जिसका लोभी स्वभाव है, वह ‘ईश्वर
की ओर’ पुस्तक पढ़ा करे | जिसको इसी जन्म में संसार से पार होना हो, उसको भी ‘ईश्वर
की ओर’ पुस्तक बार – बार पढनी चाहिए |
जिसका कमजोर शरीर हैं, वह ‘जीवन विकास’
पुस्तक पढ़ा करे |
जिसका डरपोक स्वभाव है, वह ‘जीवन रसायन’ पुस्तक पढ़ा करे, डर चला
जायेगा |
‘जीवन रसायन’ पुस्तक गर्भिणी पढ़े तो प्रसूति की पीड़ा के सिर पर पैर रखकर आराम
से प्रसूति करेगी, डरेगी नहीं | डर के कारण प्रसूति की पीड़ा अधिक होती हैं | और
फिर छोटे – मोटे ऑपरेशन करा के स्वास्थ्य का सत्यानाश नहीं करना चाहिए |
( उपरोक्त सत्साहित्य सभी
संत श्री आशारामजी आश्रमों व समितियों के सेवाकेन्द्रों में उपलब्ध हैं | )
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ऋषिप्रसाद – मई २०१६ से
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