- इस मंत्र को आषाढ़ मास मे जब उत्तराषाढ़ा नक्षत्र हो तब अर्थात २५ जुलाई २०१० को रात्रि के समय सुबह ७ से ८ बजे के बीच १०८ बार जप लें |
- फिर इसी दिन की रात्रि के समय ११ से १२ बजे के बीच जीभ पर सोने की सलाई से अथवा चांदी की सलाई से, लाल चंदन से ह्रीं लिख दे |
- जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा, उसे विद्या लाभ तथा विद्वत्ता की प्राप्ति होगी |
- बच्चे यदि छोटे है तो अभिभावक को चाहिये कि बच्चे को गोद मे लेकर बैठे , और १०८ बार इस मंत्र का जप करे | मंत्र बोलते समय मम के स्थान पर बच्चे के नाम का उच्चारण करे (नीचे उदाहरण देखे) | जप करने के पश्चात सोने की अथवा चांदी की सलाई से, लाल चंदन से बच्चे की जीभ पर ह्रीं लिखे |
- उदाहरणः जैसे मेरे पुत्र का नाम राकेश है, और मैं उसके लिये जप करना चाहता हूं | तो मै मंत्र बोलुंगाः "ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति राकेशस्य जिह्वाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा |"
- सभी लोग इसका लाभ लें तथा दूसरो को दिलावें |
- पूज्य बापूजी
1 comment:
Hari om,
kya aap batasakte he ki is tithi ke alawa aur kaun si tithi ko mantra anusthan kar sakte he?
Jaygurudev.
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