- माघ महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया,
- वैशाख शुक्ल तृतीया और
- भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया
..ऐसा व्रत वशिष्ठ जी की पत्नी अरुंधती ने किया था…. ऐसा आहार नमक बिना का भोजन…. वाशिष्ठ और अरुंधती का वैवाहिक जीवन इतना सुंदर था कि आज भी सप्त ऋषियों मे से वशिष्ठ जी का तारा होता है , उन के साथ अरुंधती का तारा होता है…आज भी आकाश मे रात को हम उन का दर्शन करते है…
..शास्त्रो के अनुसार शादी होती तो उनका दर्शन करते है….. जो जानकर पंडित होता है वो बोलता है…शादी के समय वर-वधु को अरुंधती का तारा दिखाया जाता है और प्रार्थना करते है कि , “जैसा वशिष्ठ जी और अरुंधती का साथ रहा ऐसा हम दोनों पति पत्नी का साथ रहेगा..”
ऐसा नियम है….
चन्द्रमा की पत्नी ने इस व्रत के द्वारा चन्द्रमा की एनी २७ पत्नियों मे से प्रधान हुई….चन्द्रमा की पत्नी ने तृतीया के व्रत के द्वारा ही वो स्थान प्राप्त किया था…तो अगर किसी सुहागन बहन को कोई तकलीफ है तो ये व्रत करे….उस दिन गाय को चंदन से तिलक करे… कुमकुम का तिलक ख़ुद को भी करे उत्तर दिशा मे मुख कर के …. उस दिन गाय को भी रोटी गुड़ खिलाये॥
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- 19th May 08, Haridwar
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