जिस घर में भगवान का, ब्रह्मवेत्ता संत का चित्र नहीं है वह घर स्मशान है |
जिस घर में माँ-बाप, बुजुर्ग व बीमार का खयाल नहीं रखा जाता उस घर से लक्ष्मी रूठ
जाती है |बिल्ली, बकरी व झाड़ू कि धूलि घर में आने से बरकत चली जाती है | गाय के
खुर कि धूलि से, सुह्र्दयता से , ब्रह्मज्ञानी सत्पुरुष के सत्संग से घर का
वातावरण स्वर्गमय, सुखमय, मुक्तिमय हो जाता है |
लोककल्याण सेतु – नवम्बर २०२१ से
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