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Friday, December 31, 2010

जब आप अकेले पड़ जाओ तो क्या करना चाहिये

जब-जब समाज एक तरफ और आप अकेले पड़ जाएँ तो पहली उंगली भ्रूमध्य में और दूसरी ऊँगली और अंगूठे से नाक की तरफ आने वाली नाड़ी को पकड़ो । ॐ शांति........ॐ परमात्मने नमः.........सत्यं परम धीमहि । अपना गुरुमंत्र जपें । इससे अन्तः प्रेरणा जरूर मिलेगी ।

What to do when you are left alone to defend yourself :-

When the entire society is opposing you and you are isolated on one side, then point your index finger at the centre of your eyebrows and hold the nerve that points towards the tip of your nose using your middle finger and thumb. AUM SHANTI.... AUM PARMATMANE NAMAH.... SATYAM PARAM DHIMAHI | Recite your Guru Mantra. You will surely receive internal inspiration.

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- Pujya Bapuji Bhuswal - 27th Dec 2010

नवजात कमज़ोर शिशु के लिए

प्रसूता (नवजात शिशु की माँ) गाय या भैंस का दूध व घी खाए तथा भोजन के बाद सेब व केला खाए, तो कमज़ोर बच्चा स्वस्थ होगा ।

गर्भावस्था में गर्भिणी चन्द्रमा व सूर्य की किरणें नाभि पर आने दें, इससे भी बच्चा स्वस्थ होगा |



If baby in womb is diagnosed with weakness :-

If a pregnant woman consumes cow or buffalo milk and ghee, and takes an apple or banana after meals, then the weak womb will become healthy.

In pregnancy, the lady should allow sunlight and moonlight to fall upon her navel which makes the baby healthy.

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- Pujya Bapuji Jaitaran -17th Dec 2010

Thursday, December 23, 2010

सौंफ, मिश्री व धनिया प्रयोग

  • जिनको मगज में चक्कर आते हों, अफरा, एसिडिटी, शक्ति कमज़ोर हो अथवा नींद (अधिक या कम नींद) में गड़बडी हो, ऐसे लोग सौंफ व मिश्री समभाग मिश्रण करके रखें । भोजन के बाद २ चम्मच खूब चबा-चबा कर मज़े के खाएं । १-२ महीना खाने से मस्तिक्ष की कमजोरी दूर होती है, नेत्र की ज्योति व यादशक्ति बढ़ती है ।
  • सौंफ, मिश्री व धनिया समभाग चूर्ण बना कर ६-६ ग्राम भोजन के बाद चबा-चबा कर खाने से हाथ पैर की जलन, छाती की जलन, नेत्रों की जलन, पेशाब की जलन व सिरदर्द दूर होता है ।
Kishangarh - 19th Dec 2010


Monday, December 20, 2010

गोझारण!

 सर्दियों में कभी कभी गोझारण पी लिया करें| इअसे किडनी,लीवर बढ़िया रहेगा| खांशी की तकलीफ में फायदा होगा | गर्मियों में ना लें, इसकी ताशिर गर्म होती है|
बालों में रूशी हो तो बाल शेम्पू की जगह पे गोझारण से धो लें | शेम्पू भी इतनी सफाई नहीं करता जीतनी गोझारण से हो जाती है| सारी रुसी साफ|  नहाने के समय बाल में गोझारण लगाकर १-२ मिनट के बाद धो दें , रुसी साफ |

Benefits with Gojharan

In winter, take Gojharan sometimes . This will keep kidney and liver in good shape. It will provide relief from coughing too. Never consume this in summer as it increase heat content in the body.
If troubled with dandruff, wash your hair with gojharan instead of using shampoo. Even shampo cannot offer as much cleaning as Gojharan can. Dandruff, all clear! Before taking a bath, apply Gojharan to your hair and then wash it off after 1-2 minutes, all dandruff will wash away.
श्री सुरेशानादजी, किशनगढ़(शाम), १९ दिसम्बर २०१०

नौकरी की समस्या या घर में परेशानी!

