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Friday, August 7, 2015

पाचन – संस्थान के रोगों का एक्यूप्रेशर द्वारा इलाज – दस्त या अतिसार में एक्यूप्रेशर चित्किसा

दस्त के एक्यूप्रेशर बिंदु :
मुख्य बिंदु : नाभि के ठीक चार अंगुल नीचे स्थित बिंदु ( चित्र १ में बिंदु ‘अ’ )

छाती की बीचवाली हड्डी के नीचेवाले छोर और नाभि के ठीक बीच में स्थित बिंदु ( चित्र १ में बिंदु ‘ब’ )
दोनों हथेलियाँ में दूसरी और तीसरी ऊँगली के मध्य चित्र २ में दर्शाये गये भाग पर ऊँगलियों के जोड़ से हाथ की कलाई की ओर हथेली के ठीक मध्य तक रगड़ते हुए हलका दबाव दें | इस प्रकार एक हाथ में ५ से ७ बार करें | दबाव पेन, पेन्सिल के पीछेवाले भाग या अँगूठे से दिया जा सकता हैं | एक्यूप्रेशर करने से पहले हथेली पर २ – ४ बूँद तेल या टेलकम पाउडर लगा लेने से एक्यूप्रेशर अच्छी तरह से होता है |

सहायक बिंदु : हाथों व पैरों के अँगूठे व प्रथम ऊँगली के बीचवाले मांसल भाग पर स्थित बिंदु |
उक्त चित्रों में दर्शाये गये बिन्दुओं पर ५ से १० सेकंड तक दबाव दें, फिर छोड़ दें, फिर दबाव दें | ऐसा २ से ३ मिनट तक दिन में ३ बार करें |
सीधे लेटकर दोनों पैरों के नीचे टखने के पास गरम पानी की थैली या काँच की बोतल में गरम पानी भरकर चित्र ४ में दर्शाये अनुसार १५ से २० मिनट के लिए रखें | इससे दस्त में जल्दी लाभ होता हैं और शरीर की थकान भी दूर होती है | यह प्राकृतिक चिकित्सा का अनुभूत प्रयोग हैं |

दस्त सामान्यत: अत्यधिक या अनुचित अथवा दूषित आहार तथा दूषित पानी के कारण होते हैं | दस्त होने पर पेडू पर गर्म पानी की थैली से ५ – ७ मिनट सेंक करें | भोजन में पतली खिचड़ी लें | दही के ऊपर का पानी २ चम्मच पीना लाभदायी है | दूध, फल या फलों का रस तथा पचने में भारी प्रदार्थ नहीं लेने चाहिए | कुटज घनवटी की ४ – ४ गोलियाँ दिन में ३ – ४ बार लेने से दस्त बंद हो जाते हैं |

दस्त लगने पर प्रार्थमिक उपचार विपरीतकरणी मुद्रा तुरंत चालू करें | समय पर वैद्यकीय सलाह बहुत जरूरी हैं क्योंकि ज्यादा दस्त लगने पर बच्चों व वृद्धों की जान को खतरा हो सकता हैं |

                       स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – जुलाई २०१५ से  

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