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Friday, June 12, 2015

युवाओं व विद्यार्थियों हेतु विशेष

>> अनिद्रा अथवा अतिनिद्रा, कमजोर याददाश्त, क्रोधी स्वभाव आदि को दूर करने के लिये लोग डॉक्टरों व दवाइयों की गुलामी करने के बाद भी सफल नहीं हो पाते | इन समस्याओं को दूर करने का आसान व बिना खर्च का उपाय है ‘ज्ञान मुद्रा’ | इससे पूजा-पाठ, ध्यान-भजन में मन लगता है तथा एकाग्रता में भी वृद्धि होती है | [विस्तृत जानकारी हेतु पढ़े, आश्रम द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘जीवनविकास’, पृष्ठ- ८४ ]

>> जल्दी सोयें, जल्दी उठें | रात्रि ९ बजे से प्रात: ३ या ४ बजे तक की प्रगाढ़ निद्रा से ही आधे रोग ठीक हो जाते है | अर्धरोगहरी निद्रा ...

>> एकाग्रता के विकास का आसान व कारगर तरीका है ‘त्राटक’ | आसन पर बैठकर इष्टपूर्ति, सदगुरुदेव, दीपज्योति आदि को बिना पलक झपकाये एकटक देखते रहें | इससे नेत्रज्योति बढाने में विशेष लाभदायी है |




>> जिन विद्यार्थियों ( १८ वर्ष से कम उम्र) का कद नही बढ़ता, वे पुलअप्स का अभ्यास करें और बेल के ६ पत्ते व २ – ४ काली मिर्च हनुमानजी का स्मरण करते हुए चबाकर खायें | इनको पानी के साथ पीसकर भी खा सकते है |

>> यादशक्ति बढाने, मन की दुर्बलता मिटाने तथा शरीर में शक्ति बढ़ाने के लिए ४ – ५ काजू शहद के साथ खूब चबा के प्रतिदिन खाने चाहिए | बच्चों को २ से ५ काजू खाने चाहिए |

>> ताड़ासन करने से प्राण ऊपर के केन्द्रों में चले जाते हैं, इससे स्वप्नदोष, वीर्य-विकार, धातुक्षय जैसी बीमारियों में लाभ होता है | कद-वृद्धि में मदद मिलती है |




विधि : आसन पर सीधे खड़े होकर हाथ ऊँचे उठा के पंजों के बल पर खड़े रहें एवं दृष्टि ऊपर की ओर रखें | यह आसन दिन में २ – ३ बार ५ – १० मिनट तक कर सकते है |

  >> क्रोधी स्वभाव पर नियंत्रण पाने, निर्णयशक्ति बढ़ाने तथा आज्ञाचक्र के विकास में शशकासन बहुत लाभदायी है | वज्रासन में बैठ के सिर को जमीन पर लगायें और हाथों को नमस्कार की स्थिति में जोड़ दें |





                                                                                                - लोककल्याणसेतु – जून – २०१५ से

पूज्य बापूजी की – स्वास्थ्य की अनुपम युक्तियाँ

Cancer के रोगी को १० ग्राम तुलसी का रस तथा १० ग्राम शहद मिलाकर सुबह – दोपहर - शाम देने से अथवा १० ग्राम तुलसी का रस एवं ५० ग्राम ताजा दही (खट्टा नहीं ) देने से उसे राहत मिलती है | एक – एक घंटे के अंतर से दो – दो तुलसी के पत्ते भी मूँह में रखकर चूसते रहें |

सुबह – दोपहर – शाम दही व तुलसी का रस कैंसर मिटा देता है (सूर्यास्त के बाद दही नहीं खाना चाहिए ) | ‘वज्र रसायन’ की आधी गोली दिन में २ बार लें | नींबू के छिलके चाक़ू से निकाल के उनके छोटे – छोटे टुकड़े कर लें | अथवा नींबू को फ्रीजर में रखें और सख्त हो जाने पर उसके छिलके को कद्दूकश किये छिलकों को दाल, सब्जी, सलाद, सूप आदि खाद्य पदार्थों में मिला के नियमित सेवन करने से कैंसर रोग में लाभ होता है | १ दिन के लिए १ नींबू का छिलका पर्याप्त है |

 >> एक चुटकी दालचीनी के चूर्ण को एक कप दूध में समभाग पानी मिलाकर तब तक उबालें, जब एक पानी वाष्पीभूत न हो जाय | फिर मिश्री मिलाकर पी लें, इससे ह्रदयाघात (हार्ट-अटैक) से सुरक्षा होगी और नाड़ियाँ के अवरोध (ब्लाँकेज) भी खुल जायेंगे |

>> १० मिनट विधिवत शवासन करने से या जीभ के अग्रभाग को दाँतो से थोडा दबाकर १० मिनट तक ज्ञान मुद्रा लगा के बैठने से शारीरिक-मानसिक तनाव व अनिद्रा आदि की बीमारी दूर होती है |

>> बच्चों को पढ़ा हुआ याद नहीं रहता है तो प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य दें, ५ – ७ तुलसी के पत्ते खाकर आधा गिलास पानी पियें, जीभ तालू में लगा के पढ़ें, कमर सीधी रख के बैठे, बुद्धि व मेधाशक्तिवर्धक प्रयोग आदि करें |

>> व्यवस्थित सुखासन में (पलथी मार के ) बैठकर ही भोजन करना चाहिए | खड़े हो के भोजन करना व पानी पीना हानिकारक है | बैठकर और चुस्की लेते हुए पानी पिये |

>> धुप में नंगे सिर नही टहलना चाहिए | इससे आँख, नाक, कान व ज्ञानतंतुओं (स्मरणशक्ति) आदि की कार्यक्षमता को बहुत नुकसान होता है |

>> रात को सिर पूर्व या दक्षिण की तरफ करके ही सोना चाहिए अन्यथा सिरदर्द, तनाव, चिंता पीछा नहीं छोंड़ेंगे |

>> घर में लड़ाई – झगड़े ज्यादा होते हों तो ‘हे प्रभु ! आनंददाता ...’ प्रार्थना पुरे परिवारसहित एक साथ बैठकर करें | (आश्रम के पुस्तक ‘हम भारत के लाल है’ पृष्ठ – ५७ )

>> एकादशी के दिन भूलकर भी चावल नहीं खायें, न किसीको खिलायें, अन्न भी नहीं खायें, न खिलायें | फल, दूध या छाछ, नींबू – शिंकजी पी सकते है | उपवास में उपयोग की जानेवाली सब्जियाँ ले सकते हैं |

>> सिर पर बाजारू शैम्पू – साबुन लगाने से ज्ञानतंतु कमजोर होते हैं | बालों की जड़ें भी कमजोर होती हैं व बाल झड़ते हैं | आँवले का रस लगाने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं एवं उनका झड़ना बंद हो जाता है | मुलतानी मिटटी या सप्तधान्य उबटन से स्नान साबुन व शैम्पू से १०० गुना हितकारी है |

                                                                                              - लोककल्याणसेतु – जून – २०१५ से

आरती में कपूर का उपयोग


कपूर – दहन में बाह्य वातावरण को शुद्ध करने की अदभुत क्षमता है | इसमें जीवाणुओं, विषाणुओं तथा सूक्ष्मतर हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने की शक्ति है | घर में नित्य कपूर जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है, शरीर पर बीमारियों का आक्रमण आसानी से नहीं होता, दु:स्वप्न नहीं आते और देवदोष तथा पितृदोषों का शमन होता है |

                                                                                       लोककल्याणसेतु – जून – २०१५ से