- शक्कर की बनी मिठाइयाँ, चाय,
कॉफ़ी, अति खट्टे फल, अति तीखे, अति नमकयुक्त तथा उष्ण – तीक्ष्ण व नशीलें पदार्थों
के सेवन से वीर्य में दोष आ जाते हैं |
- प्रात: उठते ही ६ अंजलि जल
पियो | सूर्यास्त तक २ से ढाई लीटर जल अवश्य पी जाओ | गर्मियों में व जब शरीर से
श्रम करो, तब इससे अधिक जल की आवश्यकता होती है |
- जिन सब्जियों का छिलका बहुत
कड़ा न हो, जैसे गिल्की, परवल, टिंडा आदि, उन्हें छिलकेसहित खाना अत्यंत लाभकारी है
| जिन फलों के छिलके खा सकते हैं, जैसे सेवफल, चीकू आदि, उन्हें खूब अच्छी तरह धो के
छिलकों के साथ ही खाना चाहिए | दाल भी छिलकेसहित खानी चाहिए | चोकर तथा छिलके में पोषक तत्त्व होते हैं और इनसे पेट साफ़ रहता है | सब्जी, फल आदि धोने के बाद
कीटनाशक आदि रसायनों का अंश छिलकों पर न बचा हो इसका ध्यान रखें, अन्यथा नुकसान
होगा | सेवफल को चाकू से हलका – सा रगड़कर उस पर लगी मोम उतार लेनी चाहिए |
- घी – तेल में तले हुए
पकवानों का कभी – कभी ही सेवन करना चाहिए | नित्य या प्राय: तली हुई पुडी –पकवान, पकौड़े, नमकीन खाने से कुछ दिनों में पेट में कब्ज रहने लगेगा, अनेक बीमारियाँ
बढ़ेंगी |
- खटाई में नींबू व आँवले का
सेवन उत्तम है | कोकम व अनारदाने का उपयोग अल्प मात्रा में कर सकते हैं | अमचुर
हानिकारक है |
- भोजन इतना चबाना चाहिए कि
गले के नीचे पानी की तरह पतला हो के उतरे |
ऐसा करने से दाँतो का काम आँतों को नहीं करना पड़ता | इसके लिए बार – बार सावधान रहकर
खूब चबा के खाने की आदत बनानी पड़ती है |
- अच्छी भूख लगने पर ही भोजन
करें, बिना भूख का भोजन विकार पैदा करता है |
- भोजन के बाद स्नान नहीं
करना चाहिए | अधिक यात्रा के बाद तुरंत स्नान करने से शरीर अस्वस्थ हो जाता है |
थोड़ी देर आराम करके स्नान कर सकते हैं |
स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – जून २०१६ से
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