नकसीर : यह होने पर सिर पर
ठंडा पानी डालें | ताज़ी व कोमल दूब ( दूर्वा ) का रस अथवा हरे धनिये का रस बूँद –
बूँद नाक में टपकाने से रक्त निकलना बंद हो जाता है | दिन में दो – तीन बार १०
ग्राम आँवले के रस में मिश्री मिलाकर पिलायें अथवा गन्ने का ताजा रस पिलाने से
नकसीर में पूरा आराम मिलता है |
आतपदाह (Sunburn)
: धूप में त्वचा झुलस जाती है और काली पड़ जाती है | इसमें ककड़ी का
रस अथवा ककड़ी के पतले टुकड़े चेहरे पर लगाकर कुछ समय बाद ठंडे पानी से धो लें |
साबुन का प्रयोग बिल्कुल न करें | बेसन व मलाई मिलाकर उसे चेहरे पर लगा के चेहरा
धोयें | नारियल – तेल लगाने से भी लाभ होता है | दही व बेसन मिलाकर लेप करने से
आतपदाह से उत्पन्न कालापन दूर होता है |
घमौरियाँ : मुलतानी मिट्टी
के घोल से स्नान करने से लाभ होता है | चौथाई चम्मच करेले के रस में १ चम्मच मीठा
सोडा मिला के लेप करने से २ – ३ दिन में ही
घमौरियों में राहत मिलती है | घमौरियों से सुरक्षा के लिए विटामिन ‘सी’ वाले फलों
का सेवन करना चाहिए, जैसे – आँवला, नींबू, संतरा आदि | ढीले सूती कपड़ों का उपयोग
करें |
गर्मी एवं पित्तजन्य
तकलीफें : रात को दूध में एक चम्मच त्रिफला घृत मिलाकर पियें | पित्तजन्य दाह,
सिरदर्द, आँखों की जलन में आराम मिलेगा | दोपहर को चार बजे एक चम्मच गुलकंद धीरे –
धीरे चूसकर खाने से भी लाभ होता है | सुबह खाली पेट नारियल – पानी में अथवा ककड़ी
या खीरे के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से शरीर की सारी गर्मी मूत्र एवं मल के
साथ निकल जाती है, रक्त शुद्ध होता है और दाह व गर्मी से सुरक्षा होती हैं |
( त्रिफला घृत संत श्री
आशारामजी आश्रम द्वारा संचलित आयुर्वेदिक उपचार केन्द्रों पर उपलब्ध हैं | मँगवाने
हेतु सम्पर्क करे : 09218112233 )
मूत्रसंबंधी विकार : पेशाब
में जलन, पेशाब के समय दर्द व रुक – रुककर पेशाब आना, बुखार आदि समस्याओं में २
ग्राम सौंफ को पानी में घोटें व मिश्री मिलाकर दिन में २ – ३ बार पियें | इससे
गर्मी भी कम होती है | तरबूज, खरबूजा, ककड़ी आदि का सेवन भी खूब लाभदायी है |
गर्मीजन्य अन्य समस्याएँ :
इस ऋतू में मानसिक उग्रता, आलस्य की प्रबलता, पित्ताधिक्य से क्रोधादि लक्षण
ज्यादा देखे जाते हैं | इन समस्याओं में सुबह शीतली प्राणायाम का अभ्यास करना बहुत
लाभकारी हैं |
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ऋषिप्रसाद – मई २०१६ से
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