इसके मुख्यतः दो कारण हैं- एक पित्त की अधिकता व दूसरा कब्ज। इसमें दीर्घकाल तक सतत दर्द रहता है अथवा महीने-दो महीने या इससे अधिक समय पर सिरदर्द का दौरा सा पड़ता है। इसके निवारण के लिए 500 ग्राम बादाम दरदरा कूट लें। 100 ग्राम घी में धीमी आँच पर सेंक लें। 750 ग्राम मिश्री की गाढ़ी, लच्छेदार चाशनी बनाकर उसमें यह बादाम तथा जावंत्री, जायफल, इलायची, तेजपत्र का चूर्ण प्रत्येक 3-3 ग्राम व 5 ग्राम प्रवालपिष्टी मिलाकर अच्छी तरह घोंट लें। थाली में जमाकर छोटे-छोटे टुकड़े काटकर सुरक्षित रख लें। 10 से 20 ग्राम सुबह दूध अथवा पानी के साथ लें। (पाचनशक्ति उत्तम हो तो शाम को पुनः ले सकते हैं।) खट्टे, तीखे, तले हुए व पचने में भारी पदार्थों का सेवन न करें।
बादाम अपने स्निग्ध व मृदु-विरेचक गुणों से पित्त व संचित मल को बाहर निकाल कर सिरदर्द को जड़ से मिटा देता है। साथ में मस्तिष्क, नेत्र व हृदय को बल प्रदान करता है।
अमेरिकन बादाम जिसका तेल, सत्त्व निकला हुआ हो वह नहीं, मामरी बादाम अथवा देशी बादाम भी अपने हाथ से गिरी निकाल से इस्तेमाल करो तो लाभदायक है। अमेरिकन बादाम का तेल गर्मी दे के निकाल देते हैं।
बौद्धिक काम करने वालों के लिए तथा शुक्रधातु की क्षीणता व स्नायुओं की दुर्बलता में भी यह बादामपाक अतीव लाभकारी है। स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सर्दियों में सेवन करने योग्य यह एक उत्तम पुष्टिदायी पाक है।
Rishi Prasad -Dec 2010
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