प्रात:
पैदल भ्रमण एक सुंदर व्यायाम है | यह संजीवनी बूटी के समान गुणकारी है | भ्रमण
करते हुए वायु स्नान या सेवन से शरीर में तेज, ओज, बल, कांति, स्फूर्ति, उत्साह
एवं आरोग्य का संचार होता है, चित्त प्रसन्न होता है |
एक कहावत
है : सौ दवा, एक हवा | ऋग्वेद ( मंडल १०, सूक्त १८६, मंत्र १ ) में प्रार्थना की
गयी है : हमारे ह्रदय के लिए शातिदायक, वैभवकारक, औषधिरूप वायु प्राप्त हो अर्थात
हमें निरोग, पुष्टिकारक व आयुवर्धक उत्तम वायु मिलती रहे |
पैदल
भ्रमण दिनचर्या कका एक अंग हो
भारत में
प्राचीन काल से ही पैदल चलने का प्रचलन है | इसीका परिणाम है कि हमारे देश के लोग
उतने मोटे व बीमार नहीं होते जितने पाश्चात्य देशों के होते हैं | बच्चे हों या
बुजुर्ग, महिला हो या पुरुष सभी आयु-वर्ग के व्यकित्यों के लिए प्रात: पैदल भ्रमण
नि:शुल्क औषधि है |
पूज्यश्री
कहते है : “प्रात: ब्राह्ममुहूर्त में वातावरण में निसर्ग की शुद्ध एवं शक्तियुक्त
वायु का बाहुल्य होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हितकारी है |
भ्रमण
शरीर के पृष्ट-भाग कि मांसपेशियों को मजबूत प्रदान करता है | यह रक्तवाहिकाओं को
खोल देता है, जिससे मांसपेशियों में ऑक्सीजन और पोषक तत्त्वों की मात्रा बढ़ जाती
है | पैदल भ्रमण पीठ के निचले भाग की मांसपेशियों में जमा विषाक्त द्रव्यों को
निकालकर लचीलापन प्रदान करता है | यह कैंसर, ह्रदयरोग, कमर-दर्द, श्वास आदि रोगों
में लाभदायी है | शोधकर्ताओं के अनुसार पैदल चलने से शरीर में एंडोर्फिन नामक
रसायन की मात्रा बढती है जो प्राकृतिक दर्द-निरोधक है | प्रचुर मात्रा में भ्रमण
चिंता, उदासी, थकान, उत्साह का अभाव आदि तनाव के लक्षणों में काफी कमी ला देता है
| इससे एकाग्रता, प्रश्न हल करने की शक्ति, स्मृति व संज्ञानात्मक क्रियाओं में
वृद्धि होती है |
पैदल
भ्रमण का उत्तम समय क्या और कितना करें भ्रमण ?
पैदल
भ्रमण का उत्तम समय क्या और कितना करें भ्रमण ? सायंकाल कर सकते है | प्रात: भ्रमण
से दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है |
२ -३ मील
( ३ से ५ कि.मी.) चल सकें तो अच्छा, नहीं तो प्रात:काल गुनगुना या सामान्य पानी
पीकर खुली हवा में आरम्भ में आधा किलोमीटर से २ -३ किलोमीटर तो कोई भी स्वस्थ
व्यक्ति आसानी से टहल सकता है |
हो सके
तो कुछ समय पंजो के बल चलें | इससे पेट में संचित मलो का सरलता से निष्कासन होगा |
जहाँ तक हो सके अकेले ही भ्रमण करें |
वसंत ऋतू
(१८ फरवरी से १९ अप्रैल) आने पर शीत ऋतू में शरीर में संचित हुआ कफ प्रकुपित होने
से जठराग्नि मंद हो जाती है | आयुर्वेद शास्त्रों के अनुसार वसंत ऋतू में पैदल
चलना बहुत ही हितकारी है | वसन्ते भ्रमणं पथ्यम | पैदल भ्रमण से शरीर में मृदुता,
हलकापन व स्फूर्ति आती है और भूख भी खुलकर लगती है |
ऋषिप्रसाद – फरवरी २०२२
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