पहले दायें बायें से श्वास लिया छोड़ा 10 बार (अनुलोम विलोम); बाद में दोनो नथूनों से शुद्ध हवामान में श्वास भरा; और गुरु मंत्र एक बार जपा और आनंद आनंद चिंतन किया और फूँक मार के अशांति, अतृप्ति को बाहर फेंक दिया; पूरा श्वास भरा और एक दो बार गुरु मंत्र जपा और श्वास मुँह से निकाल दिया, 50-100 बार ऐसा करो; आपके जीवन में उसी समय तृप्ति प्रसन्नता होने लगेगी ।
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Ahemdabaad - 19th Oct. 2009
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