पूज्य बापूजी के सत्संग में आता है : "शरीर में विटामिन बी १२ की बहुत जरूरत होती है। बी १२ कम होता है तो भूख कम लगती है और अन्य समस्याएँ भी पैदा होती हैं। कुछ लोग बी १२ की पूर्ति के लिए मांसाहार करते हैं, उसकी कोई जरूरत ही नहीं है। आम की गुठली में बहुत सारा बी-१२ होता है। आम खाने के बाद गुठलियाँ फेंक देते हैं, आगे से इन्हें इकट्ठा करके सुखा के रख देवें। फिर इन्हें तोड़कर इनकी मींगी को सेंक लें। इसे सुपारी की नाईं भी खा सकते हैं। तो आप इसका लाभ लें । इससे आपको विटामिन बी १२ की कमी नहीं होगी और किसीको होगी तो दूर हो जायेगी।" -
आधुनिक अनुसंधानों से ज्ञात हुआ है कि आम की गुठली की १०० ग्राम मींगी में आम के २ किलो गूदे से ज्यादा पोषक तत्त्व हैं। आम के गूदे से २० गुना ज्यादा प्रोटीन, ५० गुना ज्यादा स्निग्धांश (फैट) व ४ गुना ज्यादा कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। बी-१२ शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में एवं तंत्रिका तंत्र (nervous system) को स्वस्थ रखने में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विटामिन बी - १२ की कमी के लक्षण
खून की कमी, थकान, कमजोरी, आलस्य, मुँह के छाले, हाथ-पैरों में सुन्नपन, आँखों की रोशनी
कम होना आदि । यदि ध्यान न दें तो चलते समय शरीर का संतुलन बनाने में समस्या, सोचने-समझने
की शक्ति में कमी, चिड़चिड़ापन, मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र को गम्भीर क्षति आदि विकार पैदा होते
हैं। हृदय की निष्क्रियता जैसे गम्भीर उपद्रव भी हो सकते हैं।
अमीनो एसिड्स का उत्कृष्ट स्रोत
मनुष्य शरीर के लिए ९ अमीनो एसिड्स अत्यावश्यक होते हैं, जिनकी कमी से अंतःस्राव (हार्मोन्स) एवं न्यूरोट्रांसमीटर्स का निर्माण, मांसपेशियों का विकास एवं अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यों में बाधा पहुँचने से विभिन्न समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। मींगी में इन ९ अमीनो एसिड्स में से ८ पाये जाते हैं, साथ ही कैल्शियम, मैग्नेशियम, लौह तत्त्व, मँगनीज, फॉस्फोरस आदि खनिज एवं विटामिन 'ई',
'सी', 'के' आदि भी पाये जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार आम की गुठली की मींगी कफ-पित्तशामक एवं कृमिनाशक है। यह छाती में जलन, उलटी, जी मिचलाना, दस्त, गर्भाशय की सूजन, बहुमूत्रता, अधिक मासिक स्राव, श्वेतप्रदर
आदि रोगों में लाभदायी है।
सेवन मात्रा : मींगी या मींगी से बना मुखवास'
आधा से डेढ़ ग्राम तक जिसको जितना अनुकूल पड़े, ले सकते हैं। दस्त में कच्ची मींगी को सुखाकर कूट-पीस के चूर्ण बना के रखें । ३ से ५ ग्राम चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करें।
सावधानी : पके आम की गुठली की मींगी का प्रयोग करें। मींगी का अधिक सेवन कब्जकारक है।
★ आम की मींगी से बना मुखवास शीघ्र ही संत श्री आशारामजी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से व समितियों
से प्राप्त हो सकेगा। ( बिस्तृत जानकारी हेतु पढ़ें संत श्री आशारामजी आश्रम से प्रकाशित मासिक पत्रिका ऋषि प्रसाद, सितम्बर २०२२ का अंक)
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