जाता है |

४) गला, पेट, पीठ, कंधों तथा जंघाओं को पर्याप्त बल मिलता है |

५) ठिंगने  व्यक्तियों को इस आसन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए |

विधि : दोनों पैरों में एक फुट का अंतर रखकर खड़े हो जायें | अब दोनों हाथों को छाती के सामने पृथ्वी के समानांतर फैलाकर बायीं तरफ इतना घूमें कि दायीं दिशा भलीप्रकार दिखाई दे | फिर दायीं तरफ कमर को घुमाते हुए इतना मोड़ें कि बायीं दिशा दिखाई दे | जिस तरफ घूमेंगे उधर का हाथ फैला रहेगा और दूसरा हाथ मुड़ा रहेगा | पाँच – पाँच बार दोनों तरफ करें |

यह आसन करने में सुगम होते हुए भी इसके कई सारे लाभ हैं |



स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१५ से 

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