अश्वगंधा रस - रक्तादि सप्तधातुओं को पुष्ट करनेवाली आयुर्वेद की एक श्रेष्ठ औषधि है | यह वात – कफशामक एवं भूखवर्धक है | इसके सेवन से क्षीण शरीर इस प्रकार पुष्ट होता है जैसे वर्ष से छोटे – छोटे धान के पौधे लहलहा उठते हैं | अश्वगंधा विशेषत: मांस व शुक्र धातु की वृद्धि करती है |
बल – वीर्यवर्धक व पुष्टिकारक
अश्वगंधा पाक
अश्वगंधा के साथ वंशलोचन, जटामांसी, अभ्रक भस्म, लौह भस्म, केसर, चंदन आदि बहुमूल्य औषधियों
को मिलाकर बनाया गया अश्वगंधा पाक बल- वीर्यवर्धक, पुष्टिकारक, रोगप्रतिकारक शक्ति बढानेवाला श्रेष्ठ रसायन है | सर्दियों में अश्वगंधा पाक
का सेवन करने से वर्षभर शरीर में शक्ति, स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है | इसे युवा, स्त्री, पुरुष व वृद्ध भी ले सकते
है |
अश्वगंधा पाक स्नायु व मांसपेशियों को बल प्रदान करने तथा वातविकारों को दूर
करने हेतु रामबाण औषधि है | यह कमरदर्द, हाथ-पाँव, जाँघों का दर्द एवं
दुर्बलता, गर्भाशय की दुर्बलता, अनिद्रा, बहुमूत्रता, स्वप्नदोष, क्षयरोग आदि रोगों के लिए
उत्तम औषधि है | यह स्मरणशक्ति की कमी, उन्माद, मानसिक अवसाद आदि
मनोविकारों ( depression )में भी लाभदायी है |
अश्वगंधा चूर्ण
अश्वगंधा के मूल को, कूटिये चूर्ण बनाय | दूध साथ सेवन करें, तन-यौवन खिल जाय ||
अश्वगंधा – सिद्ध दूध
१ कप दूध में १ से २ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण तथा १ कप पानी मिला लें | धीमी आँच पर इतना उबालें कि
पानी पूरा वाष्पीभूत हो जाय | इसमें आवश्यकतानुसार मिश्री भी डाल सकते हैं | इसका सुबह खाली पेट सेवन करें | इससे रक्त की वृद्धि होती हैं एवं वीर्य पुष्ट होकर धातुक्षीणता दूर होती है |
१] जिनको खाँसी, कफ, दमा की तकलीफ हो वे आधा से
१ चम्मच अश्वगंधा चूर्ण १ चम्मच शहद के साथ लें |
२] जिनको पित्त की तकलीफ हो वे अश्वगंधा चूर्ण को आँवला रस अथवा देशी गाय के
घी के साथ लें |
ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०२१ से
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