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Wednesday, October 7, 2015

उत्कटासन

लाभ : १) इस आसन के अभ्यास से पाँव और ऊँगलियों के जोड़ों का दर्द दूर होता हैं तथा जाँघों की मांसपेशियाँ पुष्ट होती है |

२) वीर्य का प्रवाह ऊर्ध्वगामी होता हैं | अखंड ब्रह्मचर्य के लिए उपयोगी है |

३) बवासीर की बीमारी में लाभ पहुँचता है |

४) इस आसन के समय उड्डीयान बंध करने से पेट के सभी विकारों में लाभ होता है |

विधि : पंजों के बल जमीन पर बैठ जायें | अँगूठों पर जोर देते हुए एडियों को भलीभाँति ऊपर उठायें | इसके बाद एडियों को आपस में मिलाते हुए गुदाद्वार को उन पर सटाकर रखें | अब दोनों हाथों की कोहनियों को घुटनों पर रखते हुए ऊँगलियों को परस्पर फँसा लें |



स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१५ से

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