शंख के कुछ स्वास्थ्य – प्रयोग
पूज्य बापूजी शंख के स्वास्थ्य-हितकारी प्रयोग बताते हुए कहते हैं : “कोई
बच्चा तोतला अथवा गूँगा है तो शंख में पानी रख दो | सुबह का रखा हुआ पानी शाम को, शाम का
रखा हुआ पानी सुबह को ५० – ५० मि.ली. उस बच्चे को पिलाओ और उसके गले में छोटा-सा
शंख बाँध दो | १ – २ चुटकी ( ५० से १०० मि.ग्रा. ) शंख भस्म
शहद के साथ सुबह-शाम चटाओ तो वह बच्चा बोलने लग जायेगा | शंख
भस्म अन्य कई रोगों में भी एक प्रभावकारी औषधि है |
गर्भिणी स्त्री शंख का पानी पिये तो उसके कुटुम्ब में २-४ पीढ़ियों तक तोतला –
गूँगा बच्चा नहीं पैदा होगा |
यह हमारे भारत की खोज है, पाश्चत्य विज्ञानियों की खोज नहीं
है | गूँगे और तोतले व्यक्ति को शंख फायदा करता है और
शंख -ध्वनि वातावरण को शुद्ध करती है इतना ही नहीं, दूसरे भी
बहुत सारे फायदे बताये गये हैं | जहाँ लोगों का समूह इकट्ठा
होता है वहाँ शंखनाद पवित्र, सात्विक माना जाता है |”
शंखजल का छिड़काव व पान क्यों ?
शंख में जल भरकर उसे पूजा-स्थान में रखे जाने और पूजा – पाठ, अनुष्ठान होने के बाद श्रद्धालुओं पर उस जल
को छिड़कने का कारण यह है कि इसमें कीटाणुनाशक शक्ति होती है और शंख में जो गंधक, फॉस्फोरस और कैल्शियम की मात्रा होती है उसके अंश भी जल में आ जाते हैं | इसलिए शंख के जल को छिड़कने और पीने से स्वास्थ्य सुधरता है |
भगवान कहते हैं : “जो शंख में जल लेकर ‘ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का उच्चारण करते हुए मुझे
नहलाता है वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है | जो जल
शंख में रखा जाता है वह गंगाजल के समान हो जाता है | तीनों
लोकों में जितने तीर्थ है वे सब मेरी आज्ञा से शंख में निवास करते है इसलिए शंख
श्रेष्ठ माना गया है | जो शंख में फूल,
जल और अक्षत रखकर मुझे अर्घ्य देता है उसे
अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है | जो वैष्णव मेरे मस्तक पर
शख का जल घुमाकर उसे अपने घर में छिडकता है उसके घर में कुछ भी अशुभ नहीं होता |
मृदंग और शंख की ध्वनि तथा प्रणव (ॐकार) के उच्चारण के साथ किया हुआ मेरा पूजन
मनुष्यों को सदैव मोक्ष प्रदान करनेवाला है |” (स्कन्द पुराण, वैष्णव खंड)
ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२२ से
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