नौकरी की परेशानी हो तो ५ बत्तीवाली दिया मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी की मूर्ति के सामने जलाएं | संकप्ल करें कि हमारी ये समस्या है,प्रभु दूर हो जाये| जरुर दूर होगी |
 
घर में ज्यादा कष्ट और परेशानियाँ हो तो घर में पूजा की जगह प़र रोज ५ बत्ती वाली दिया जलाएं और संकल्प करें कि हमारी ये समस्या दूर हो जाये|
हनुमान चालीसा Listen Here पढ़ लें, आसारामायण पढ़ लें|

श्री सुरेशानंदजी, किशनगढ़(शाम) १९ दिसम्बर २०१०

Friday, December 17, 2010

मंत्र से आरोग्यता


शब्दों की ध्वनि का अलग-अलग अंगों पर एवं वातावरण पर असर होता है। कई शब्दों का उच्चारण कुदरती रूप से होता है। आलस्य के समय कुदरती आ... आ... होता है। रोग की पीड़ा के समय ॐ.... ॐ.... का उच्चारण कुदरती ऊँह.... ऊँह.... के रूप में होता है। यदि कुछ अक्षरों का महत्त्व समझकर उच्चारण किया जाय तो बहुत सारे रोगों से छुटकारा मिल सकता है।
'' उच्चारण से जननेन्द्रिय पर अच्छा असर पड़ता है।
'' उच्चारण से जीवनशक्ति आदि पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। दमा और खाँसी के रोग में आराम मिलता है, आलस्य दूर होता है।
'' उच्चारण से कफ, आँतों का विष और मल दूर होता है। कब्ज, पेड़ू के दर्द, सिरदर्द और हृदयरोग में भी बड़ा लाभ होता है। उदासीनता और क्रोध मिटाने में भी यह अक्षर बड़ा फायदा करता है।
'' उच्चारण से ऊर्जाशक्ति का विकास होता है।
'' उच्चारण से मानसिक शक्तियाँ विकसित होती हैं। शायद इसीलिए भारत के ऋषियों ने जन्मदात्री के लिए 'माता' शब्द पसंद किया होगा।
'' का उच्चारण करने से ऊर्जा प्राप्त होती है और मानसिक शक्तियाँ विकसित होती हैं। मस्तिष्क, पेट और सूक्ष्म इन्द्रियों पर सात्त्विक असर होता है।
'ह्रीं' उच्चारण करने से पाचन-तंत्र, गले और हृदय पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
'ह्रं' उच्चारण करने से पेट, जिगर, तिल्ली, आँतों और गर्भाशय पर अच्छा असर पड़ता है।


Health by using mantra

The sound of various syllables have a strong impact on different parts of your body and the environment around us. Some syllables get spoken spontaneously like... at times of lethargy, one voices Aaaa... Aaa... When one is suffering from illness, the natural sound of AUM... AUM... modifies to Unh... Unhh.... If one can understand the significance of certain syllables properly, they can be used to cure numerous ailments.

"A" syllable influences the genital organs in a positive manner.

"Aaa" syllable boosts vital life energy. It provides relief from asthma, cough and also helps overcome laziness.

"Ei" syllable alleviates cough, impurities in bowel and clears stool. It provides great relief from constipation, stomach ache, headache and heart trouble. This syllable also mitigates sadness and anger.

"O" syllable invigorates the vital energy in us.

"Ma" syllable help develop higher mental capacity. Perhaps it is for this same reason that great saints of India preferred "Mata" as the choice of word for mother.

"AUM" syllable increases the vitality in us and develops higher mental acuity. It bears a positive, pious impact on our head, stomach and subtle organs.

"HREEM" syllable helps improve digestive power and strengthens neck and heart regions.

"HRAM" syllable renders positive influence on the stomach, liver, bowels and baby in the womb


लोक कल्याण सेतु, नवम्बर 2010

यदि कोई शिशु रात को चौंकता है

यदि कोई शिशु रात को चौंकता है, उसे नींद नहीं आती, माँ को जगाता है, परेशान रहता है तो उसके सिरहाने के नीचे फिटकरी रख दें। इससे उसे बढ़िया नींद आयेगी।


लोक कल्याण सेतु, नवम्बर 2010

बेचैनी

दिन में श्री गुरूगीता का पाठ एवं 'ॐ हंसं हंसः।' इस मंत्र का 21 बार जप करके पानी में देखें और उसे पी लें। इससे बेचैनी दूर होगी।

लोक कल्याण सेतु, नवम्बर 2010