वातावरण में उपस्थित रोगाणु हमेशा शरीर पर आक्रमण
करते रहते हैं | जब शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होती है तब रोग-बीमारियाँ घेर
लेते हैं | यदि आप पूज्य बापूजी द्वारा बताये गये निम्नलिखित उपाय करें तो आपका
शरीर, मन व प्राण बलवान होंगे और आपकी रोगप्रतिकारक शक्ति मजबूत रहेगी |
१] जो लोग सुबह की शुद्ध हवा में प्राणायाम करते हैं
उनमें प्राणबल बढने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढती है और इससे कई रोगकारी जीवाणु मर
जाते हैं | जो प्राणायाम के समय एवं उसके अलावा भी गहरा श्वास लेते हैं उनके
फेफड़ों के निष्क्रिय पड़े वायुकोशों को प्राणवायु मिलने लगती है और वे सक्रिय हो
उठते हैं | फलत: शरीर की कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे मन प्रसन्न रहता
है |
अगर गौ-गोबर के कंडों या अंगारों पर एक चम्मच अर्थात
८-१० मि.ली. घी की बुँदे डालकर धूप करते हैं तो एक टन शक्तिशाली वायु बनती है |
ऐसे वातावरण में अगर प्राणायाम करें तो कितना फायदा उठाया जा सकता है इसका वर्णन
नहीं हो सकता | वायु जितनी बलवान होगी, उतना बुद्धि, मन, स्वास्थ्य बलवान होंगे |
२] सूर्यकिरणों में अद्भुत् रोगप्रतिकारक शक्ति है |
संसार का कोई वैद्य अथवा कोई मानवी उपचार उतना दिव्य स्वास्थ्य और बुद्धि की दृढ़ता
नहीं दे सकता है जितना सुबह की कोमल सूर्य-रश्मियों में छुपे ओज-तेज से मिलता है |
प्रात:काल सूर्य को अर्घ्य-दान, सूर्यस्नान ( सिर को कपड़े से ढककर ८ मिनट सूर्य की
ओर मुख व १० मिनट पीठ करके बैठना ) और सूर्यनमस्कार करने से शरीर ह्रष्ट-पुष्ट व
बलवान बनता है |
डॉ. सोले कहते हैं : “सूर्य में जितनी रोगनाशक शक्ति
है उतनी संसार की किसी अन्य चीज में नहीं हैं |”
३] तुलसी के १-२ पौधे घर में जरूर होने चाहिए | दूसरी
दवाएँ कीटाणु नष्ट करती है लेकिन तुलसी की हवा तो कीटाणु पैदा ही नही होने देती है
| तुलसी के पौधे का चहुँ ओर २०० मित्र तक प्रभाव रहता है | जो व्यक्ति तुलसी के
५-७ पत्ते सुबह चबाकर पानी पीता हैं उसकी स्मरणशक्ति बढती है, ब्रह्मचर्य मजबूत
होता है | सैकड़ो बीमारियाँ दूर करने की शक्ति तुलसी के पत्तों में है | तुलसी के
एक चुटकी बीज रात को पानी में भिगोकर सुबह पीने से आप दीर्घजीवी रहेंगे और बहुत
सारी बीमारियों को भगाने में आपकी जीवनीशक्ति सक्षम एवं सबल रहेगी |
४] श्वासोच्छ्वास की भगवन्नाम जप सहित मानसिक गिनती
(बिना बीच में भूले ५४ व १०८ तक ) या अजपाजप करें |
५] ख़ुशी जैसी खुराक नहीं, चिंता जैसा मर्ज नहीं | सभी
रोगों पर हास्य का औषधि की नाई उत्तम प्रभाव पड़ता है | हास्य के साथ भगवन्नाम का
उच्चारण एवं भगवदभाव होने से विकार क्षीण होते हैं, चित्त का प्रसाद बढ़ता है एवं
आवश्यक योग्यताओं का विकास होता है | हरिनाम, रामनाम एवं ॐकार के उच्चारण से बहुत
सारी बीमारियाँ मिटती है और रोगप्रतिकारक शक्ति बढती है | दिन की शुरुआत में
भगवन्नाम-उच्चारण करके सात्त्विक हास्य से आप दिनभर तरोताजा एवं ऊर्जा से भरपूर
रहते हैं, प्रसन्नचित्त रहते है | हास्य आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता है |
६] नीम के पत्ते, फल, फूल, डाली, जड़ इन पाँचों चीजों
को देशी घी के साथ मिश्रित करके घर में धूप किया जाय तो रोगी को तत्काल आराम मिलता
है, रोगप्रतिकारक शक्तिवर्धक वातावरण सर्जित हो जाता है |
७] नीम और ग्वारपाठे (घृतकुमारी) की कडवाहट बहुत सारी
बीमारियों को भगाती है | ग्यारपाठा जीवाणुरोधी व विषनाशक भी है | यह रोगप्रतिकारक
प्रणाली को मजबूत करने में अति उपयोगी है |
८] शुद्ध च्यवनप्राश मिले तो उसका एक चम्मच (१०
ग्राम) अथवा आँवला पाउडर एक चम्मच सेवन करने से पाचनशक्ति की मजबूती और बढ़ोतरी
होगी | रोगप्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ेगी | [मधुमेह वाले शुगर फ्री च्यवनप्राश लें |]
कुछ अन्न उपाय
१] ध्यान व जप अनेक रोगों में लाभदायी होता है | इससे
औषधीय उपचारों की आवश्यकता कम पडती है | ध्यान के समय अनेक प्रकार के
सुखानुभूतिकारक मस्तिष्क रसायन आपकी तंत्रिका कोशिकाओं को सराबोर करते हैं |
सेरोटोनिन, गाबा, मेलाटोनिन आदि महत्वपूर्ण रसायनों में बढ़ोत्तरी हो जाती है |
इससे तनाव, अवसाद, अनिद्रा दूर भाग जाते हैं व मन में आह्लाद, प्रसन्नता आदि सहज
में उभरते हैं |
रटगर्स विश्वविद्यालय, न्यूजर्सी के शोधकर्ताओं ने
पाया कि ध्यान के अभ्यास्कों में मेलाटोनिन का स्तर औसतन ९८% बढ़ जाता है | किसी –
किसीमे इसकी ३००% से अधिक की वृद्धि हुई | मेलाटोनिन के कार्य हैं तनाव कम करना,
स्वस्थ निद्रा, रोगप्रतिकारक प्रणाली को सक्रिय करना, कैंसर तथा अन्य
शारीरिक-मानसिक रोगों से रक्षा करना |
२] टमाटर, फूलगोभी, अजवायन व संतरा रोगप्रतिकारक
शक्ति बढ़ते हैं अत: भोजन में इनका उपयोग करें | हल्दी, जीरा, दालचीनी एवं धनिया का
उपयोग करें | परिस्थितियों को देखते हुए अल्प मात्रा में लहसुन भी डाल सकते हैं |
३] १५० मि.ली. दूध में आधा कचोट चम्मच हल्दी डाल के
उबालकर दिन में १-२ बार लें |
४] रोगप्रतिरोधक शक्ति बढने हेतु प्राणदा टेबलेट,
ब्राह्म रसायन, होमियो तुलसी गोलियाँ, तुलसी अर्क (१०० मि.ली. पानी में १ से ५
बूँद आयु व प्रकृति अनुसार), होमियों पॉवर केअर आदि का सेवन लाभदायी है |
ऋषिप्रसाद – मई २०२० से
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